अनुच्छेद 160 .....भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 6 में शामिल है और कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन का वर्णन करता है। अनुच्छेद 160 के मुताबिक राष्ट्रपति किसी भी आकस्मिक स्थिति में राज्यपाल के कार्यों के निर्वहन के लिए ऐसा प्रावधान कर सकता है, जो वह उचित समझता है। [1] अनुच्छेद 160 के मुताबिक अगर राष्ट्रपति को लगता है कि किसी असाधारण स्थिति से निपटने के लिए कुछ खास काम करने ज़रूरी हैं, तो वह इस अध्याय के दायरे से बाहर जाकर राज्यपाल को अधिकार सौंप सकता है।[2]
मसौदा अनुच्छेद 138 (अनुच्छेद 160) पर 1 जून 1949 को बहस हुई। इसने राष्ट्रपति या राज्य विधानमंडल को कुछ स्थितियों में राज्यपाल के कार्यों के निर्वहन के लिए नियम बनाने की अनुमति दी। चूँकि विधानसभा ने मसौदा अनुच्छेद 131 ( अनुच्छेद 155 ) पर बहस के दौरान राज्यपालों की नियुक्ति का निर्णय लिया था, एक सदस्य ने प्रस्ताव दिया कि इसे प्रतिबिंबित करने के लिए इस मसौदा अनुच्छेद में संशोधन किया जाए।
संशोधन बिना किसी बहस के स्वीकार कर लिया गया। संशोधित मसौदा अनुच्छेद 1 जून 1949 को अपनाया गया था।[3]
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अनुच्छेद 160 – कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन राष्ट्रपति सी किसी आकस्मिकता में, जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है। राज्य के राज्यपाल के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगा जो वह ठीक समझता है।[4]
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The President may make such provision as he thinks fit for the discharge of the functions of the Governor of a State in any contingency not provided for in this Chapter.[5][6]
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