अन्नपूर्णा मंदिर, वाराणसी

उत्तर प्रदेश देवी- देवताओं की तपोस्थली है। यहाँ अनेकों देवी मंदिर है जिनमें एक मंदिर अन्नपूर्णा देवी का है। अन्नपूर्णा देवी शाकम्भरीशाकम्भरी के नाम से भी विख्यात है। जहाँ उत्तर प्रदेश के एक छोर काशी में माँ जगदम्बा अन्नपूर्णा नाम से जानी जाती है। तो वहीं दूसरे छोर सहारनपुर में शाकुम्भरी के नाम से प्रसिद्ध है ।

अन्नपूर्णामाता

बनारस में काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्‍नपूर्णा का मंदिर है। इन्‍हें तीनों लोकों की माता माना जाता है। कहा जाता है कि इन्‍होंने स्‍वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था। इस मंदिर की दीवाल पर चित्र बने हुए हैं। एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ एक मूर्तियाँ स्थापित है,जिनमें माँ काली,शंकर पार्वती,और नरसिंह भगवान का मंदिर है। अन्नकूट महोत्सव पर माँ अन्नपूर्णा का स्वर्ण प्रतिमा एक दिन के लिऐ भक्त दर्शन कर सकतें हैं। अन्नपूर्णा देवी का संबंध उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर से भी माना जाता है । अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र रचना कर ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। यथा।. अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे,ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती। अन्नपूर्णा मंदिर में निशुल्क भोजन की व्यवस्था है जहाँ दर्शनार्थिय प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं एवं अपनी श्रद्धानुसार दान दे कर पर्ची कटवा सकतें हैं |