Ankit udit kanojia
प्रस्तावना
Ankit udit kanojia जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,14,597 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
|
विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
| |
(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
भारतीय जड़ी बूटी का महत्व संपादित करें
भारत देश को ऐसे ही नहीं सोने की चिड़िया नहीं कहा जाता है, इस देश में कई विशेषताओ के कारण हमारा भारत सोने की चिड़िया कहलाता है, उसमें से एक विशेषता है भारत देश में मिलने वाली भारतीय जड़ी बूटियां हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार है ,जो दादी नानी के जमाने से हमारी रसोई घर में मसाले के रूप में प्रयोग में ले जा रहे हैं,आईए जानते हैं इन कुछ 12 भारतीय जड़ी बूटियां के बारे में :-
1 हरीतकी:- आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि हरीतकी कई सारी बीमारियों से बचाव और उपचार में काम आता है। इसमें मुख्य रूप से पाचन में सुधार, वेट लॉस, एंटी एजिंग, कब्ज से राहत, डायबिटीज कंट्रोल, ट्यूबरक्लोसिस में फायदेमंद जैसे लाभ शामिल है। इसके अलावा क्रोनिक कफ, एनल फिशर, बवासीर जैसी लगभग सैकड़ों बीमारियों में इसका सेवन फायदेमंद होता है। हरीतकी चूर्ण का सेवन गर्म पानी, शहद या छांछ के साथ मिलाकर किया जाता है।
2 आंवला:- आंवला एक खट्टा फल है जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में कई बीमारी के उपचार और बचाव के लिए किया जाता है। आंवला को मुख्य रूप से बालों और त्वचा से जुड़ी समस्याओं में इस्तेमाल के लिए जाता है। इसके अलावा इसका सेवन मुंह के अल्सर, कब्ज, मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी कई बीमारियों में फायदेमंद होता है। इसका सेवन चूर्ण या जूस के रूप में कर सकते हैं।
3 अश्वगंधा :- अश्वगंधा को 'आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का राजा' माना जाता है। आयुर्वेद के आचार्य अश्वगंधा को लगभग 3,000 से अधिक वर्षों से कई तरह के शरीरिक और मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल करते आ रहें हैं।
4 तुलसी:- तुलसी का एक पौधा है। जिसे धार्मिक मान्यताओं के वजह से लंब समय से पूजा किया जाता रहा है। वहीं, आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को कई तरह की बीमारियों से बचाव और उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। इसके अलावा तुलसी सर्दी-जुकाम, साइनोसाइटिस, राइनाइटिस, स्किन डिजीज, डिप्रेशन, किडनी स्टोन और लंग्स कैंसर से बचाव में फायदेमंद होता है।
5 एलोवेरा:- एलोवेरा को आयुर्वेद की भाषा में घृतकुमारी कहा जाता है। यह त्वचा और बालों को सेहतमंद रखने के अलावा लीवर से जुड़ी समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। इसके साथ ही एलोवेरा का सेवन मुंह से दुर्गंध, गालब्लेडर स्टोन, कब्ज, हाई ब्लड शुगर जैसी कई तरह की बीमारियों में लाभकारी साबित हो सकता है।
6 अदरक:- आयुर्वेद एक्सपर्ट बताते हैं कि छोटे से अदरक के टुकड़े को भोजन से पहले नमक के साथ खाने से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, गैस, एसिडिटी नहीं होता है। इसके अलावा बवासीर, फिशर, वेट लॉस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, डायबिटीज, पीरियड्स क्रैंप, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बिमारियों में अदरक का सेवन कारगर साबित होता है। अदरक के फायदे :- पाचन विकार के लिए सांस विकार के लिए स्त्री रोग के लिए वेदना शामक ।
7 सहजन:- सहजन एक पेड़ है जिसके हर एक भाग में औषधीय गुण मौजूद है। आयुर्वेद में सहजन को लगभग 300 बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
8 दालचीनी:- दालचीनी स्वाद में तीखी-मीठी होती है। यह ऊष्ण, दीपन, पाचक, मुत्रल, कफनाशक, स्तंभक गुणधर्मों वाली जड़ी-बूटी है। यह मन की बेचैनी कम करती है, यकृत के कार्य में सुधार लाती है और स्मरण शक्ति बढ़ाती है। दालचीनी के फायदे :-पाचन विकार के लिएजुकाम के लियेस्त्रीरोग के लिएखाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ।
9 करी पत्ता:- करी पत्ता सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते होते हैं जो कि एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहे को भी अत्यंत स्वादिष्ट बना सकते हैं। कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। करी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है जिन्हें हम चावल, डोसा और इडली इत्यादि के साथ प्रयोग करते हैं। करी पत्ता के लाभ पाचन विकार के लिए स्वस्थ बालों के लिए कोलेस्ट्राल नियंत्रण करने के लिए ।
10 इमली :- भूरे रंग की नाज़ुक फली के अंदर जो मांसल खट्टा फल होता है उसमें टारटारिक एसिड और पेक्टिन समाविष्ट है। आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुज़ंबू , पुलियोगरे इत्यादि बनाते वक्त इमली इस्तेमाल होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहां तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है। इमली के फायदे :- पाचन विकार स्कर्वी सामान्य सर्दी को दूर करने के लिए पेचिश जलने पर ।
11 धनिया:- बारिक छोटे टुकड़ों में कटे हुए धनिया के पत्तों को आपके गरम सूप के कटोरे या अपनी पसंदीदा पावभाजी के ऊपर छिड़कने से बहुत लुभावनी महक आती है और इसमें बहुत अधिक पोषक तत्त्व भी होते हैं। इसके पत्ते, उपजी, बीज और जड़ें, प्रत्येक एक अलग स्वाद प्रदान करते हैं। धनिया के फायदे मुँहासे और काले मस्से सिरदर्द अतिसार और एलर्जी मुंह से दुर्गंध और अल्सर ।
12 लहसुन:- लहसुन प्याज की जाति की वनस्पति है। इस वनस्पति में एक तीव्र गंध होती है जिसके कारण इसे एक औषधि का दर्जा दिया गया है। दुनियाभर में लहसुन का उपयोग मसाले, चटनी, सॉस, अचार तथा दवाओं के तौर पर किया जाता है। लहसुन के फायदे सांस के विकार, दमा पाचन विकार उच्च रक्त चाप हृदय रोग कैंसर त्वचा विकार ।
यह जड़ी बूटियां न केवल हमें स्वस्थ बनाने में प्रयोग की जाती है बल्कि यह हमारे खाने में एक अहम भूमिका निभाती है। Ankit udit kanojia (वार्ता) 10:21, 21 मई 2024 (UTC)