बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय के अनुसार अमिताभ बुद्ध वर्तमान जगत् के अभिभावक तथा अधीश्वर बुद्ध का नाम है। 'अमिताभ' मुख्य बुद्ध हैं जिनकी महायान की जापान और चीन में प्रचलित 'पवित्र भूमि' शाखा में मान्यता प्राप्त है। इन्हें तिब्बत में प्रचलित वज्रयान शाखा में भी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमिताभ बुद्ध अपने अनगिनत पिछले जन्मों में 'धर्मकार' नामक बोधिसत्व थे जिन्होनें इतने अच्छे काम किये की इनके पुण्यों की पूँजी असीम है। 'अमिताभ' शब्द 'अमित' और 'आभ/आभा' को जोड़कर बना है और इसका अर्थ है 'अनंत प्रकाश'।[1]

Buddha Amitābha in Tibetan Buddhism, traditional thangka painting.
Portrait of Buddha Amitābha attached in Annotation to the Infinite Life Sutra (चीनी: 佛說大乘無量壽莊嚴清淨平等覺經科註)
Statue of the Buddha Amitābha (Mongolia, 18th century)
Kōtoku-in


इस संप्रदाय का यह मंतव्य है कि स्वयंभू आदिबुद्ध की ध्यानशक्ति की पाँच क्रियाओं के द्वारा पाँच ध्यानी बुद्धों की उत्पति होती है। उन्हीं में अन्यतम ध्यानी बुद्ध अमिताभ हैं। अन्य ध्यानी बुद्धों के नाम हैं- बेरोचन, अक्षोभ्य, रत्नसंभव तथा अमोघसिद्धि। आदिबुद्ध के समान इनके भी मंदिर नेपाल में उपलब्ध हैं। बौद्धों के अनुसार तीन जगत् तो नष्ट हो चुके हैं और आजकल चतुर्थ जगत् चल रहा है। अमिताभ ही इस वर्तमान जगत् के विशिष्ट बुद्ध हैं जो इसके अधिपति (नाथ) तथा विजेता (जित) माने गए हैं।

'अमिताभ' का शाब्दिक अर्थ है 'अनन्त प्रकाश से संपन्न देव' (अमिता: आभा: यस्य असौ)। उनके द्वारा अधिष्ठित स्वर्गलोक पश्चिम में माना जाता है जिसे 'सुखावती' (विष्णुपुराण में 'सुखा') के नाम से पुकारते हैं। उस स्वर्ग में सुख की अनन्त सत्ता विद्यमान है। उस लोक (सुखावती लोकधातु) के जीव हिन्दू देवों के समान सौंदर्य तथा सौख्यपूर्ण होते हैं। वहाँ प्रधानतया बोधिसत्वों का ही निवास है, तथापि कतिपय अर्हतों की भी सत्ता वहाँ मानी जाती है। वहाँ के जीव अमिताभ के सामने कमल से उत्पन्न होते हैं। वे भगवान् बुद्ध के प्रभाभासुर शरीर का स्वत: अपने नेत्रों से दर्शन करते हैं। सुखावती अनश्वर लोक नहीं है, क्योंकि वहाँ के निवासी जीव अग्रिम जन्म में बुद्धरूप से उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार अमिताभ का स्वर्ग केवल भोगभूमि ही नहीं है, प्रत्युत वह एक आनन्ददायक शिक्षणकेन्द्र है जहाँ जीव अपने पापों का प्रायश्चित कर अपने आपको सद्गुणसम्पन्न बनाता है।

जापान में अमिताभ जापानी नाम 'अमिदो' से विख्यात हैं। पूर्वोक्त स्वर्ग का वर्णनपरक संस्कृत ग्रंथ 'सुखावती व्यूह' नाम से प्रसिद्ध है जिसके दो संस्करण आजकल मिलते हैं। बृहत् संस्करण के चीनी भाषा में बारह अनुवाद मिलते हैं जिनमें सबसे प्राचीन अनुवाद १४७-१८६ ई. के बीच किया गया था। लघु संस्करण का अनुवाद कुमारजीव ने चीनी भाषा में पाँचवी शताब्दी में किया था और ह्वेनत्सांग ने सप्तम शताब्दी में। इससे इस ग्रंथ की प्रख्याति का पूर्ण परिचय मिलता है।

वज्रयान बुद्ध धर्म

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अमिताभ का मंडल, तिब्बत, १९ वी सदी, रूबीन कलादालन

इन्हें भी देखें

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  1. Inside Buddhism (eBook) Archived 2014-01-03 at the वेबैक मशीन, Kathy Zaun, Lorenz Educational Press, ISBN 978-0-7877-8193-4, Pages 26-27