अग्नि पंचम
अग्नि पंचम (अग्नि-५) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी अग्नि-५ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। ५ सहस्र किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला (Advanced Systems Laboratory) ने तैयार किया है।
अग्नि-५ | |
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19 अप्रैल 2012 अग्नि ५ का परीक्षण प्रक्षेपण | |
प्रकार | अंतरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक मिसाइल[1][2] |
उत्पत्ति का मूल स्थान | भारत |
सेवा इतिहास | |
सेवा में | 2014[3][4] (परीक्षण) |
द्वारा प्रयोग किया | सामरिक बल कमान |
उत्पादन इतिहास | |
निर्माता | रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) |
इकाई लागत | ₹50 करोड़ (US$7 मिलियन)[5] |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | 50,000 किलो[6] |
लंबाई | 17.5 मीटर[7] |
व्यास | 2 मीटर (6 फीट 7 इंच) |
वारहेड | नाभिकीय |
वारहेड वजन | 1,500 किलोग्राम (53,000 औंस)[12] |
इंजन | तीन चरण ठोस ईंधन |
परिचालन सीमा | 5,000 किलोमीटर (16,000,000 फीट) से अधिक[1][9][10] |
गति | मच 24[8] |
मार्गदर्शन प्रणाली | रिंग लेजर ग्यरोस्कोप और जड़त्वीय मार्गदर्शन प्रणाली, वैकल्पिक रूप से संवर्धित जीपीएस. संभव रडार दृश्य सहसंबंध के साथ टर्मिनल मार्गदर्शन |
प्रक्षेपण मंच | 8 x 8 टाट्रा ट्रांसपोर्टर निर्माता लांचर और रेल मोबाइल लांचर (कनस्तर मिसाइल पैकेज);[11] |
परिवहन | सड़क या रेल मोबाइल |
इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है MIRV तकनीक यानी एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य पुनः प्रवेश वाहन (Multiple Independently targetable Re-entry Vehicle), इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है, एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं, यहां तक कि अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं।
अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता ५ सहस्र किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है।
अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल है। अग्नी-5 के बाद भारत की गिनती उन 5 देशों में हो गई है जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की है. ये करीब 10 साल का फासला है जब भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है। 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल- मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर आई अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें. ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज बालिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। और अब भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ परीक्षण करने जा रहा है अग्नि-5 मिसाइल का। अग्नी-5 पाँच का छठा परिक्षण[मृत कड़ियाँ] 3 जून 2018 को प्रातः 9 बजकर 48 मिनट पर किया गया। [13]
जहां तक भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बालिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की खूबियों का सवाल है। तो ये करीब एक टन का पे-लोड ले जाने में सक्षम होगा। खुद अग्नि-5 मिसाइल का वजन करीब 50 टन है। अग्नि-5 की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। अग्नि-5 सॉलिड फ्यूल की 3 चरणों वाली मिसाइल है। आज जब ओडिशा तट के व्हीलर आईलैंड से भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेन्टल बालिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा तो डीआरडीओ के प्रमुख डॉ॰ वी. के. सारस्वत समेत तमाम आला मिसाइल वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे. अग्नि-५ में RING LASER GYROSCOPE यानि RLG तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। भारत में ही बनी इस तकनीक की खासियत ये हैं कि ये निशाना बेहद सटीक लगाती है।
अगर सबकुछ ठीक से हुआ तो अग्नि-५ को 2014 से भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा। यही नहीं चीनी मिसाइल डोंगफेंग 31A को अग्नि-५ से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-५ की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है।
प्रमुख विशिष्टियाँ
संपादित करें- (१) अग्नि ५ से भारत इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) क्लब में शामिल हो जाएगा। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन पहले से ही इस तरह की मिसाइलों से लैस हैं।
- (२) अग्नि-५ मिसाइल का निशाना गजब का है। यह २० मिनट में ५ सहस्र किलोमीटर की दूरी तय कर लेगी और डेढ़ मीटर के टारगेट पर निशाना लगा लेगी।
- (३) अग्नि-५ से भारत की सामरिक रणनीति में बड़ा बदलाव आएगा। इस मिसाइल से अमेरिका को छोड़कर पूरा एशिया, अफ्रीका और यूरोप भारत के दायरे में होगा।
- (४) यह मिसाइल एक बार छूटी तो रोकी नहीं जा सकेगी। यह गोली से भी तेज चलेगी और १००० किलो का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगी।
- (५) यह भारत की सबसे लंबी दूरी की मारक मिसाइल होगी। वॉरहेड पर एक टन तक का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम।
- (6) अग्नि-५ से भारत की एक मिसाइल से कई न्यूक्लियर वॉरहेड छोड़ने की तकनीक की परख होगी।
- (७) अग्नि-५ मिसाइल की तकनीक छोटे सैटेलाइट छोड़ने में इस्तेमाल हो सकेगी। यही नहीं यह दुश्मनों के सेटेलाइट को नष्ट करने में भी इस्तेमाल हो सकेगी।
- (८)-इसे केवल प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही छोड़ा जाएगा। भारत इसे 'शान्ति शस्त्र' (वेपन ऑफ पीस) कह रहा है।
- (९) १७ मीटर ऊंची इस मिसाइल में गजब की टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। यह मिसाइल तीन स्टेज में मार करेगी। पहला रॉकेट इंजन इसे ४० किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाएगा। दूसरे स्टेज में यह १५० किलोमीटर तक जाएगी। तीसरे स्टेज में यह ३०० किलोमीटर तक जाएगी। कुल मिलाकर यह ८०० किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगी।
- (१०) भारत के पास अभी तक सबसे अधिक दूर तक मार करने वाली मिसाइल अग्नि ४ है। यह साढ़े ३ सहस्त्र किलोमीटर तक मार करती है। अग्नि-५ पाँच सहस्र किलोमीटर तक मार करेगी।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Rajat Pandit (17 नवम्बर 2011). "Eyeing China, भारत to enter ICBM club in 3 months". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. मूल से 19 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2012. Archived 2012-04-19 at the वेबैक मशीन
- ↑ Rahul Datta (8 अक्टूबर 2011). "With Russian help, भारत to enter ICBM club soon". Dailypioneer. मूल से 26 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2012.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;IExpress
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ "DRDO Lab Develops Detonator for Nuclear Capable Agni-V Missile As It Gets Ready For Launch". Defencenow. 17 जनवरी 2012. मूल से 22 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जनवरी 2013.
- ↑ ""India has all the building blocks for an anti-satellite capability"". India today. मूल से 1 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अगस्त 2012.
- ↑ T.S. Subramanian (23 जुलाई 2011). "अग्नि V के प्रक्षेपण के लिए शीघ्रता से तैयारियाँ". द हिन्दू. मूल से 9 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2012.
- ↑ "DRDO plans to test 10 missiles this year". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. 27 जनवरी 2011. मूल से 1 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्टूबर 2011. Archived 2013-05-01 at the वेबैक मशीन
- ↑ Raj Chengappa (16 अप्रैल 2012). "India's most potent missile Agni V all set for launch". The Tribune. मूल से 28 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2012.
- ↑ "India eyes Agni-VI to double range". Asianage. 20 अप्रैल 2012. मूल से 22 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2012.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;Deccan
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Y. Mallikarjun, Agni-V design completed; to be test-fired in 2010 Archived 2011-05-10 at the वेबैक मशीन, द हिन्दू, 27 नवम्बर 2008
- ↑ Rajat Pandit (20 अप्रैल 2012). "Canister storage gives N-capable Agni-V missile flexibility". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. मूल से 2 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2012.
- ↑ सीमा संघोष - पूर्वी सागर ब्यूरो (3 June 2018). "अग्नि-5 का छठा परीक्षण सफल, मारक क्षमता 8000 कि॰मी॰". सीमा संघोष. अभिगमन तिथि 3 June 2018.[मृत कड़ियाँ]