अंतर्राष्ट्रीय निधि (अंग्रेज़ी:इंटरनेशनल फंड) ऐसे फंड होते हैं जो कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निवेश करते हैं। निवेशक को किसी एक देश के बाजार में होने वाली अस्थिरता से बचाने के लिए ही इंटरनेशनल फंड में निवेश करने का चलन बढ़ा है।[1] बाजार में इंटरनेशनल फंड कई पैकेज में उपलब्ध होते हैं। मोटे तौर पर ये दो प्रकार के होते हैं। पहली तरह के फंड में आंशिक रूप से विदेशी और आंशिक रूप से विदेशी बाजार में निवेश किया जाता है। दूसरी तरह के फंड पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय होते हैं जो कि पूरा निवेश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करते हैं। कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जो स्वदेश के अतिरिक्त सिर्फ एक देश में निवेश करते हैं। इन फंड की सफलता काफी हद तक घरेलू म्यूचुअल फंड की तरह ही होती है।

इसका सबसे बड़ा जोखिम मुद्रा का होता है। जब निवेशक पैसा निकाल रहे होते हैं या निवेश कर रहे होते हैं, उस दौरान मुद्राओं के मूल्य में अंतर आ सकता है। ऐसे में संभव है कि वो लाभ कमाने के बावजूद भी ज्यादा पैसा न कमा पाएं। हालाँकि इंटरनेशनल फंड डायवर्सिफिकेशन प्रदान करते हैं पर इसके लिए निवेशकों को काफी दिमाग लगाना होता है कि किसी विशेष देश के हिसाब से पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाए। पोर्टफोलियो बनाने में थोड़ी सी चूक भी निवेशकों के निवेश को गड़बड़ा सकती है। जानकारों के अनुसार यदि भारतीय बाजार में निवेश करने से इंटरनेशनल फंड में निवेश करने के करीब-करीब पैसा कमा लेते हैं तो ऐसे में भारतीय बाजार में ही निवेश करना बेहतर है।