कम्बाला एक खेल

    यह खेल कर्नाटक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों मेंं खेला जाता है।यह खेल भैंसौ की दौड़ पर आधारित हैं। यह खेल नवंबर से मार्च माह के दौरान आम तौर पर दलदली धान के खेत में खेला जाता है।

प्रतियोगिता के आयोजन के दौरान दो भैंसों के दो जोड़ों को गीले चावल के खेतों के बीच किसान अपने कोडे के द्वारा नियंत्रित कर दौड़ाता है।

   नवंबर 2016 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पशुओं के एथिकल ट्रीटमेंट का हवाला देते हुए, पशु क्रूरता नियम के अंतर्गत राज्य में Kambala (भैंस दौड़) और बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तमिलनाडु के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू पर लगाए गए प्रतिबंध के आधार पर जारी किया गया था। फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में जल्लीकट्टू पर से रोक हटाई जाने के उपरांत कर्नाटक में इस पारंपरिक खेल पर से रोक हटाई जाने की मांग तेजी से बढ़ रही थी।
 
    13 फरवरी 2017 को कर्नाटक विधानसभा ने “पशु क्रूरता निवारण (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2017” को सर्वसम्मति से पारित किया। पशु क्रूरता निवारण (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2017 पारंपरिक Kambala (भैंस दौड़) और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देता है। यह बिल “पशु क्रूरता अधिनियम 1960” के दायरे से Kambala (भैंस दौड़) और बैलगाड़ी दौड़ को छूट देने का प्रावधान करता है। यह बिल कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई आर वाला द्वारा राष्ट्रपति की सहमति हेतु पेश किया जाएगा, जिस के उपरांत इसे एक केंद्रीय कानून का दर्जा प्राप्त होगा।