Saumya729
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Saumya Bansal
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मेरी तस्वीर
नाम सौम्या बंसल
जन्म तिथि २५,फरवरी २०००
जन्म स्थान गोंडा
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
शिक्षा बीएससी
महाविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
विश्वविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
उच्च माध्यामिक विद्यालय भारत अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय,जयपुर
सम्पर्क विवरण
ईमेल saumya.bansal@science.christuniversity.in
फेसबुक fb.com/saumyab1234

जनम संपादित करें

मेरा नाम सौम्या बंसल है। मेरा जन्म २५ फरवरी [[1]] को एक छोटे से गोंडा नामक जिले में हुआ । यह उत्तर प्रदेश में अयोध्या के निकट ही स्थित है। मेरा जिला भले ही बहुत ज़्यादा विकसित ना हो पर वहां का पर्यावण माहौल लोगों का स्वभाव उससे अद्भुत बनाता है।

परिवार संपादित करें

मेरा बचपन के सारे सुनहरे पल इसी जिले के गलियों में बिताया है। मेरा एक बहुत बड़ा संयुक्त परिवार है जो मेरा अभिमान है।मेरे परिवार में मेरे प्रिय दादा बृजमोहन लाल बंसल और मेरे दादी लक्ष्मी बंसल जो अब हमारे बीच नहीं हैं पर हमेशा से वो हमारे सहारा और आत्मविश्वास रहे हैं। मेरे दो बड़े ताईजी- ताऊजी और एक चाचा - चाची भी हैं। मेरे पिता श्री का नाम अरुण कुमार बंसल है और मेरी माता जी का नाम अनामिका बंसल है। मेरे पिता जी का दाल चावल के लेन देन का कारोबार है। मेरे माता जी घरकर्णी है ।मेरे भाई भी है जो मुझसे ४ साल बड़ा है । उसका नाम माणिक्य बंसल है वह एक इंजिनियर है । उसका और मेरा बचपन बहुत ही खुशहाल है क्योंकि हमारा चचेरे कई भाई बेहन हैं।

बचपन संपादित करें

मुझे आज भी मुझसे बड़े मेरे सारे भाई दीदी बोलते हैं क्योंकि में अपने घर की पहले लड़की हूं। मेरे पैदा होने पर मेरा दादा के जैसे सारे अरमान ही पूरे हो गए हूं। मेरे दादा मुझे हमारे बगीचे में रोज तहलाने लेके जाते थे और देखते देखते इसी दौरान कब मुझे पेड पौधों से प्यार हो गया मुझे पता भी नहीं चला और मैंने मन बनाना लिया शुधकर्ता बनाने का।इसलिए आज में अपने घर से दूर इतनी दूर बैंगलोर में क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए हूं।पर मेरे सपनो के उड़ान तो बचपन में ही शुरू हो गए थे

शिक्षा संपादित करें

मेरा पहला नाटक विद्यालय का नाम ड्रीम वर्ल्ड था ।
उसके बाद में सैंट एंथोनी में गए वहां पर मैंने तीसरी कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की
उसके बाद में दूसरे स्कूल इसलिए चलेगाई क्योंकि मेरा भाई हॉस्टल में चला गया था। उसके बाद मैं फातिमा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गई वहां से में आठवीं  की शिक्षा प्राप्त की़
उसके बाद मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा से एक छात्रावास जाना था इस बात को लेकर मेरे माता पिता ने काफी सोचने लगे और उसके बाद उन लोगों ने मुझे लड़कियों के सबसे बादे छात्रावास  में डाल दिया उसका नाम विद्या देवी जिंदल स्कूल हिसार था। वहां  जा कर  बहुत कुछ नया करना  सीखा । स्वििमिंग, गायन मिल जुल कर रहना आदि। हम लोग चाार के बीच में कमरा साझा था।  हम लोग एक दूसरे के साथ एक परिवार की तरह रहते थे एक ऐसा परिवार जो हमेशा एक दूसरे के लिए रहते हैं । मेरे पिताहमेशा  से चाहते थे कि मै १० में १० सीजीपीए ले आओं और उसको पूरा  करने के लिए मैंने अपना पूरी तैयारी की और उससे हासिल किया।
उसके आगे मेरी सपनो को एक नया रास्ता दिय मेरे नय स्कूल(भारत अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय)  ने मुझे काफ़ी  नए चीज़ का अनुभव करवा है।वहां पर मैंने अपनी १२ की पढ़ाई पूरी की और मैंने ९२.४ परसेंटेज प्राप्त की इस बात को लेकर मेरे पिताजी आज भी बहुत गर्व महसूस करते हैं  । उसके बाद मैंने बंंगालोर (क्राइस्ट यूनिवर्सिटी) में आके बहुत कुछ सीखा यहां का नया रहना आदि।

रूचि संपादित करें

मुझे हस्तकला या शिल्पकला मैं काफी ज्यादा दिलचस्पी है मुझे लोगों के लिए गिफ्ट बनाना बहुत पसंद है . मुझे खाना बनान भी आता है और साथ मैंने बचपन मैं हारमोनियम बजाना भी सीखा है और क्लासिकल म्यूजिक भी आती है मैंने डिस्ट्रिक्ट लेवल के क्राफ्ट कम्पेटेशन मैं अपने टीम के साथ जीता है

लक्ष्य संपादित करें

मैने शुधकर्ता कि डिग्री के बादइसे मैं ही मास्टर्स कि पढ़ाई करने का सोचा है। मुझे समाज में सर उठा कर एक सम्मान जनक जीवन जीना और जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना है। मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य समाज के निचले वर्ग के कल्याण की दिशा में थोड़ा कुछ योगदान देना है। मुझे अपने दादा का सपना पूरा करना है और एक सफल शोधकर्ता बनाना है साथ ही मैं मुझे बचपन से गरीब या निचले वर्ग के लोगों की मदद करना बहुत पसंद है तू मैं अपने दादा के नाम पर एक संस्था खुलना चाहती हूँ . बास मेरे यही कोशिश है के मैं अपने लक्ष्य को सचाई और अच्छाई से प्राप्त कर सकूं

विकिपीडिया संपादक को नोट:

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धन्यवाद।