अढ़ाई दिन का झोंपड़ा

ढाई दिन यानि 60 घण्टे में बनाई गई मस्जिद ये गलत बात है इसे ढाई दीन का झोपड़ा इसीलिए कहते है क्योंकि य

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (प्राचीन संस्कृत पाठशाला )' अजमेर' राजस्थान के अजमेर नगर में स्थित हैंं। इस स्थान पर संस्कृत विद्यालय ['सरस्वती कंठाभरण पाठशाला'] एवं विष्णु मन्दिर का निर्माण चतुर्थ विग्रहराज (बिसलदेव) चौहान ने करवाया था। माना जाता है इसका निर्माण सिर्फ अढाई दिन में यहाँ पहले से प्राचीन संस्कृत पाठशाला को मस्जिद मे परिवर्तित कर के किया गया और इस कारण इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पड़ गया। इसका निर्माण भारतीय सनातन संस्कृति को नष्ट करने के लिए मोहम्मद ग़ोरी के आदेश पर मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुब-उद-दीन ऐबक ने वर्ष 1194 में करवाया था। मोहम्मद गौरी ने तराईन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया उसके बाद पृथ्वीराज की राजधानी तारागढ़ अजमेर पर हमला किया। यहां स्थित संस्कृत विद्यालय में उपरी ढाचे को बदल करके मस्जिद में परिवर्तित कर दिया आज देख रेख न होने से जर्जर हालत में है । ।[1] इसका निर्माण संस्कृत महाविद्यालय के स्थान पर हुआ।[2][3] इसका प्रमाण अढाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के बायीं ओर लगा संगमरमर का एक शिलालेख है जिस पर संस्कृत में इस विद्यालय का उल्लेख है। इसकी दीवारों पर हरकेली नाटक (विग्रहराज चतुर्थ द्वारा रचित)के अंश मिलते हैं जोनिस्के संस्कृत पाठशाला होने के साक्षी हैं।

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा
Adhai Din-ka-Jhonpra Screen wall (6133975257).jpg
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताइस्लाम
अवस्थिति जानकारी
नगर निकायअजमेर
राज्यराजस्थान
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा is located in भारत
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा
राजस्थान के मानचित्र पर अवस्थिति
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा is located in राजस्थान
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (राजस्थान)
भौगोलिक निर्देशांक26°27′18″N 74°37′31″E / 26.455071°N 74.6252024°E / 26.455071; 74.6252024निर्देशांक: 26°27′18″N 74°37′31″E / 26.455071°N 74.6252024°E / 26.455071; 74.6252024
वास्तु विवरण
संस्थापककुतुब-उद-दीन ऐबक
शिलान्यास1192
निर्माण पूर्ण1199

अन्य मान्यता अनुसार यहाँ चलने वाले ढाई दिन के( पंजाब शाह के) उर्स के कारण इसका नाम पड़ा।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

यहाँ भारतीय शैली में अलंकृत स्तंभों(16खंभों पर स्थित है) का प्रयोग किया गया है, जिनके ऊपर छत का निर्माण किया गया है। मस्जिद के प्रत्येक कोने में चक्राकार एवं बासुरी के आकार की मीनारे निर्मित है । 90 के दशक में इस मस्जिद के आंगन में कई देवी - देवताओं की प्राचीन मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई पड़ी थी जिसे बाद में एक सुरक्षित स्थान रखवा दिया गया। ये भारत की सबसे प्राचीन इस्लामी मस्जिदों में शुमार है। इस लेख के इतिहासकार जावेद शाह खजराना के अनुसार केरल स्थित चेरामन जुमा मस्जिद के बाद अढाई दिन का झोपड़ा सबसे पुरानी मस्जिद है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

इतिहाससंपादित करें

इस स्थान पर संस्कृत विद्यालय 'सरस्वती कंठाभरण महाविद्यालय' एवं विष्णु मन्दिर का निर्माण चतुर्थ विग्रहराज (बिसलदेव) चौहान ने करवाया था।

सन्दर्भसंपादित करें

  1. J.L. Mehta. Medieval Indian Society And Culture. 3. Sterling. पृ॰ 175. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-207-0432-9. ...Adhai din ko Jhompra at Ajmer were built by him out of the material of demolished Hindu temples...the masjid at Ajmer was erected on the ruins of a Sanskrit college
  2. Betsy Ridge and Peter Eric Madsen (1973). A traveler's guide to India. Scribner. पृ॰ 90.
  3. David Abram (2003). Rough Guide to India. Rough Guides. पृ॰ 185. मूल से 1 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 फ़रवरी 2016.

बाहरी कड़ियाँसंपादित करें