अंतरअनुभागीयता
बहुयामी उत्पीड़न का सिद्धांत
अंतरअनुभागीयता एक सामाजिक सिद्धान्त है जिसके अनुसार प्रत्येक मनुष्य की विलक्षण पहचान नहीं होती। हर मनुष्य का [1] चरित्र अनेक पहचानो का परिणाम है, उदाहरण के लिए - लिंग, जाति, सामाजिक वर्ग, धर्म व वंश। इन अनेक पहचानो से, समाज में उत्पीड़न,[2] भेदभाव और प्रभुत्व की व्यवस्था है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Ritzer, George (2013). Contemporary sociological theory and its classical roots: the basics (4th संस्करण). New York: McGraw-Hill. पपृ॰ 204–207. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780078026782.
- ↑ ""Confronting the Concept of Intersectionality: The Legacy of Audre Lord" by Rachel A. Dudley". scholarworks.gvsu.edu. मूल से 18 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-11-17.
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