हेनरी का नियम
भौतिकी में हेनरी का नियम Archived 2023-10-02 at the वेबैक मशीन गैस के भौतिक गुणों से सम्बन्धित एक नियम है जिसे विलियम हेनरी ने १८०३ में प्रतिपादित किया था। हेनरी के नियम के अनुसार-[anil bishnoi dhawa]
- किसी नियत ताप पर, किसी द्रव के निश्चित आयतन में घुल सकने वाली किसी गैस की मात्रा उस गैस के उस द्रव के साथ साम्यावस्था की स्थिति में आंशिक दाब के समानुपाती होती है। प्रतिबन्ध यह है कि घुलने वाली गैस उस द्रव के साथ कोई रासायनिक क्रिया न करे।
इस नियम को दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी कह सकते हैं- [dhawa]
- किसी गैस की किसी द्रव में घुलनशीलता उस गैस के उस द्रव के उपर स्थित आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
सामान्य जीवन में हेनरी के नियम का उदाहरण बार्बोनित मृदु पेयों में देखने को मिलता है।
हेनरी के नियम की सीमाएँ निम्न हैं:
- दाब बहुत अधिक न हो।
- ताप बहुत कम न हो।
- विलयन तनु हो।
- गैस,विलायक से रासायनिक अभिक्रिया न करे।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Ethanol solubility in EPDM, Solubility of chemicals in polymers using Henry's law
- R. Battino and H. Lawrence Clever, "The solubility of gases in liquids", Chemical Reviews, 66, (4), pp. 395-463, (1966).
- Henry's gas law calculator
- H. Lawrence Clever, "Setchenov salt-effect parameter", J. Chem. Eng. Data, 28, (3), pp. 340–343, (1983).
- Hans Ulrich Borgstedt and Cezary Guminskib (Editors), "IUPAC-NIST Solubility Data Series. 75. Nonmetals in Liquid Alkali Metals", J. Phys. Chem. Ref. Data, 30, (4), pp. 835-1158, (2001)
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