१३ सितम्बर २००८ के दिल्ली बम विस्फोट
शनिवार, १३ सितंबर की शाम दिल्ली में तीन स्थानों पर ३० मिनट के अंतराल पर एक के बाद एक चार बम विस्फोट हुए। इनमें १९ लोगों के मृत्यु और ९० से अधिक के घायल होने की सूचना है।[1] पुलिस ने दिल्ली के कई इलाकों में जिंदा बम बरामद किये हैं। दो जिंदा बम गफ्फार मार्केट में, एक लीगल बिल्डिंग में और एक कनाट प्लेस पर बरामद हुए हैं। इन सभी को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जारी है।[2]
समाचारों में कहा गया है कि धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन की ओर से एक ई-मेल भी भेजा गया था।[3] इस ई-मेल में कहा गया था कि पाँच मिनट में दिल्ली में धमाके होने वाले हैं, रोक सको तो रोक लो। हालांकि पुलिस का कहना है कि बिना जाँच किए इस धमाके के लिए किसी संगठन को जल्दबाजी में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। सभी धमाके घनी आबादी वाले स्थानों पर हुए हैं। आतंकियों ने दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनाट प्लेस में धमाका किया। साथ ही, करोल बाग इलाके में गफ्फार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-१ में भी बम विस्फोट किए गए। इन तीनों इलाकों में सुबह से ही देर रात तक काफी भीड़ रहती है।
पहला धमाका करोल बाग इलाके में इलेक्ट्रानिक सामान के लिए मशहूर गफ्फार मार्केट में शाम ६.१० बजे हुआ। आशंका है कि विस्फोटक एक आटो में रखा था। इस धमाके में कम से कम २० लोग जख्मी हुए और कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई। घायलों को पास के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ ही देर बाद कनाट प्लेस में दो धमाके हुए। इनमें दस लोगों के घायल होने की खबर है। दो और धमाके ग्रेटर कैलाश-१ के एम ब्लाक में हुए। यहां बताया जाता है कि विस्फोटक कूड़ेदान में रखे गए थे। धमाकों के बाद दिल्ली में सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए गए हैं। इसके अलावा पड़ोसी राज्य उत्त्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
इतिहास से
संपादित करें- २९ अक्टूबर २००५: सरोजिनी नगर, पहाड़गंज, गोविंदपुरी में हुए धमाकों में ५९ लोग मारे गए व १५५ घायल हुए।
- १३ दिसम्बर २००१: संसद पर हुए हमले में ११ लोग मारे गए और ३० घायल हो गए।
- १८ जून २०००: लाल किले पर हुए हमले में २ लोग मारे गए।
- १६ अप्रैल १९९९: होलंबीकलां रेलवे स्टेशन पर हुए धमाके में २ लोग मारे गए।
- २६ जुलाई १९९८: अंतरराज्यीय बस अड्डे पर हुए विस्फोट में २ लोगों की मौत, ३ घायल।
- ३० दिसम्बर १९९७: पंजाबी बाग में हुए विस्फोट में ४ लोग मारे गए तथा ३० घायल।
- ३० नवम्बर १९९७ : चांदनी चौक में हुए धमाके में ३ लोग मारे गए और ७३ घायल हो गए।
- १ अक्टूबर १९९७: फ्रंटियर मेल में हुए धमाके में ३ लोग मारे गए।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "धमाकों से दहली दिल्ली". याहू जागरण. मूल से 17 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १३ सितंबर 2008.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "सिलसिलेवार धमाकों से दहली दिल्ली, 18 मरे" (एचटीएमएल). दैट्सइंडिया. अभिगमन तिथि १३ सितंबर 2008.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ "दिल्ली में पाँच धमाके, 18 की मौत" (एसएचटीएमएल). बीबीसी. मूल से 15 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १३ सितंबर 2008.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)