हृदय शल्य चिकित्सा हृदय और/या बड़ी वाहिकाओं की एक ऐसी शल्य क्रिया है जो हृदय शल्य चिकित्सकों द्वारा की जाती है। अक्सर, इसे स्थानिक-अरक्तता संबंधी हृदय रोग की जटिलताओं का इलाज करने के लिए (उदाहरण के लिए, कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग), जन्मजात हृदय रोग को ठीक करने के लिए, या वाल्वुलर हृदय रोग का उपचार करने के लिए किया जाता है जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती है और जिसमें अन्तर्हृद्शोथ शामिल है। इसमें हृदय प्रत्यारोपण भी शामिल है।

कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी के रूप में ज्ञात कार्डियेक सर्जरी को करते हुए दो कार्डियेक सर्जन. एक स्टील प्रतिकर्षक के उपयोग पर ध्यान दें जिसका इस्तेमाल रोगी के हृदय को जबरदस्ती खुला रखने के लिए किया जाता है.

पेरीकारडियम (हृदय के चारों ओर से घेरने वाली थैली) का सबसे पहला ऑपरेशन 19वीं सदी में किया गया और इसे फ्रांसिस्को रोमेरो,[1] डोमिनीक जीन लारे, हेनरी डाल्टन और डेनियल हेल विलियम्स द्वारा अंजाम दिया गया। स्वयं हृदय की पहली शल्य चिकित्सा, नार्वेयाई शल्य चिकित्सक एक्सल कापेलेन ने 4 सितम्बर 1895 को क्रिस्टियानिया में रिक्शोसपिटालेट अब ओस्लो, में किया। उन्होंने एक 24 वर्षीय आदमी के एक कोरोनरी धमनी को जोड़ा जिसमें से रक्त स्राव हो रहा था, इस आदमी की बाईं कांख में छुरा घोंपा गया था और आगमन पर वह गहरे सदमे की स्थिति में था। बाएं थोरैकोटौमी के माध्यम से प्रवेश किया गया। रोगी जागने के बाद 24 घंटे तक ठीक रहा, लेकिन तापमान में वृद्धि के साथ अस्वस्थ होने लगा और अंततः उसकी मृत्यु हो गयी जिसका कारण 3 दिन बाद हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार मेडियास्टिनीटिस बताया गया।[2][3]

बड़ी वाहिकाओं की शल्य चिकित्सा (महाधमनी निसंकुचन सुधार, ब्लालॉक -ताऊसिग पार्श्वपथ निर्माण, पेटेंट धमनी वाहीनी, को बंद करना), शताब्दी के अंत के बाद और हृदय शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में गिरावट के बाद आम हो गयी, लेकिन तकनीकी रूप से इसे हृदय शल्य चिकित्सा नहीं माना जा सकता था।

हृदय कुरचना - आरंभिक प्रयास

संपादित करें

1925 में हृदय के वाल्वों का आपरेशन अज्ञात था। हेनरी सौतार ने माइट्रल संकुचन से पीड़ित एक युवा महिला का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। उन्होंने बाएं परिकोष्‍ठ के उपांग में एक जगह बनाई और क्षतिग्रस्त माइट्रल वाल्व का पता लगाने के लिए इस कक्ष में एक उंगली डालकर परीक्षण किया। रोगी कई साल तक जीवित रहा[4] लेकिन उस समय सौतार के चिकित्सक सहयोगियों ने यह फैसला किया कि यह प्रक्रिया उचित नहीं थी और वे उसे जारी नहीं रख सकते हैं।[5][6]

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हृदय शल्य चिकित्सा में काफी बदलाव आया। 1948 में चार शल्य चिकित्सकों ने वातज्वर के कारण हुए माइट्रल संकुचन का सफल ऑपरेशन किया। शार्लट के होरेस स्मिथि (1914-1948), ने पीटर बेंट ब्रिघम अस्पताल के डॉ ड्वाइट हार्कें को देय एक ऑपरेशन को पुनर्जीवित किया जिसमें उन्होंने माइट्रल वाल्व के एक हिस्से को हटाने के लिए एक पंच का उपयोग किया। हैनिमैन अस्पताल, फिलाडेल्फिया में चार्ल्स बेली (1910-1993), बोस्टन में ड्वाइट हार्कें और गाएज़ अस्पताल में रसेल ब्रोक इन सभी ने सौतर विधि अपनाई. इन सभी लोगों ने कुछ ही महीनों के भीतर एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से कार्य करना शुरू कर दिया। इस बार सौतर की तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया गया यद्यपि कुछ संशोधनों के बाद।[5][6]

1947 में मिडिलसेक्स अस्पताल के थॉमस होम्स सेलोर्स (1902-1987) ने एक फेफड़ों संबंधी संकुचन वाले फैलोट टेट्रालजी के रोगी का ऑपरेशन किया और संकुचित फेफड़े वाल्व को सफलतापूर्वक विभाजित किया। 1948 में, शायद सेलोर के काम से अनभिज्ञ रसेल ब्रोक ने फेफड़े के संकुचन सम्बंधी तीन मामलों में एक विशेष रूप से डिजाइन किये हुए विस्‍फारक का उपयोग किया। बाद में1948 में उन्होंने एक पंच को डिजाइन किया ताकि गढ़े नुमा मांसपेशी संकुचन को पुनः सेट किया जा सके जिसे प्रायः फैलोट टेट्रालजी के साथ जोड़ा जाता है। हजारों ऐसे "अंधे" आपरेशन किये जाते रहे जबतक कि हार्ट बाईपास की शुरुआत ने वाल्वों पर प्रत्यक्ष सर्जरी को संभव ना बनाया।[5]

ओपन हार्ट सर्जरी

संपादित करें

यह एक ऐसी सर्जरी है जिसमें मरीज के हृदय को खोला जाता है और हृदय की आंतरिक संरचना पर सर्जरी की जाती है।

जल्द ही टोरंटो विश्वविद्यालय के डॉ॰ विल्फ्रेड जी बिगेलो ने यह पता लगाया कि अंत:हृदी विकृतियों की मरम्मत और बेहतर तरीके से की जा सकती है यदि यह एक खून रहित और स्थिर माहौल में की जाये, जिसका अर्थ है कि हृदय को बंद और रक्तहीन कर दिया जाना चाहिए। हाइपोथर्मिया का उपयोग करके जन्मजात हृदय दोष का पहला सफल अंत:हृदी सुधार डॉ॰ सी. वाल्टन लिलेहेई और डॉ॰ एफ जॉन लुईस द्वारा मिनेसोटा विश्वविद्यालय में 2 सितम्बर 1952 को किया गया। अगले वर्ष, सोवियत सर्जन अलेक्सांद्र अलेकसैनद्रोविच विश्नेवस्की ने लोकल अनेस्थिसिया के तहत प्रथम हृदय शल्य चिकित्सा की।

सर्जनों ने हाइपोथर्मिया की सीमाओं को महसूस किया - जटिल अंत:हृदी मरम्मत में काफी समय लगता है और रोगी के शरीर को रक्त प्रवाह की जरूरत होती है (विशेष रूप से मस्तिष्क को); रोगी को हृदय और फेफड़ों के एक कृत्रिम विधि द्वारा कार्य करने की आवश्यकता होती है, इसीलिए इसे कार्डियोपल्मोनरी बाईपास कहते हैं। जेफरसन मेडिकल स्कूल, फिलाडेल्फिया के डॉ॰ जॉन हेशैम गिब्बों ने 1953 में ओक्सीजेनेटर के माध्यम से शरीर बाह्य-परिसंचरण का पहला सफल उपयोग दर्ज किया, लेकिन अपने एक के बाद एक विफलताओं से निराश होकर उन्होंने इस विधि को छोड़ दिया। 1954 में डॉ॰ लिलेहेई ने सफल ऑपरेशनों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया जिसमें नियंत्रित पार संचलन तकनीक का उपयोग किया गया जिसमें रोगी के माता या पिता को 'हृदय-फेफड़े मशीन' के रूप में इस्तेमाल किया गया। मेयो क्लिनिक रोचेस्टर, मिनेसोटा के डॉ॰ जॉन डब्ल्यू किरक्लीन ने गिब्बों प्रकार के पंप-ओक्सीजेनेटरों का उपयोग सफल ऑपरेशनों की एक श्रृंखला में किया और जल्द ही इसे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सर्जनों द्वारा अपनाया जाने लगा।

डॉ॰ नजिः ज़ुह्दी ने डॉ॰ क्लारेन्स डेनिस, डॉ॰ कार्ल कार्लसन और डॉ॰ चार्ल्स फ्राइज़, के साथ चार साल तक काम किया, जिन्होनें एक प्रारम्भिक पंप ओक्सीजेनेटर का निर्माण किया। ज़ुह्दी और फ्राइज़ ने 1952-1956 तक डेनिस के पूर्व के मॉडल के डिजाइन और पुनः डिजाइनों पर ब्रुकलीन सेंटर में काम किया। इसके बाद ज़ुह्दी डॉ॰ सी. वाल्टन लिलेहेई के साथ काम करने मिनेसोटा विश्वविद्यालय में चले गये। लिलेहेई ने पार संचलन मशीन का अपना खुद का संस्करण बनाया, जिसे डेवॉल-लिलेहेई हार्ट-लंग मशीन के नाम से जाना जाने लगा। ज़ुह्दी हृदय को बाईपास करते समय हवाई बुलबुले की समस्या को हल करने की कोशिश करते हुए द्रवनिवेशन और रक्त प्रवाह पर काम करते रहे ताकि हृदय को ऑपरेशन के लिए बंद किया जा सके। ज़ुह्दी 1957 में, ओक्लाहोमा सिटी, OK में स्थानांतरित हो गये और ओकलाहोमा यूनिवर्सिटी कॉलेज में काम शुरू किया। हृदय शल्य चिकित्सक ज़ुह्दी ने, फेफड़ों के शल्य चिकित्सक, डॉ॰ एलन ग्रीर और डॉ॰ जॉन केरी के साथ मिलकर, तीन आदमियों की ओपन हार्ट सर्जरी टीम का गठन किया। डॉ॰ ज़ुह्दी के हृदय लंग मशीन के आगमन के साथ, जिसके आकार को संशोधित किया गया था और डेवॉल-लिलेहेई हार्ट-लंग मशीन से बहुत छोटा बनाया गया, अन्य संशोधनों के साथ यह, खून की जरूरत को न्यूनतम मात्रा तक कम कर देता है और उपकरण के मूल्य को घटा कर $500.00 कर देता है और प्रेप समय को दो घंटे से घटा कर 20 मिनट कर देता है। डॉ॰ ज़ुह्दी ने 25 फ़रवरी 1960 को ओक्लाहोमा सिटी, OK के मर्सी अस्पताल में, 7 वर्षीय टेरी जीन निक्स, पर पहला सम्पूर्ण विमर्शी हेमोडाईल्युशन ओपन हार्ट सर्जरी किया। यह ऑपरेशन सफल रहा; हालांकि, तीन वर्ष बाद 1963 में निक्स का निधन हो गया। [7] मार्च 1961 में, ज़ुह्दी, केरी और ग्रीर, ने सम्पूर्ण विमर्शी हेमोडाईल्युशन मशीन का प्रयोग करके एक साढ़े 3 साल के बच्चे का सफलतापूर्वक ओपन हार्ट सर्जरी किया। वह रोगी अभी भी जीवित है। [8]

1985 में डॉ॰ ज़ुह्दी ने बैपटिस्ट अस्पताल में नैन्सी रोजर्स पर ओकलाहोमा का पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया। प्रत्यारोपण सफल रहा, लेकिन शल्य चिकित्सा के 54 दिनों के बाद कैंसर से पीड़ित रोजर्स की संक्रमण से मृत्यु हो गयी। [9]

आधुनिक धड़कते-हृदय की सर्जरी

संपादित करें

1990 के दशक के बाद, शल्य चिकित्सकों ने उपरोक्त कार्डियोपल्मोनरी बाईपास के बिना "ऑफ-पंप बाईपास सर्जरी" - कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी करना शुरू किया। इन ऑपरेशनो में, शल्य चिकित्सा के दौरान हृदय धड़कता है, लेकिन काम करने का एक स्थिर क्षेत्र बनाने के लिए इसे स्थिर किया जाता है। कुछ शोधकर्ताओं का यह मानना है कि इस कदम के परिणामस्वरूप ऑपरेशन पश्चात की जटिलताएं कम होती हैं जैसे (पोस्टपरफ्यूज़न सिंड्रोम) और बेहतर समग्र परिणाम (2007 तक के अध्ययन के परिणाम विवादास्पद हैं, सर्जनों की वरीयता और अस्पताल के परिणाम अभी भी एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

न्यूनतम आक्रामक सर्जरी

संपादित करें

हृदय शल्य चिकित्सा का एक नया रूप जिसकी लोकप्रियता आज-कल बढ़ रही है वह है रोबोट की मदद से हृदय शल्य चिकित्सा. इसमें एक मशीन के इस्तेमाल से सर्जरी की जाती है, जबकि इसे एक हृदय सर्जन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसका मुख्य लाभ है रोगी में लगाये गये चीरे का आकार. कम से कम सर्जन को अपना हाथ अंदर डालने भर की जगह जितना चीरा लगाना पड़ता था, लेकिन एक रोबोट के काफी छोटे हाथों के अंदर जाने के लिए केवल 3 छोटे छिद्रों की ही आवश्यकता होती है।

बाल चिकित्सा कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी

संपादित करें

बाल चिकित्सा कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी बच्चों के हृदय की शल्य चिकित्सा है। रसेल एम. नेल्सन ने मार्च 1956 में साल्ट लेक जेनेरल अस्पताल में पहला सफल बाल हृदय ऑपरेशन किया, जो एक चार वर्षीय लड़की में टेट्रालजी की फलोट का सम्पूर्ण सुधार था[10]

हृदय शल्य चिकित्सा और कार्डियोपुल्मोनरी बाईपास तकनीकों के विकास ने इन शल्य चिकित्साओं में मृत्यु की दर को अपेक्षाकृत कम कर दिया है। उदाहरण के लिए, जन्मजात हृदय दोष के उपचार की मृत्यु दर वर्तमान में 4-6% होने का अनुमान लगाया गया है।[11][12]

हृदय शल्य चिकित्सा के साथ एक प्रमुख चिंता का विषय है स्नायविक क्षति होने की घटना सर्जरी करने वाले 2-3% लोगों को दौरा पड़ता है और यह उन रोगियों में अधिक होता है जिनमें दौरे का जोखिम होता है।[13] नियुरोकोग्निटिव कमी के एक अधिक सूक्ष्म समूह जिसके लिए कार्डियोपल्मोनरी बाईपास को श्रेय दिया जाता है इसे पोस्टपरफ्यूज़न सिंड्रोम कहते हैं (कभी-कभी 'पम्पहेड' कहते हैं)। शुरू में पोस्टपरफ्यूज़न सिंड्रोम के लक्षण स्थायी लगे,[14] लेकिन यह क्षणिक ही नज़र आया जिसमें कोई स्थाई स्नायु-विज्ञान सम्बंधी हानि नज़र नहीं आयी। [15]

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  • हृदय शल्य चिकित्सक
  • हृदय तथा वक्ष-गह्वर संबंधी शल्य चिकित्सा
  • डाइंग टू लिव (फिल्म)
  • संवहनी शल्य चिकित्सा
  • कार्डियोथोरेसिक एनेस्थिसियोलॉजी
  1. ऐरिस ए फ्रांसिस्को रोमेरो, पहले हृदय सर्जन. एन थोरक सर्जन 1997 सितम्बर; 64(3):870-1. पीएमआईडि 9307502
  2. लैंड मार्क इन कार्डिएक सर्जरी, स्टीफन वेस्टाबी, सेसिल बोशेर द्वारा ISBN 1-899066-54-3
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मार्च 2011.
  4. डिक्शनरी ऑफ़ नैशनल बायोग्राफी - हेनरी सौतर (2004-08)
  5. हेरोल्ड एलिस (2000) ए हिस्ट्री ऑफ़ सर्जरी, 223 पेज +
  6. लॉरेंस एच कोह्न (2007), कार्डियेक सर्जरी इन दी एडल्ट, पृष्ठ 6 +
  7. वॉरेन, क्लिफ, डा. नजिः ज़ुह्दी - उनकी वैज्ञानिक कार्य में सभी राहों को ओकलाहोमा सिटी की और मोड़ दिया, डिसटिंटली ओकलाहोमा में, नवम्बर 2007, पृष्ठ 30-33
  8. रोगी द्वारा इनपुट, गोपनीयता के लिए नाम अज्ञात
  9. http://ndepth.newsok.com/zuhdi Archived 2012-04-25 at the वेबैक मशीन डा. नजिः ज़ुह्दी, महान हार्ट सर्जन, ओक्लाहोमा, 2010 जनवरी
  10. "बाल चिकित्सा हृदय सर्जरी" Archived 2011-03-20 at the वेबैक मशीन मेडलाइन प्लस में
  11. स्टार्क जे, गालीवान एस, लवग्रूव जे, हैमिल्टन जे आर, मोनरो जे एल, पोलक जे.सी., वॉटरसन के जी. बच्चों में जन्मजात हृदय दोष के लिए सर्जरी के बाद मृत्यु दर और सर्जन के प्रदर्शन. लैंसेट मार्च 2000 18;355(9208):1004-7. पीएमआईडि 10768449
  12. क्लित्ज्न्र टी एस, ली एम रोड्रिग्ज़ एस, चैंग आर आर. बाल रोगियों के बीच सर्जिकल मृत्यु में सेक्स संबंधी असमानता। जन्मजात हृदय रोग मई 2006; 1(3):77. सार
  13. Naylor, A.R.; Bown, M.J. (2011-05-31). "Stroke after Cardiac Surgery and its Association with Asymptomatic Carotid Disease: An Updated Systematic Review and Meta-analysis". European Journal of Vascular and Endovascular Surgery (अंग्रेज़ी में). 41 (5): 607–624. डीओआइ:10.1016/j.ejvs.2011.02.016.
  14. Newman M, Kirchner J, Phillips-Bute B, Gaver V, Grocott H, Jones R, Mark D, Reves J, Blumenthal J (2001). "Longitudinal assessment of neurocognitive function after coronary-artery bypass surgery". N Engl J Med. 344 (6): 395–402. PMID 11172175. डीओआइ:10.1056/NEJM200102083440601.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  15. Van Dijk D, Jansen E, Hijman R, Nierich A, Diephuis J, Moons K, Lahpor J, Borst C, Keizer A, Nathoe H, Grobbee D, De Jaegere P, Kalkman C (2002). "Cognitive outcome after off-pump and on-pump coronary artery bypass graft surgery: a randomized trial". JAMA. 287 (11): 1405–12. PMID 11903027. डीओआइ:10.1001/jama.287.11.1405.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)

आगे पढ़ें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें