अक्षय ऊर्जा
अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (अंग्रेजी:renewable energy) में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनः-भरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोगैस, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं। भारत में है
अक्षय ऊर्जा का महत्त्व
संपादित करेंऊर्जा आधुनिक जीवन शैली का अविभाज्य अंग बन गयी है। ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता के अस्तित्व पर एक बहुत बड़ा प्रश्न-चिह्न लग जायेगा ।
- अक्षय ऊर्जा, अक्षय विकास का प्रमुख स्तम्भ है।
- अक्षय उर्जा, ऊर्जा का ऐसा विकल्प है जो असीम (limitless) है।
- ऊर्जा का पर्यावरण से सीधा सम्बन्ध है। ऊर्जा के परम्परागत साधन (कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि) सीमित मात्रा में होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिये बहुत हानिकारक हैं। दूसरी तरफ ऊर्जा के ऐसे विकल्प हैं जो पूरणीय हैं तथा जो पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचाते।
- वैश्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग) तथा जलवायु परिवर्तन से बचाव
अक्षय ऊर्जा स्रोत वर्ष पर्यन्त अबाध रूप से भारी मात्रा में उपलब्ध होने के साथ साथ सुरक्षित, स्वत: स्फूर्त व भरोसेमंद हैं। साथ ही इनका समान वितरण भी संभव है। भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस व लघु पनबिजली उत्पादक स्रोत हैं। २१वीं शताब्दी का स्वरूप जीवाश्म ऊर्जा के बिना निर्धारित होने वाला है जबकि २०वीं शताब्दी में वह उसके द्वारा निर्धारित किया गया था। पूरे विश्व में, कार्बन रहित ऊर्जा स्रोतों के विकास व उन पर शोध अब प्रयोगशाला की चारदीवारी से बाहर आकर औद्योगिक एवं व्यापारिक वास्तविकता बन चुके हैं।
भारत और अक्षय ऊर्जा
संपादित करेंदेश का अपारम्परिक ऊर्जा कार्यक्रम विश्व के इस प्रकार के विशालतम कार्यक्रमों में से एक है। इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रौद्योगिकी, बायोगैस, समुन्नत चूल्हे, बायोमास गैसीफायर, शीघ्र बढ़ने वाली वृक्ष-प्रजातियां, जैवीय पदार्थ का दहन एवं सह-उत्पादन, पवन-चक्कियों द्वारा जल निकासी, वायु टर्बाइनों द्वारा शक्ति का उत्पादन, सौर तापीय व फोटो वोल्टायिक प्रणालियाँ, नागरीय घरेलू तथा औद्योगिक अवजल व कचरे से ऊर्जा उत्पादन, हाइड्रोजन ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, फुएल सेल, विद्युत चालित वाहन (बसें) व परिवहन के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर कार्य हो रहा है।
आने वाले कुछ हजार वर्षों में ही हमारे परम्परागत ऊर्जा स्रोत समाप्त हो जायेंगे। जिसे बनाने में प्रकृति ने लाखों वर्ष लगाएं है उसे हम कुछ ही मिनटों में समाप्त कर देते हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण, सामाजिक एवं आर्थिक दबाव तथा राजनीतिक उठापटक समस्या को और गंभीर बनाते हैं। अतएव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास व प्रयोग तथा इस हेतु दृढ़ इच्छा शक्ति का होना आज की आवश्यकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश
संपादित करेंनीचे की सारणी में विश्व के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा पर प्रति वर्ष निवेश दिखाया गया है।[1]:
देश/संघ | 2004 | 2005 | 2006 | 2007 | 2008 | 2009 | 2010 | 2011 | 2012 | 2013 | प्रतिशत परिवर्तन 2013/2012 |
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यूएसए | 5,5 | 11,7 | 28,1 | 33,6 | 35,9 | 23,5 | 34,7 | 53,4 | 39,7 | 35,8 | -10% |
यूरोपीय संघ | 19,7 | 29,4 | 39,1 | 61,8 | 73,4 | 75,3 | 102,4 | 114,8 | 86,4 | 48,4 | -44% |
चीन | 2,4 | 5,8 | 10,1 | 15,8 | 24,9 | 37,1 | 36,7 | 51,9 | 59,6 | 56,3 | -5% |
भारत | 2,5 | 2,9 | 4,4 | 6,3 | 5,4 | 4,2 | 8,7 | 12,6 | 7,2 | 6,1 | -15% |
विश्व | 39,5 | 64,5 | 99,6 | 145,9 | 171,2 | 168,4 | 226,7 | 279,4 | 249,5 | 214,4 | -14% |
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- संधारणीय ऊर्जा (Sustainable energy)
- नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy)