अदरखी जाति बिहार के नवादा,गया,नालन्दा जिले में पाई जाने वाली हिन्दू जाति है। बिहार के पूर्णिया व बेगूसराय जिलों में अदरखी जाति को अवध बनिया जाती के रूप में भी जाना जाता है। अदरखी जाति के लोग महतो,प्रसाद,आदर्शी जैसे उपनामों का प्रयोग करते हैं। अदरखी जाति को बिहार सरकार की सेवाओं में अत्यन्त पिछड़ा वर्ग के रूप लाभ मिलता है। तथा भारत सरकार की सेवाओं में पिछड़ा वर्ग में शामिल है। नवादा व गया जिलों में अदरखी जाती की अच्छी-खासी जनसंख्या होने के बावजूद उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। नवादा जिले के नरहट प्रखंड के बनिया बीघा गावँ में तथा कदीरगंज के लोहरपुरा गांव में यह जाती मुख्य रूप से बहुसंख्यक है। अन्य हिन्दू जातियों की तरह अदरखी जाति भी दहेज जैसी कुप्रथा से अछूत नहीं है। हालांकि इस दिशा में काफी प्रयास हुए हैं। और काफी कुछ होना बाकी है। अदरखी जाति के लोग अब कुछ अच्छे प्रशासनिक पदों पर पहुँचने लगे हैं। मुख्य रूप से कृषि में लगी यह जाति, जमीनों के अभाव व बिखराव के कारण पिछड़ते जा रही है। हालांकि विकास तो हुए हैं परंतु अन्य जातियों के विकास के अपेक्षा इसे शून्य ही माना जाना चाहिए। अदरखी जाती ऋषि मुनियों के वंशज हैं। ये जाति भगवान श्री राम के आदर्शों पर चलती है। ये जाति क्षत्रिय वर्ण में आती है।