अध्यारोपण प्रमेय
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। स्रोत खोजें: "अध्यारोपण प्रमेय" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
अध्यारोपण प्रमेय (superposition theorem) सभी रेखीय तन्त्रों पर लागू होता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी एक आवेश पर एक से अधिक आवेश कुलंबी बल लगाते हैं तो उस आवेश पर लगने वाला कुल कुलंबी बल उन सभी आवेशों के स्वतंत्र रूप से लगाए गए कुलंबी बल के सदिश योगफल के बराबर होता है।
विद्युत परिपथों के लिये अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार किसी रेखीय परिपथ के किसी शाखा में कुल धारा का मान प्रत्येक स्रोत द्वारा, अकेले कार्य करते हुए, उस शाखा में प्रवाहित धाराओं के बीजगणितीय योग के बराबर होती है।
किसी एक स्रोत का योगदान निकालने के लिये अन्य स्रोतों को निष्क्रिय करना आवश्यक है। इसके लिये -
- सभी अन्य वोल्टता स्रोतों को शॉर्ट करना पड़ता है (V=0), तथा
- सभी धारा श्रोतों को खोल देना (ओपेन) पड़ता है (I=0)।
महत्त्व
संपादित करेंअध्यारोपण का सिद्धान्त परिपथ विश्लेषण में बहुत उपयोगी है। इसकी सहायता से किसी भी जटिल (किन्तु रेखीय) परिपथ को अत्यन्त सरल तुल्य थेवेनिन या तुल्य नॉर्टन परिपथ में बदला जा सकता है। किन्तु ध्यान रहे कि अरेखीय परिपथों में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंयह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |