अन्नवरपु रामा स्वामी
अन्नवरपु रामा स्वामी (जन्म 1926) भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश, के एक भारतीय शास्त्रीय वायलिन वादक हैं। उन्हें कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।[1][2][3] उन्हें वंदना राग, श्री दुर्गा राग, और तिनत्रादि ताल, और वेदादि ताल जैसे नए रागों और तालों के आविष्कार करने के लिए जाना जाता है।[4] 2021 में, उन्हें कला और साहित्य श्रेणी में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[4] उन्हें 1983 में आंध्र प्रदेश संगीता अकादमी की फैलोशिप से सम्मानित किया गया था।[5][4]
अन्नवरपु रामा स्वामी | |
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पृष्ठभूमि | |
अन्य नाम | अन्नावरपु |
जन्म | 1926 एलुरु, सोमावरप्पडू, आंध्र प्रदेश, भारत |
पेशा | संगीतकार |
वाद्ययंत्र | वायलिन |
पुरस्कार
संपादित करें- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा, 1996 में।[6]
- आंध्र प्रदेश संगीत अकादमी की फैलोशिप, 1983 में।[5]
- पद्म श्री, भारत सरकार द्वारा, 2021 में।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Dasagrandhi, Madhuri (January 19, 2018). "The changing 'tunes' of Carnatic music". तेलंगाना टुडे. मूल से 1 फ़रवरी 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मई 2021.
- ↑ "Violin maestro bemoans diluted standards of music". द हिन्दू. December 12, 2016.
- ↑ Kumar, Ranee (May 26, 2011). "Living by values". The Hindu.
- ↑ अ आ इ ई "Four artistes from Telugu states honoured with Padma Shri". द न्यूज़ मिनट. January 26, 2021.
- ↑ अ आ "Annavarapu Ramaswamy". Sangeetnatak.gov.in. मूल से 14 अगस्त 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मई 2021.
- ↑ "List of Awardees". Sangeetnatak.Gov.in. मूल से 6 फ़रवरी 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मई 2021.