अनुच्छेद 3 (भारत का संविधान)

अनुच्छेद 3 भारत के संविधान के भाग 1 में शामिल तीसरा अनुच्छेद है जो संघ में नए राज्यों के गठन और संघ के मौजूदा राज्यों के नामों, सीमाओं या क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के बदलाव या संशोधन का वर्णन करता है। यह अनुच्छेद संसद को कानून के अनुसार मौजूदा राज्यों के क्षेत्र, सीमाओं या नामों को बदलने का अधिकार प्रदान करता है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना राज्य, जो 2 जून 2014 को भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बना भारत का 28 वाँ राज्य है।[1][2][3][4]

अनुच्छेद 3 (भारत का संविधान)  
मूल पुस्तक भारत का संविधान
लेखक भारतीय संविधान सभा
देश भारत
भाग भाग 1
विषय संघ और उसका राज्य-क्षेत्र
प्रकाशन तिथि 1949
उत्तरवर्ती अनुच्छेद 4 (भारत का संविधान)

पृष्ठभूमि संपादित करें

अनुच्छेद 3 (मसौदा अनुच्छेद 3) पर 17 और 18 नवंबर 1948 और 13 अक्टूबर 1949 को बहस की गई जिसके बाद संसद को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों में परिवर्तन करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार दिया गया। इस अनुच्छेद को लेकर संविधान सभा के एक सदस्य का दृढ़ विश्वास था कि किसी मौजूदा राज्य में बदलाव का प्रस्ताव संबंधित राज्य के विधानमंडल से आना चाहिए, न कि संसद से। इसके साथ ही इस निर्णय के संबंध में राज्य के विधानमंडल और राज्य में रहने वाले लोगों से परामर्श किया जाना चाहिए। सदस्य ने आगे तर्क दिया कि एक लोकतांत्रिक शासन में किसी निर्णय से पूर्व हितधारकों से परामर्श करना चाहिए, न कि केवल आदेश थोपने चाहिए। हालांकि इन तर्कों से सभी सहमत नहीं थें। संविधान सभा के एक अन्य सदस्य के अनुसार यह प्रस्ताव राज्यों के अल्पसंख्यक वर्गों की मांगों को दबा देगा क्योंकि इसके कारण किसी राज्य से अपने अलगाव का समर्थन प्राप्त करना असंभव हो जाएगा। इसके अलावा मसौदा समिति के अध्यक्ष ने अपने द्वारा पेश किए गए संशोधन के अनुसार इस प्रस्ताव को अनावश्यक बताया। संशोधन के माध्यम से उन्होंने इस अनुच्छेद के तहत किसी भी कानून को पारित करने से पहले राष्ट्रपति को संबंधित राज्यों से परामर्श करने की आवश्यकता वाले एक खंड को शामिल करने की मांग की जिसके बाद विधानसभा ने मसौदा समिति द्वारा प्रस्तावित संशोधनों के साथ मसौदा अनुच्छेद 3 को अपनाया।[1]

मूल पाठ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Article 3: Formation of new States and alteration of areas, boundaries or names of existing States" [अनुच्छेद 3: नए राज्यों का गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन]. भारत का संविधान. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2024.
  2. "TELANGANA STATE FORMATION | District Medak, Government of Telangana | India" [तेलंगाना राज्य गठन, जिला मेदक, तेलंगाना सरकार, भारत]. medak.telangana.gov.in. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2024.
  3. "भारतीय संविधान अनुच्छेद 3 - LawRato.com". hindi.lawrato.com. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2024.
  4. "Article 3 of the Indian Constitution" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3]. संविधान सरलीकृत. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
  5. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 2 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]
  6. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 2 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]

टिप्पणी संपादित करें

  1. संविधान (पंचम संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा मूल परन्तुक के स्थान पर रखा गया।
  2. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, 1956, धारा 26 और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  3. जम्मू तथा कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परन्तुक जोड़ दिया जायेगा अर्थात्—
    "परन्तु यह और भी कि जम्मू तथा कश्मीर राज्य के क्षेत्र को घटाने या बढ़ाने या उस राज्य के नाम या सीमा को बदलने के लिये उपबन्ध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सम्मति के बिना संसद् में पुरःस्थापित न किया जायेगा।"
  4. Subs. by the Constitution (Fifth Aemendment) Act, 1955, for the original proviso.
  5. The words and letter "specified in part A or part B of the first Shedule" omitted by the Constitution (Seventh Amendement) Act, 1956, s. 29 and Sch.
  6. In its application to the State of Jammu and Kashmir the following further proviso shall be added to art. 3:—
    Provided further that no bill providing for increasing or diminishing the area of the State of Jammu and Kashmir or altering that name or boundary of that State shall be introduced in Parliament without the consent of the Lagislature of that State."

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें