अनुच्छेद 200 (भारत का संविधान)
भारत के संविधान में अनुच्छेद 200 को भाग 6 में रखा गया है। [1]भारत के संविधान में अनुच्छेद 200 का मुख्य विषय " विधेयकों पर सहमति " है। अनुच्छेद 200 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो विधेयकों की महत्वपूर्णता और पारित की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है।[2]
अनुच्छेद 200 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 6 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 199 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 201 (भारत का संविधान) |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंजब कोई विधेयक एक राज्य की विधान सभा या विधान परिषद द्वारा पारित किया जाता है, तो इसे उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। राज्यपाल को विधेयक पर सहमति देने या रोकने का अधिकार होता है। यदि वह सहमति देते हैं, तो विधेयक को राज्यपाल के सहमति के साथ पारित किया जाता है। राज्यपाल को यह अधिकार होता है कि वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख सकते हैं, जिससे कि राष्ट्रपति के निर्णय के बाद विधेयक को पारित किया जा सके।[3]
राज्यपाल एक विधेयक को सहमति देने के बाद भी उसे वापस भेज सकते हैं। यह स्थिति हो सकती है यदि विधेयक के विषय में अन्य विचारों की आवश्यकता हो या यदि यह विधेयक वित्तीय विधेयक न हो। राज्यपाल को विधेयक पर अपनी सहमति नहीं देने का भी अधिकार है। इस स्थिति में, विधेयक को राज्यपाल के विचार के लिए आरक्षित रखा जाता है और राष्ट्रपति को प्रस्तावित विधेयक के बारे में जानकारी दी जाती है।[4][5]
यदि राज्यपाल को लगता है कि कोई विधेयक जिसे उन्होंने स्वीकृति दी है, अविधेयक हो सकता है और यह राष्ट्रपति की योग्यता को अतिक्रमित कर सकता है, तो वह उच्च न्यायालय की शक्तियों से यह विधेयक रद्द करवा सकते हैं।
मूल पाठ
संपादित करें“ | जब कोई विधेयक किसी राज्य की विधान सभा द्वारा पारित कर दिया गया है या, विधान परिषद वाले राज्य के मामले में, राज्य के विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया है, तो इसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और राज्यपाल या तो घोषित करें कि वह विधेयक पर सहमति देता है या वह उस पर सहमति रोकता है या वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखता है।[6] | ” |
“ | When a Bill has been passed by the Legislative Assembly of a State or, in the case of a State having a Legislative Council, has been passed by both Houses of the Legislature of the State, it shall be presented to the Governor and the Governor shall declare either that he assents to the Bill or that he withholds assent therefrom or that he reserves the Bill for the consideration of the President:[7] | ” |
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसंदर्भ सूची
संपादित करें- ↑ "भारत का संविधान" (PDF). मूल (PDF) से 30 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-04-21.
- ↑ "Constitution of India » 200. Assent to Bills" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-21.
- ↑ "भारत के संविधान में अनुच्छेद 200". अभिगमन तिथि 2024-04-21.
- ↑ "Article 200: Assent to Bills". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-21.
- ↑ "Part VI Archives". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-21.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 106 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 106 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]