अपोनिया एक यूनानी भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी समकक्ष शब्द "हृदयहीनता" या "दर्द रहित" होना होता है। यूनानी दर्शन में प्रचलित एपिक्युरियन मत के अनुसार अपोनिया शारीरिक स्तर पर सुख प्राप्ति की पराकाष्ठा है। अन्य हेलिनिस्टिक दर्शन की परम्पराओं की भांति ही, एपिक्युरियन भी यही मानते थे कि मानव जीवन का लक्ष्य प्रसन्नता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति आंतरिक शांति में निहित है जो अपोनिया, शारीरिक कष्ट के साथ असम्बध्धता, अटराक्सिया यानी चिंता मुक्ति और मानसिक द्वंदों के निवारण के परिणाम स्वरूप संभव है।

एपिक्युरियन लोगों ने आनंद को दर्द (मानसिक एवं शारीरिक) की अनुपस्तिथि के रूप में पारिभिषित किया था और उनके अनुसार इसलिए आनंद को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकता है जब तक उसमें दर्द का समावेश न हो. उसके परे आनंद का विस्तार संभव नहीं और निश्चित ही यह तर्क दिया जा सकता है कि कोई भी अपोनिया की अवस्था के बाहर रहकर आनंद की प्राप्ति नहीं कर पा सकता. एपिक्युरिअस के अनुसार अपोनिया एक स्थिर सा आनंद था, एक ऐसा आनंद जिसे पाने के लिए किसी अभिलाषा का पूरा किया जाना या निवारण किये जाने हेतु उपस्थित दर्द न था। ऐसी अवस्था में पहुँचने के लिए पहले गतिशील सुख की अनुभूति आवश्यक है, एक ऐसा सुख जो किसी अभिलाषा के पूरा होने या किसी दर्द के निवारण से प्राप्त होता है।