अफ़ज़ल गुरु
मोहम्मद अफज़ल गुरु 'एक 'कुख्यात आतंकी' था जो २००१ में भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले का मुख्य आरोपी था जिसे ९ फ़रवरी २०१३ को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फाँसी पर लटका दिया गया। इसका जन्म जून १९६९ में जम्मू और कश्मीर के सोपोर जिले के डोआबगाह गाँव में हुआ था। उसके पिता, हबीबुल्ला, एक लकड़ी और परिवहन व्यवसायी थे। अफज़ल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल, सोपोर से प्राप्त की और १९८६ में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, उसने झेलम वैली मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया,[3] लेकिन वो अपनी पढ़ाई के दौरान आतंकवाद की गतिविधियों में शामिल हो गया।
अफ़ज़ल गुरु | |
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जन्म |
मोहम्मद अफज़ल गुरु' जून १९६९ सोपोर, जम्मू और कश्मीर, भारत |
मृत्यु |
9 फरवरी 2013 (आयु 43) तिहाड़ जेल, दिल्ली, भारत |
निष्ठा | जैश-ए-मोहम्मद |
इरादा | इस्लामी चरमपंथ और अलगाववाद |
आरोप | २००१ संसद भवन हमला |
दोषसिद्धि |
हत्या षड्यंत्र भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना विस्फोटक रखना |
स्थिति | फाँसी[1] |
जीवनसाथी | तबस्सुम गुरु |
मातापिता |
हबीबुल्लाह (पिता)[2] आयशा बेगम (माँ)[2] |
बच्चे | गालिब गुरु |
आरंभिक जीवन
संपादित करेंमोहम्मद अफ़ज़ल गुरु का जन्म जून 1969 में जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर शहर में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से था और उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की। अफ़ज़ल ने बाद में झेलम वैली मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की, लेकिन 1990 के दशक में कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद ने उसके जीवन को बदल दिया।
आतंकवाद
संपादित करें१९९० के दशक की शुरुआत में, जब कश्मीर में हथियारबंद आतकवाद शुरू हुआ, अफ़ज़ल ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क किया।[4] उसने पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त किया और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ) का सदस्य बना। उसके साथियों का कहना है कि वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया और सोपोर में चरमपंथी गतिविधियों का संचालन करने लगा
१३ दिसंबर २००१ को, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा नामक आतंकवादी संगठनों के पांच आतंकवादियों ने भारत की संसद पर एक घातक हमला किया। इस आतंकी हमले का मुख्य आरोपी मोहम्मद अफ़ज़ल गुरु था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्ड शहीद हो गए। सुरक्षा बलों ने सभी आतंकवादियों को मार गिराया। इस हमले ने देश को हिला कर रख दिया था, जिसमें कुल नौ लोगों की जान गई और १८ अन्य घायल हुए थे। आतंकवादियों ने संसद भवन में घुसने के लिए एक कार का इस्तेमाल किया, जिस पर गृह मंत्रालय और संसद के स्टिकर लगे हुए थे। वे AK-४७ राइफलों, ग्रेनेड लॉन्चरों और हैंड ग्रेनेड से लैस थे. हमले के समय संसद में कई महत्त्वपूर्ण नेता और मंत्री उपस्थित थे, लेकिन अधिकांश सुरक्षित रहे। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान सम्बन्ध के बीच तनाव को बढ़ा दिया।
गिरफ्तारी और जाँच
संपादित करेंदिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने कार के इस्तेमाल और मोबाइल फोन रिकॉर्ड्स के आधार पर अफ़ज़ल को गिरफ्तार किया। उनके साथ उसके चचेरे भाई शौकत हुसैन गुरु और शौकत की पत्नी अफसान गुरु भी गिरफ्तार हुए। सभी आरोपियों पर युद्ध छेड़ने, साजिश, हत्या आदि के आरोप लगाए गए थे।[5]
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और दया याचिका
संपादित करेंअफज़ल गुरु को 2002 में मौत की सजा सुनाई गई, जो बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी बरकरार रखी गई। उनकी पत्नी, तबस्सुम गुरु ने 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के समक्ष दया याचिका दायर की। इस याचिका का समर्थन कई मानवाधिकार समूहों और राजनीतिक दलों ने किया, जो मानते थे कि अफज़ल को निष्पक्ष न्याय नहीं मिला। 18 दिसंबर 2002 को विशेष अदालत ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि संसद पर हमला उन बलों का काम था जो "देश को नष्ट करना चाहते थे"। सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अगस्त 2005 को उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा।
दया याचिका के लिए याचिकाकर्ता
संपादित करेंअफज़ल गुरु को 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में उनकी भूमिका के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। उनकी फांसी 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में हुई, जिसके बाद उनके लिए कई दया याचिकाएँ दायर की गईं। इनमें से एक प्रमुख याचिका दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों विजय सिंह और तृप्ता वाही द्वारा दायर की गई थी,[6] जोकी दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के माता-पिता हैं।[7]
दया याचिका का विवरण
संपादित करेंराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अपील की थी कि अफज़ल गुरु को फांसी देने के निर्णय को रद्द किया जाए। इस याचिका में कहा गया था कि अफज़ल को गलत तरीके से फंसाया गया था और उन्हें एक राजनीतिक साजिश का शिकार बनाया गया। उन्होंने राष्ट्रपति से यह भी अनुरोध किया कि पूरे मामले की एक संसदीय जांच कराई जाए।[8]
- तबस्सुम गुरु: अफज़ल की पत्नी, जिन्होंने दया याचिका दायर की।
- मुफ़्ती मोहम्मद सईद: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, जिन्होंने दया याचिका का समर्थन किया।
- अरुंधति राय और प्रफुल्ल बिदवई: मानवाधिकार कार्यकर्ता जिन्होंने अफज़ल के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया को गलत बताया।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): जिन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मामले को राजनीतिक रंग दे रही है।
- दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के माता-पिता तृप्ता वाही और विजय सिंह ने [9] 2013 में अफज़ल गुरु के लिए दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। [7]
तारीखों में अफजल [1]
संपादित करेंदिनांक | घटना |
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13 दिसम्बर 2001 | पांच चरमपंथियों ने संसद पर हमला किया। हमले में पांच चरमपंथियों के अलावा सात पुलिसकर्मी सहित नौ लोगों की मौत हुई। |
15 दिसम्बर 2001 | दिल्ली पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के चरमपंथी अफज़ल गुरु को गिरफ़्तार किया। उसके साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएआर गिलानी को भी गिरफ़्तार किया गया। इन दोनों के अलावा अफ़शान गुरु और शौकत हसन गुरु को गिरफ़्तार किया गया। |
29 दिसम्बर 2001 | अफज़ल गुरु को दस दिनों के पुलिस रिमांड पर भेजा गया। |
4 जून 2002 | अफज़ल गुरु, एएसआर गिलानी, अफ़शान गुरु और शौकत हसन गुरु के ख़िलाफ़ मामले तय किए गए। |
18 दिसम्बर 2002 | अफज़ल गुरु, एएसआर गिलानी औऱ शौकत हसन गुरु को फाँसी की सजा दी गई। अफ़शान गुरु को रिहा किया गया। |
30 अगस्त 2003 | जैश-ए- मोहम्मद के चरमपंथी गाजी बाबा, जो संसद पर हमले का मुख्य अभियुक्त को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने दस घंटे तक चले इनकाउंटर में श्रीनगर में मार गिराया। |
29 अक्टूबर 2003 | मामले में एएसआर गिलानी बरी किए गए। |
4 अगस्त 2005 | सुप्रीम कोर्ट ने अफज़ल गुरु की फाँसी की सजा बरकरार रखा। शौकत हसन गुरु की फाँसी की सजा को 10 साल कड़ी कैद की सज़ा में तब्दील किया गया। |
26 सितंबर 2006 | दिल्ली हाईकोर्ट ने अफज़ल गुरु को फाँसी देने का आदेश दिया। |
3 अक्टूबर 2006 | अफज़ल गुरु की पत्नी तबस्सुम गुरु ने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सामने दया याचिक दायर की। |
12 जनवरी 2007 | सुप्रीम कोर्ट ने अफज़ल गुरु की दया याचिका को खारिज़ किया। |
16 नवम्बर 2012 | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अफज़ल गुरु की दया याचिका गृह मंत्रालय को लौटाई। |
30 दिसम्बर 2012 | शौकत हसन गुरु को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया। |
10 दिसम्बर 2012 | केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अफज़ल गुरु के मामले की पड़ताल करेंगे। |
13 दिसम्बर 2012 | भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान अफज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने का मुद्दा उठाया। |
23 जनवरी 2013 | राष्ट्रपति ने अफज़ल गुरु की दया याचिका खारिज की गई। |
03 फ़रवरी 2013 | गृह मंत्रालय को राष्ट्रपति द्वारा खारिज याचिका मिली। |
09 फ़रवरी 2013 | अफज़ल गुरु को नई दिल्ली को तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फाँसी पर लटकाया गया। |
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "अफजल गुरु: संसद पर हमले से फांसी तक का घटनाक्रम". आज तक. 9 February 2013. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ अ आ Rajpoot, Ram Singh (18 April 2022). "अफ़ज़ल गुरु जीवनी: संसद पर हमला फिर फांसी अब बन रही फिल्म गालिब जानें पूरी कहानी". JNU Times. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "Afzal Guru: A commission agent in fruits business". The Economic Times. 9 February 2013. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "who was afzal guru Omar Abdullah controversial remarks on terrorist 2001 Indian Parliament attack BJP NC Congress". Jagran. 8 September 2024. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "What Supreme Court said when it upheld death for Afzal Guru". The Indian Express. 26 February 2016. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "'उनके माता पिता ने आतंकी अफजल गुरु की पैरोकारी की': AAP सांसद स्वाति मालीवाल का आतिशी पर बड़ा हमला". Moneycontrol Hindi. 17 September 2024. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ अ आ Ghose, Priyanjali (17 September 2024). "Atishi's family fought to stop Afzal Guru's hanging, says Swati Maliwal: What's the full story?". Moneycontrol. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "Swati Maliwal attacks Atishi, says her family fought to stop Afzal Guru's hanging". India Today. 17 September 2024. अभिगमन तिथि 26 September 2024.
- ↑ "AAP chooses Atishi Marlena as Kejriwal's successor: Netizens recall how her communist parents had tried to save terrorist Afzal Guru". OpIndia. 17 September 2024. अभिगमन तिथि 26 September 2024.