अनुच्छेद 75 (भारत का संविधान)
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75 केंद्र सरकार के कार्यकारिणी अंग से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों को संक्षिप्त और स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, उनकी शक्तियों और उनके कर्तव्यों का विस्तृत विवरण देता है। इसके साथ ही, यह मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उनके कार्यों के संचालन की रूपरेखा भी प्रस्तुत करता है।
अनुच्छेद 75 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 5 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 74 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 76 (भारत का संविधान) |
अनुच्छेद 75 के प्रमुख बिंदु
संपादित करें- प्रधानमंत्री की नियुक्ति:
अनुच्छेद 75(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जाती है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति की सलाह पर मंत्रिपरिषद के सदस्यों को चुनते हैं, जिन्हें मंत्री कहा जाता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के परामर्श से ही मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
- मंत्रियों की सामूहिक जिम्मेदारी:
अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है। इसका मतलब है कि यदि लोकसभा किसी भी कारण से मंत्रिपरिषद पर अविश्वास व्यक्त करती है, तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
- मंत्रियों का कार्यकाल:
अनुच्छेद 75(2) के अनुसार, राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह प्रधानमंत्री या किसी भी मंत्री को अपने पद से हटाने का निर्णय ले सकता है। मंत्री तब तक अपने पद पर बने रहते हैं जब तक राष्ट्रपति उनकी सेवाएं समाप्त नहीं करता है।
- मंत्री का संसद सदस्य होना आवश्यक:
अनुच्छेद 75(5) में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन उन्हें छह महीने के भीतर संसद के किसी एक सदन (लोकसभा या राज्यसभा) का सदस्य होना अनिवार्य है। यदि वे छह महीने के भीतर संसद के सदस्य नहीं बन पाते, तो उन्हें मंत्री पद छोड़ना होगा।
- मंत्रियों का वेतन:
अनुच्छेद 75(6) में मंत्रियों के वेतन और भत्तों के बारे में प्रावधान किया गया है। इसका निर्धारण संसद द्वारा समय-समय पर किया जाता है।
- मंत्रियों की शपथ:
अनुच्छेद 75(4) के अनुसार, प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पद की शपथ लेने की आवश्यकता होती है। यह शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है, जिसमें वे भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा, देश की अखंडता और गोपनीयता बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।
अनुच्छेद 75 का महत्व
संपादित करेंअनुच्छेद 75 भारत की संसदीय प्रणाली की नींव रखता है। यह प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, जिम्मेदारियां और शक्तियों के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह संसदीय प्रणाली में सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को पुष्ट करता है, जो सरकार को पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करने के लिए प्रेरित करता है।