हुल्द्रिख ज्विंगली
हुल्द्रिख ज्विंगली (Huldrych Zwingli / 1484-1531) स्विटजरलैंड का सुधारक था जिसने स्विटजरलैंड में सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया।
परिचय
संपादित करेंहुल्द्रिख ज्विंगली का जन्म प्रथम जनवरी 1484 ई में सेंट गाल के प्रदेश में एक कृषक परिवार में पैदा हुआ था। उसने वेसेन (Wessen), बैसेल (Basel) तथा बर्ने में शिक्षा प्राप्त की। 1500 ई में वह वियना के विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के अध्ययन के लिये भेजा गया। वह बैसेल वापस आया, जहाँ वह स्नातक हुआ और तत्पश्चात् सेंट मार्टिन चर्च स्कूल में प्राचीन साहित्य का अध्यापक बना। 1506 ई में वह ग्लेरस में स्थानीय पुरोहित के आसन पर आसीन हुआ और उसने ग्रीक, हिब्रू तथा चर्च प्रवर्तकों का अध्ययन प्रारंभ किया। प्राचीन चर्च के प्रति उसका कालांतर का असंतोष एवं उसकी सुधार-भावना की जाग्रति इसी अध्ययन पर आधारित थी। ज्विंग्ली के शैक्षिक प्रभाव अनिवार्यत: मानववादी थे। 1512 से 1515 ई तक वह स्विटजरलैंड के भाड़े के सैनिकों के लिये इटली गया, जहाँ उसने पोप का सांसारिक जीवन देखा। उसकी आँखें खुल गई। 1519 ई में वह ज्यूरिख के गिरजाघर का उपदेशक हुआ और उसने अपने उन प्रवचनों को प्रारंभ किया जो सुधार आंदोलन के जन्मदाता सिद्ध हुए।
अब उसने चर्च अधिकार, कैथोलिक अनुष्ठान एवं सिद्धांत, पाप-मोचन कर की बिक्री और स्विटजरलैंड के भाड़े के सैनिकों की युद्ध में उपयोगिता इत्यादि के विरुद्ध आलोचना शुरू की। जब फ्रांसिस कैन भिक्षु बरनार्डी का सैमसन, पापमोचन कर की बिक्री के लिये स्विटजरलैंड में दृष्टिगोचर हुआ, तो ज्विंग्ली ने नागरिक सभा (सिटी काउंसिल) को समझाया कि नगर में उस श्रमण का प्रवेश वैध कर दिया जाय। ज्विंग्ली की प्रथम धर्मसुधारपुस्तिका आर्किटेलीस (Architelece) 1522 ई में प्रकाशित हुई। पोप अड्रेयन चतुर्थ ने ज्यूरिक निवासियों को ज्विंग्ली का परित्याग कर देने की आज्ञा दी। किंतु उसने मत के पुष्टीकरण में "सरसठ थेसिस" का पूर्ण विवरण दिया तथा अपनी स्थिति का स्पष्टीकरण इतनी दृढ़ता से किया कि नगर ने उस दर्शन पर अपनी स्वीकृति दे दी तथा रोम से संबंधविच्छेद कर लिया। ज्विंग्ली के प्रभाव में चर्च की तस्वीरें हटा दी गईं और पवित्र मूर्तियाँ भग्न कर दी गई। पादरियों के उपवास एवं वैवाहिक जीवन पर भी आक्षेप किए गए। 1523 ई में उसने बर्न में एक रोम पादरी को सार्वजनिक सभा में सैद्धांतिक विग्रह की चुनौती दी। विवाद 19 दिन चला और अंत में बर्न ज्विंग्ली का अनुयायी हो गया।
2 अप्रैल 1524 ई को, ज्विंग्ली ने ऐना रेनहार्ड से विवाह किया। 1525 ई में उसने सत्य और मिथ्या धर्म पर अपना भाष्य प्रकाशित किया जिसमें निहित विचार मार्टिन लूथर से भी संघर्ष ले चले। दोनों का मतभेद कुछ सुधार सिद्धांतों के संबंध में, विशेषतया लार्ड्स सपर की विचारधारा पर था। ज्विंग्ली ने पदार्थ परिवर्तन (Trans substantiation) तथा ईसा की वास्तविक उपस्थिति के सिद्धांत को अस्वीकृत किया और धर्मग्रंथों के ही उच्च अधिकार पर बल दिया। उसने धर्मविज्ञान तथा अनुशासन (डिसिप्लिन) दोनों में सुधार की आवश्यकता का लक्ष्य रखा। 1529 ई में सुधार के प्रवर्तकों का एक सम्मेलन मारबर्ग में विभेदों को सुलझाने के लिय हुआ। किंतु कोई समझौता न हो सका। ज्विंग्ली के अनुयायी टूट गए तथा प्रोटेस्टेंट मत की दो शाखाएँ हो गई। इस समय स्विटजरलैंड के पाँच कैथोलिक कैंटन इस आशंका से कि कहीं उनका प्रभाव लुप्त न हो जाय, प्राचीन धर्म के पक्ष में संघर्ष करने के लिये उद्यत हो गए। रोम से उकसाए जाने पर, इन कैंटनों ने ज्यूरिख तथा बर्न के सुधारप्रभावित कैंटनों के विरुद्ध युद्धघोषणा कर दी। गृहयुद्ध में ज्विंग्ली के अनुयायी परास्त हुए और ज्विंग्ली स्वयं भी 11 अक्टूबर को कैपेल नामक स्थल पर मारा गया। अंतत: कालविन मत के संस्थापक के विचारों से सामीप्य होने के कारण ज्विंग्ली के विचार त्याग दिए गए।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Biography of Anna Reinhard in Leben magazine from a seminary of the Reformed Church in the United States
- (German में) Website of the Zwingli Association and Zwingliana journal