अख्तर रज़ा खान

भारत के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती

ताजुश्शरियाह[1] (2 फ़रवरी 1943 –– 20 जुलाई 2018) भारत के इस्लाम विद्वान थे। उन्हें अख्तर रज़ा खान और अज़हरी मियाँ के नाम से भी जाना जाता था।[2] वो बरेलवी मुफ्ती थे। अख्तर राजा खान ने अपनी सारी उम्र खत्म ए नवुवत पर पहरा दिया और मुनाफिकों के खिलाफ डटे रहे।वो बेरलवी आंदोलन के विशिष्ट संस्थापक इमाम अहमद रज़ा बरेलवी के पड़पोते थे।[3] उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था, आप ईमाम ए अहले सुन्नत वल जमात इमाम अहमद रज़ा खान मोहद्दीस बरेलवी के पड़पोते, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना हामिद रज़ा खान के पोते और मुफ़्ती आज़म हिन्द मुफ़्ती मुस्तफ़ा रज़ा खान बरेलवी के नवासे और प्रतिनिधि थे! इन्हें फखरे अज़हर पुुु्स्सकाार से सम्मममानित किया गया।[4] इनके करोड़ों अनुयायी थे।[5] इनके 2016 तक 5 करोड़ शिष्य थे।[4] न्यूज चैनल आज तक और अल जजीरा के मुताबिक मौलाना अख्तर राजा खान का जब इंतेकाल हुआ तो उनके जनाजे में 1 करोड़से ज्यादा लोगों ने शए कत की और नमाज ए जनाजा अदा की

उनकी प्रारंभिक शिक्षा मंज़र ए इस्लाम (बरेली) में हुई और आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक यनिवर्सिटी जामिया अज़हर मिस्र चले गये, और वहाँ से सालाना इम्तेहान में फर्स्ट पोज़ीशन हासिल से पास हुए।

वो भारत के सबसे बड़े सुन्नी आलिम ए दीन में से एक थे, आप मोहद्दीस, मुफ़स्सिर, मुफ़्ती, मोलवी, मुसन्निफ़, अदीब व खतीब और सूफी थे, आप भारत के मुफ़्ती आज़म हिन्द और क़ाज़ी उल कज़्ज़ात फिल हिन्द (काज़ी ए हिन्द) थे, सन 2014 ई० में जारी होने वाली 500 बा'असर मुस्लिमों की लिस्ट में आप 22 वें नंबर पर थे![1]

मक़ाम व मर्तबा

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मोहड्डीसुल हरमैन सैय्यद मोहम्मद बिन अलवी मालिकी ने ताजुश्शरियाह को मोहद्दीस ए हनफ़ी, मोहद्दीस ए अज़ीम और आलिम ए कबीर के लक़ब से याद किया, जबकि शैख़ जमील बिन आरिफ हुसैनी शाफ़ई (फ़िलिस्तीन) ने आपको शैख़ुल इस्लाम वल मुसलेमीन, आरिफ बिल्लाह और शैख़ क़ामिल जैसे अलक़ाब से याद किया।

ताजुश्शरियाह अलैहे रहमा की चन्द किताबों के नाम यह हैं!

  1. फतावा ताजुश्शरियाह (उर्दू)
  2. अल्हक्कुल मोबीन (अरबी)
  3. अज़हरुल फतावा (अंग्रेज़ी)
  4. मिरातुल नजदिया बजवाबुल बरेलविया
  5. हाशियतुल अज़हरी अलल सहीह अल बुख़ारी
  6. अनवारुल मन्नान फ़ी तौहीदुल क़ुरआन
  7. मिनहतुल बारी फ़ी सहीह अल बुख़ारी
  8. सफ़ीना ए बख्शिश (दीवान ए शायरी)

ताजुश्शरियाह मुफ़्ती अख्तर रज़ा अज़हरी साहब का इंतेक़ाल 77 साल की उम्र में 20 जुलाई 2018 ई० को बरेली में हुआ , आपकी नमाज़ ए जनाज़ा आपके साहब ज़ादे अल्लामा असजद रज़ा खान साहब ने पढ़ाई। इनके जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए थे।[6] आपके आखिरी दीदार के लिए तकरीबन 1 करोड़ से ज्यादा लोग पूरी दुनिया से आये थे ।

इन्हें भी देखें

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  1. Priyangi, Agarwal (May 3, 2019). "First urs-e-tajusharia to be observed on July 9-10". The Times of India. अभिगमन तिथि: 24 अगस्त 2020.
  2. "Azahri miyan urs: अजहरी मियां के पहले उर्स का हुआ आगाज". Patrika News (hindi भाषा में). अभिगमन तिथि: 24 अगस्त 2020.{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  3. "First urs-e-tajusharia to be observed on July 9-10". द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. 2019-05-03. आईएसएसएन 0971-8257. अभिगमन तिथि: 2024-09-26.
  4. Aug 8, Priyangi Agarwal / TNN /; 2016; Ist, 22:33. "Bareilly cleric among world's most influential Muslims | Bareilly News - Times of India". The Times of India (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2020-08-22. {{cite web}}: |last2= has numeric name (help)CS1 maint: numeric names: authors list (link)
  5. Priyangi, Agarwal. "Noted Barelvi cleric Azhari Miyan dies". The Times of India (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 22 अगस्त 2020.
  6. यादव, धीरेंद्र (22 Jul 2018). "अजहरी मियां के जनाजे में दिखा जो जनसैलाब, आपने कभी नहीं देखा होगा, देखें तस्वीरें". पत्रिका. अभिगमन तिथि: 24 अगस्त 2020.