विकिपीडिया सदस्य राठोड़ श्रावण संपादित करें

मेरा नाम राठौड़ श्रावण मैं हिंदी,तेलगु भाषा का लेखक हू। मैं हिंदी प्रध्यापक शासकिय कनिष्ट माहाविध्यलय इद्रवेल्लि जिल्ला आदिलाबाद तेलंगाना में कार्यरत हूं।


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मेरा जन्म सन् २१अगस्त १९७२ में तेलंगाना के आदिलाबाद जिल्ला स्थित नारनुर तहसील के निकट सोनापुर तांडे में एक सामान्य गरीब किसान परिवार में हुआ था। मेरा पिता का नाम रतनसिंग राठौड और माता का नाम जिजाबाई है। पिताजी एक छोटे से कृषक थे। मैं खेती खलीहानी के ‌कार्य में पिता की मदत करता था। मैं उस्मानिय विश्वविध्यालय हैदराबाद से स्नातक होने के बाद एम ए कि परिक्षा उत्तीर्ण कीया। हिंदी साहित्य मे विशेष रुचि होने के कारण भारतीय विश्वविध्यल में प्रोफेसर बनने ‌के‌ लिए विश्वविध्यालयीन अनुदान आयोग द्वारा आयोजित नेट परीक्षा पास कीया। उस्मानिया विश्वविध्यालय पीएचडी के‌ उच्चतम अभ्यास क्रम के लिए दाखिला पाकर स्वास्थय बिगड़ने के कारण पिएचडि का अभ्यास क्रम अधुरा छोड़ दिया । आदिलाबाद जिल्ला हिंदी संरक्षण समिति जिल्ला मुख्य सचिव के‌ रुप में काम किया। उटनुर साहित्य मंच के आध्यक्ष रहा हूं।। काव्य ‌प्रेमी साहित्य‌ में अभिरुचि होने के नाते‌ ‌मैं हिंदी,तेलुगु भाषा में लेखन‌ कार्यरत करता‌‌ हूं। वर्तमान में मेरा मैं उटनुर जिल्ला आदिलाबाद में रहता हूं।

प्ररभिक शिक्षा संपादित करें

मेरी प्ररभिक शिक्षा जनजातीय एजेन्शी क्षेत्र के सरकारी आश्राम पाठशाला जैनुर तहसिल के अंतर्गत पानापठार गँव में हुई। उन्नत शिक्षा नारनुर के निकट भिमपुर पाठशाला में हुई थी। बचपन से मैं पड़ने लिखने में होसियार रहनेके कारण मुँझे गुरुजनोने कुशाग्र बुद्धि के छात्र कहते थे।१९८९ में मैं बेल्लमपल्लि रेसिडेंशियल विद्यालय में मैने दसवि कक्षा कि परिक्षा प्रथम श्रेणी में पास किया।१९९१ में माध्यमिक शिक्षा इण्टर उत्तीर्ण करने के बाद नियमित सरकारी पाठशाला में आध्यपक हुआ। सरकारी नैकरी करते हुये।१९९५ में उस्मानिया विश्वविध्यालय में बीए की परीक्षा १९९७ में बीएड की परीक्षा और हिंदी विद्वन की परीक्षा हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद से प्रथम क्षेणी में पास होनेके बाद सन २००४ में मैं एमए की परिक्षा उत्तीर्ण कीमा।

आजीविका संपादित करें

प्रसतुत मै आदिलाबाद जिला के शासकीय कनिष्ठ माहाविध्यालय इद्रवेल्लि में हिंदी प्रध्यापक के रुप में कार्यारथ हूं। मुझे साहित्य में आभिरुचि होने के कारण मैं हिंदी,तेलुगु भाषा में रचना करता हूं। सन २०१७-२०१८ में दो साल मैं उटनुर साहिती मंच के अध्यक्ष रहा हूं। आदिलाबाद जिल्ला बंजारा लेखक संघ के गोरव सलहादार के रुप में कार्यरत हूं। साहित्यिक सेवा के माध्यम से बंजारा समाज की संस्कृति जीवन पद्धति,आचार विचार, रीति रिवाज रहन ससन इत्यादी भावनात्मक संबंधी विचार विकसित करते हुवे रचना के माध्यम से समाज तक पहुंचाने का प्रयत्न कररहा हूं। आज तक तीन हो से अधिक लघु कविताएँ,पुस्तक समीक्षा, निबंध लिख चुका हूं।

साहित्य में योगदान संपादित करें

हिंदी,तेलुगु साहित्य में मेरा अमूल्य योगदान है। हिंदी में निबंद,पुस्तक समिक्षा,तेलुगु में स्वतत्रता सेनानी वीरों का गौरव करते हुवे मैं देस भक्ति किताब लिखा हू। बंजारा समाज का एक सर्व‌सामान्य व्यक्ति हैं।न तो कोई बडा‌नेता है। नहीं कोई‌बडाअधिकारी फिर भी समाज के‌लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाला बानोत जालमसिंग की जीवनी लिखकर बंजारा समाज तक पहुचानेका कार्यरत किया हूं। विशेष रुप‌ से पेड़ पौधे लगाने का महत्त्व और उन से होनेवाला लाभ आज के समय में वृक्षारोपण बहुत जरुरी है। पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। कहते हुवे तेलुगु भाषा में‌ "हारित हारम कुछ मुत्यालहारम" नामक नाम से एक किताब का संपादक‌के रुप में आदिलाबाद जिला परिषद अध्यक्ष माननीय श्री राठौड़ जनार्धन जी के करकमलों से लोकार्पण‌किया।