हुन्डरु जलप्रपात
रांची का हुंडरू फॉल पहाड़ों एवं घने जंगलों के बीच स्वर्णरेखा नदी पर अवस्थित है।
हुन्डरु जलप्रपात | |
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Hundru Falls ᱦᱩᱸᱰᱨᱩ ᱡᱷᱟᱨᱱᱟ | |
अवस्थिति | राँची ज़िला, झारखण्ड, भारत |
निर्देशांक | 23°27′00″N 85°39′00″E / 23.4500°N 85.6500°E |
उन्नयन | 456 मीटर (1,496 फीट) |
कुल ऊँचाई | 98 मीटर (322 फीट) |
जलमार्ग | सुवर्णरेखा नदी |
हुन्डरु जलप्रपात (Hundru Falls) भारत के झारखण्ड राज्य के राँची ज़िले में स्थित एक जलप्रपात है। यह 98 मीटर (322 फीट) की ऊँचाई से गिरता जलप्रपात है। यह भारत का 34वाँ सबसे ऊँचा जलप्रपात है।[1][2]
यह फॉल बेहद सुंदर व मनमोहक ह। जो पर्यटकों में कौतूहल व रोमांच पैदा करता है।[3]
मार्ग
यहां रांची-मुरी मार्ग पर अनगड़ा चौक से गेतलसूद होते हुए पहुंचा जा सकता है। एक अन्य मार्ग रांची-हजारीबाग मार्ग पर ओरमांझी चौक से सिकिदीरी होते हुए भी यहां तक पहुंचा जा सकता है।
विवरण
संपादित करेंयह प्रपात झारखण्ड राज्य का प्रसिद्ध जलप्रपात है। वर्षा ऋतु में इस झरने को देखने के लिए पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। यह सुन्दर झरना राँची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है। हुंडरू जलप्रपात 98 मीटर यानी क़रीब 320 फीट की उंचाई से गिरता है। यह झारखण्ड का दूसरा सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी छटा देखते ही बनती है। वर्षा के दिनों में इस जलप्रपात की धारा मोटी हो जाती है। इन दिनों में तो इसका दृश्य और भी सुंदर व मनमोहक हो जाता है। इसी जलप्रपात से सिकीदरी में पनबिजली का उत्पादन किया जाता है।
हुंडरू प्रपात झारखंड राज्य में सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने वाला दूसरा* प्रपात है, अत: पर्यटन पटल पर सर्वाधिक प्रसिद्ध भी यही है। स्वर्णरेखा नदी की जलराशि से प्रस्फ़ुटित इस प्राकृतिक झरने के ऊँचाई से गिरने का लाभ झारखंड राज्य को पनबिजली के रूप में विगत 50 वर्षों से प्राप्त होता आ रहा है। औसतन 100 मेगावाट पनबिजली इस परियोजना से पैदा होती है, जिसे सिकिदिरी प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है। परन्तु यह बिजली जलराशि की प्रचुरता तक ही निर्मित हो पाती है। सालभर विद्युत उत्पादन की स्थिति शायद ही कभी बन पाती हो। झारखंड की राजधानी राँची से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित हुंडरू प्रपात के लिये अच्छी सड़क है, जहाँ राँची-पटना हाईवे के किसी तरफ़ से आकर भी पहुँचा जा सकता है। हाईवे पर स्थित राँची ज़िले के ओरमाँझी ब्लाक चौक से पूर्व दिशा की ओर जाने वाली पक्की सड़क से सिकिदिरी लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है, जहाँ से हुंडरू प्रपात तक पहुँचने के लिये सुन्दर नयनाभिराम पहाड़ियों के अंचल में लगभग 7 से 8 किलोमीटर और आगे सर्पीले मार्ग से जाना पड़ता है। सैलानी झरने के उद्गम तथा नीचे की तलहटी, दोनों तरफ़ से प्रपात की गिरती स्वच्छ-धवल जलराशि देखने का आनन्द उठा सकते हैं। रात्रि विश्राम की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, अत: सलाह दी जाती है कि समय रहते राँची शहर अथवा अपने गन्तव्य के लिये प्रस्थान कर जायँ। पठारो से नदियों के उचाई से गिरने के कारण इनका निर्माण होता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Tourism and Its Prospects in Bihar and Jharkhand Archived 2013-04-11 at the वेबैक मशीन," Kamal Shankar Srivastava, Sangeeta Prakashan, 2003
- ↑ "The district gazetteer of Jharkhand," SC Bhatt, Gyan Publishing House, 2002
- ↑ "झारखंड में भारी बारिश के बाद जलप्रपातों की बढ़ी खूबसूरती". प्रभात खबर. 21 अगस्त 2022.