अकबरी सराय
अकबरी सराय का निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में हुआ था। इस ऐतिहासिक इमारत के दरवाजे के ऊपर फारसी भाषा में एक शिलापट्ट जड़ा हुआ है, जिसमें दर्ज है कि इस शाही इमारत का निर्माण लशकर खां की निगरानी में हुआ था। इतिहासकार कमरूद्दीन फलक के अभिलेखों के अनुसार मुगलकाल की इस सराय के कमरों के गुंबद पर हवा के आवागमन के लिये छेद बने हुए हैं। इनमें भूसा भरकर बर्फ रखी जाती थी और उस पर नमक डालते रहते थे। कमरों के अंदर एक हत्था था जिससे ठंडी हवा को बंद-चालू कर सकते थे। [1]
अकबरी सराय | |
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स्थान | बुरहानपुर, महाराष्ट्र |
निर्देशांक | निर्देशांक: 21°18′39″N 76°14′04″E / 21.310956°N 76.2343331°E |
निर्माण | जहांगीर काल |
ऐतिहासिक महत्व
संपादित करेंमुगल बादशाहों ने अपने शासनकाल में बुरहानपुर में आज के पांच सितारा होटलों की तरह ही सराय, कोठों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था। इन इमारतों में जहांगीर के शासन काल में बनी अकबरी सराय सबसे प्रमुख इमारत है। शहर के अंडा बाजार में बनी यह सराय वातानुकूलित थी, जिसमें 110 कमरे थे। इसके मुख्य दरवाजे की ऊंचाई 80 फीट है। मुगल बादशाह जहांगीर से मिलने इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के राजदूत सर टॉमस रो बुरहानपुर आए थे, जिन्हें इसी सराय में ठहराया गया था।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "500 साल बाद अब लौटेगा अकबरी सराय का मूल स्वरूप". bhaskar.com. अभिगमन तिथि 2017-06-27.
- ↑ "ऐसा है अकबरी सराय". patrika.com. अभिगमन तिथि 2017-06-27.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंबुरहानपुर: दक्षिण का द्वार, पर्यटन बुरहानपुर जिले के जालस्थल पर