ओस्मियम

76 परमाणु क्रमांक वाला एक रासायनिक तत्व
(Os से अनुप्रेषित)


ओस्मियम (Osmium ; संकेत : Os; परमाणुभार 190 ; परमाणुसंख्या 76) एक रासायनिक तत्व है। यह ज्ञात पदार्थों में सबसे भारी है।

ओस्मियम / Osmium
रासायनिक तत्व
रासायनिक चिन्ह: Os
परमाणु संख्या: 76
रासायनिक शृंखला: संक्रमण धातु

आवर्त सारणी में स्थिति
अन्य भाषाओं में नाम: Osmium (अंग्रेज़ी)

आस्मियम, प्लैटिनम समूह की छह धातुओं में से एक है और इन सबसे अधिक दुष्प्राप्य है। इसको सबसे पहले टेनांट ने 1804ई. में आस्मिइरीडियम से प्राप्त किया। आस्मिइरीडियम को सोडियम क्लोराइड के साथ क्लोरीन गैस की धारा में पिघलाने पर आस्मियम टेट्राक्लोराइड बनता है जो उड़कर एक जगह एकत्र हो जाता है। इसकी अमोनियम क्लोराइड के साथ प्रतिक्रिया कराने पर (NH4)2 OsCl6 बन जाता है, जिसको वायु की अनुपस्थिति में तप्त करने पर आस्मियम धातु प्राप्त होती है।

इसके मुख्य प्राप्तिस्थान रूस, टेसमेनिया तथा दक्षिण अफ्रीका हैं। इसका आपेक्षिक घनत्व 22.5 है तथा यह 2700°C पर पिघलती है। यह अत्यन्त कठोर धातु है और विकार की कठोरता की नाम के अनुसार इसकी कठोरता लगभग 400 है। इसकी विद्युतीय विशिष्ट प्रतिरोधकता 8.8 है। शुद्ध धातु न गर्म अवस्था में और न ठंडी में व्यवहार योग्य है। हवा में गर्म करने पर इसका उड़नशील आक्साइड Os4 बन जाता है। इस धातु पर किसी अवकारक अम्ल का कोई प्रभाव नहीं होता तथा अम्लराज भी साधारण ताप पर इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। यह प्लैटिनम, इरीडियम तथा रुथेनियम धातुओं के साथ बड़ी सुगमता से मिश्रधातु बना लेती है जो अत्यधिक कठोर होती है। इसको प्लैटिनम में आठ प्रतिशत तक मिलाकर काम में लाया जा सकता है। इन मिश्रणों से वस्तुएँ चूर्ण धातुकार्मिकी (पाउडर मेटलर्जी) की रीतियों से निर्मित की जाती हैं। आस्मियम की संयोजकता 2, 3, 4, 6, तथा 8 होती है। इसके यौगिक OsCl3, OsCl4, OsCl6, OsCl8 बनाए जा सकते हैं। OsO4 बहुत ही उड़नशील तथा विषाक्त पदार्थ है।

यह धातु सर्वप्रथम साधारण विद्युत् बल्बों (इनकैंडिसेंट इलेक्ट्रिक बल्बों) में प्रयुक्त की गई, परन्तु यह बहुत ही मूल्यवान् थी और इससे एक वाष्प निकलता था। इसलिए शीघ्र ही इसकी जगह सस्ती और अधिक लाभदायक धातुओं का उपयोग होने लगा। अति सूक्ष्म विभाजित धातु उत्प्रेरक का काम करती है। OsO4 इस धातु का सबसे महत्वपूर्ण यौगिक है। यह औतिक अभिरंजक (हिस्टोलॉजिकल स्टेन) के तथा उंगली की छाप लेने के काम आता है। परक्लोरेट की उपस्थिति में क्लारेट को निकालने में भी इसका प्रयोग होता है। इस धातु का उपयोग सबसे कठोर मिश्रधातुओं के बनाने में होता है। ये मिश्रधातुएं बहुमूल्य औजारों के भारु (बेयरिंग) बनाने में और आस्मियम-इरीडियम मिश्रधातु फाउंटेनपेन की निब बनाने में काम आती है।

इन्हें भी देखें संपादित करें