अनुच्छेद 66 (भारत का संविधान)
अनुच्छेद 66 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 5 में शामिल है और उपराष्ट्रपति का निर्वाचन का वर्णन करता है।
अनुच्छेद 66 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग # |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 65 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 67 (भारत का संविधान) |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंमूल पाठ
संपादित करें“ | (1) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन [संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों]* द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।
(2) उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है। (3) कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-- (क) भारत का नागरिक है, (ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और (ग) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है। (4) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
स्पष्टीकरण--इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल** है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।
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“ | (1) The Vice-President shall be elected by the members of an electoral college consisting of the members of both Houses of Parliament in accordance with the system of proportional representation by means of the single transferable vote and the voting at such election shall
be by secret ballot. (2) The Vice-President shall not be a member of either House of Parliament or of a House of the Legislature of any State, and if a member of either House of Parliament or of a House of the Legislature of any State be elected Vice-President, he shall be deemed to have vacated his seat in that House on the date on which he enters upon his office as Vice-President. (3) No person shall be eligible for election as Vice-President unless he— (a) is a citizen of India; (b) has completed the age of thirty-five years; and (c) is qualified for election as a member of the Council of States. (4) A person shall not be eligible for election as Vice-President if he holds any office of profit under the Government of India or the Government of any State or under any local or other authority subject to the control of any of the said Governments. Explanation.—For the purposes of this article, a person shall not be deemed to hold any office of profit by reason only that he is the President or Vice-President of the Union or the Governor of any State or is a Minister either for the Union or for any State. [2] |
” |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 26 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी
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