दर्द Archived 2024-02-02 at the वेबैक मशीन या पीड़ा एक अप्रिय अनुभव होता है। इसका अनुभव कई बार किसी चोट, ठोकर लगने, किसी के मारने, किसी घाव में नमक या आयोडीन आदि लगने से होता है।[1] अंतर्राष्ट्रीय पीड़ा अनुसंधान संघ द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार "एक अप्रिय संवेदी और भावनात्मक अनुभव जो वास्तविक या संभावित ऊतक-हानि से संबंधित होता है; या ऐसी हानि के सन्दर्भ से वर्णित किया जा सके- पीड़ा कहलाता है".[2] "IASP definition, full entry". Archived from the original on 12 मई 2008. Retrieved 6 अक्टूबर 2009. ये प्रायः उद्धृत परिभाषा प्रथम बार आई.ए.एस.पी की टैक्सोनॉमी पर बैठी उप-समिति द्वारा प्रतिपादित की गई थी:
Bonica, JJ (1979). "द नीड ऑफ अ टैक्सोनॉमी". Pain. 6 (3): 247–252. doi:10.1016/0304-3959(79)90046-0. ISSN 0304-3959. PMID 460931.
ये हैंरोल्ड मर्स्की की १९६४ में दी गई परिभाषा से व्युत्पन्न है: "एक अप्रिय अनुभव जिसे हम मुख्य रूप से ऊतकों की हानि से जोड़ते हैं, या वर्णित करते हैं, या दोनों।" </ref>
[3] , [4] , [5] .

दर्द
आईसीडी-10 R52
आईसीडी-9 338
DiseasesDB 9503
MedlinePlus 002164
MeSH D010146
दर्द में मस्तिष्क की स्थिति

वर्गीकरण

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दर्द को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, दर्द के कारणों के अनुसार या लक्षणों के अनुसार। दर्द का मौलिक वर्गीकरण दर्द की अवधि के अनुसार होता है;

  • एक्यूट पेन (अल्पकालिक और गंभीर दर्द)
  • क्रॉनिक पेन (दीर्घकालिक दर्द)

अल्पकालिक और गंभीर दर्द

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अल्पकालिक दर्द की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • इसकी अवधि कम होती है।
  • इसके रोग की पहचान एवं पूर्वानुमान की भविष्यवाणी की जा सकती है।
  • चिकित्सा के लिए प्राय़ः दर्दनिवारक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • सामान्यतः इलाज के बाद दर्द ठीक हो जाता है।

क्रॉनिक पेन

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  • क्रॉनिक पेन लगातार रह सकता है या बार-बार हो सकता है। (महीनों या सालों तक रह सकता है)।
  • यह प्रायः किसी दीर्घकालिक बीमारी के कारण होता है और उस रोग के लक्षणों में एक हो सकता है।
  • इसके पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सकते और प्रायः रोग की पहचान सुनिश्चित नहीं होती।
  • इलाज में सामान्यतः कई विधियां सम्मिलित रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं।
  • प्रायः रोग ठीक हो जाने या इलाज पूरा हो जाने के बाद दुबारा दर्द हो सकता है।

क्रॉनिक पेन के उदाहरण

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  • कमर के निचले हिस्से में दर्द
  • आर्थ्राइटिस (गठिया) का दर्द
  • फाइब्रोमायल्जिया
  • माइग्रेन
  • कैंसर के दर्द
  • न्यूरोपेहिक दर्द (ट्राईगेमिनल न्यूराल्जिया, डाइबेटिक न्यूरोपैथी, फेंटम लिंब पेन, पोस्ट हर्पेटिक न्यूराल्जिया)।

एक्यूट पेन और क्रॉनिक पेन में अंतर

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एक्यूट पेन और क्रॉनिक पेन में सबसे बड़ा अंतर ये हैं कि एक्यूट पेन सुरक्षात्मक होता है और रोग समाप्त होने के बाद इससे पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है, जबकि क्रॉनिक पेन प्रायः रोग समाप्त होने के बाद भी नहीं जाता और इसके सामान्यतः कोई लाभ नहीं हैं। इसके अतिरिक्त क्रॉनिक पेन किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित करता है।

विभिन्न प्रकार

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शरीर में होने वाले दर्द को कई बार किसी बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं। ऐसे में इन्हेंअनदेखा करने की बजाय तुरंत इनका इलाज करवाकर बड़ी बीमारी को टाला जा सकता है। इनमें सिरदर्द प्रमुख है।

पेट दर्द होना एक सामान्य सी बात है, लेकिन महानगरों में यह कुछ ज्यादा ही देखने में आता है। वजह यह कि महानगरों के लोगों का खाने-पीने का कोई वक्त नहीं होता। फिर बाहर के खाने से बचना भी यहां के लोगों के लिए मुश्किल होता है। जहां तक महिलाओं की बात है तो उनमें पेट का दर्द यूट्रस में होने वाली समस्याओं का संकेत हो सकता है। अगर पेट दर्द ज्यादा देर तक हो और बढ़कर कमर के पिछले हिस्से तक पहुंच जाए तो इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। कई बार दर्द के साथ-साथ पेट में गड़बड़ भी हो सकती है जैसे कब्ज या डायरिया। सही वजह पता लगाने का सबसे बेहतर तरीका है अल्ट्रासाउंड। इससे पेट की गांठ का आसानी से पता लगाया जा सकता है। अगर जल्दी पता लग जाए, तो सिर्फ दवा से ही इसका इलाज संभव है, लेकिन गांठ बढ़ जाने से की-होल सर्जरी करवानी पड़ती है।

कमर दर्द से भी तमाम लोग परेशान रहते हैं। दिनभर कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। कमर दर्द अगर नीचे की तरफ बढ़ने लगे और तेज हो जाए, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं। कभी-कभी दर्द कुछ मिनट ही होता है और कभी-कभी यह घंटों तक रहता है। ऐसा दर्द पथरी की वजह से हो सकता है। इसकी जांच एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और यूरीन टेस्ट के जरिए करवाई जा सकती है।

जबड़े का दर्द

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जबड़े का दर्द अक्सर जबड़ों के जॉइंट्स के ज्यादा काम करने की वजह से होता है। यह समय के साथ सही भी हो जाता है, लेकिन मुंह खोलते और बंद करते वक्त जब आवाज के साथ ऐसा दर्द हो तो यह जॉइंट की चोट की वजह से भी हो सकता है। साधारण एक्स-रे से इसका पता लगाया जा सकता है। दवा से इसका इलाज करवाया जा सकता है।

जोड़ों का दर्द

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यह दर्द ज्यादातर मामलों में पचास साल की उम्र के बाद शुरू होता है। इसकी शुरुआत घुटनों में हल्के दर्द के साथ होती है। धीरे-धीरे यह दर्द हाथों की अंगुलियों के जोड़ों में भी आ जाता है। यह दर्द हिलने-डुलने से बढ़ता जाता है। दर्द के बढ़ जाने पर तुरंत ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से संपर्क करें। एक्स-रे या बोन डेंसिटी टेस्ट से ऑस्टियोआर्थराइटिस या रुमेटॉइडआर्थराइटिस का पता लगाया जा सकता है। यह समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में पाई जाती है। वजह यह है कि मीनोपॉज के बाद महिलाओं की बोन डेंसिटी बढ़ जाती है। इस बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन फिजियोथेरपी और स्टेरॉइड्स लेकर इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। तकलीफ बढ़ने पर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है।

अंगूठों का दर्द

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अगर अंगूठों में दर्द रहता है तो यह गठिया का लक्षण हो सकता है। जोड़ों में ज्यादा यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा हो जाने से यह दर्द होता है। वक्त गुजरने के साथ ही यह दर्द इतना असहनीय हो सकता है कि इससे चलने-फिरने में भी दिक्कत हो सकती है। इसे एक्स-रे द्वारा पहचानकर दवा से ठीक किया जा सकता है।

माथे का दर्द

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ज्यादातर दर्द पूरे सिर में होता है, लेकिन जब यह दर्द काफी तेज हो तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है, इसलिए सिर दर्द को कभी नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में देखा जाता

इन्हें भी देखें

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  1. The examples represent respectively the three classes of nociceptive pain - mechanical, thermal and chemical - and neuropathic pain.
  2. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; IASPterms नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  3. Merskey, H (1964). An Investigation of pain in psychological illness, DM Thesis. Oxford University.
  4. "15 Of The Worst Pains Humans Can Feel". TheRichest (in अंग्रेज़ी). 2023-12-23. Archived from the original on 2024-01-14. Retrieved 2023-12-23. {{cite web}}: Invalid |url-status=suggested (help)
  5. "दर्द का विवरण". MSD मैन्युअल. जून 2023. Archived from the original on 2024-02-13. Retrieved जून 2023. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help); Invalid |url-status=suggested (help); no-break space character in |work= at position 4 (help)

बाहरी कड़ियाँ

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विकिस्रोत में इस लेख से सम्बंधित, मूल पाठ्य उपलब्ध है:

साँचा:Somatosensory system