अब्दुल हलिम शरार ( उर्दू: عبدالحلیم شرر  ; ४ सितंबर १८६० - १ दिसंबर १९२६) [1] [2] लखनऊ के एक भारतीय लेखक, नाटककार, निबंधकार और इतिहासकार थे। उनकी लगभग 102 किताबें हैं। उन्होंने अक्सर इस्लामी अतीत के बारे में लिखा और साहस, बहादुरी, उदारता और धार्मिक उत्साह जैसे गुणों को सराहो। मलिकुल अज़िया वर्जिना (1889), फिरदौस-ए-बरीन (1899), ज़वाल-ए-बगदाद (1912), हुस्न का डाकू (1913-1914), दरबार-ए-हरमपुर (1914) और फतेह मफतुह (1916) उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों हैं।

Abdul Halim Sharar
जन्मAbdul Halim Sharar
04 सितम्बर 1860
Lucknow, North-West Provinces, British India
मौत1 दिसम्बर 1926(1926-12-01) (उम्र 66 वर्ष)
Lucknow, United Provinces, British India
पेशाNovelist, poet, essayist, historian, playwright
राष्ट्रीयताIndian
काल1885–1926
विधाDrama, nonfiction, history, personal correspondence
उल्लेखनीय कामsFirdaus-e-Bareen; Zawāl-e-Baghdad; Husn kā Daku; Darbar-e-Harampur; Guzishta Lucknow

 

  1. "Abdul Halim Sharar biography" (PDF). columbia.edu. अभिगमन तिथि 1 January 2013.
  2. Sheldon I. Pollock (2003). Literary Culture in History: Reconstructions from South Asia. University of California Press. पृ॰ 881. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-22821-4.