अर्ध मत्स्येन्द्रासन

अर्ध मत्स्येन्द्रासन एक महत्वपूर्ण आसन है जिसका नाम महान योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर रखा गया है। इस आसन से पेट के सभी अंग वृक्क (किडनी), यकृत (लीवर), अग्न्याशय (पैनक्रयाज) प्रभावित होते हैं। इस आसन के करने से रासायन निर्माण का संतुलन बना रहता है। शर्करा (सुगर) नियंत्रित रहता है।

विधि संपादित करें

पैर फैला कर बैठ जाएँ। दाँया पैर बाँयी जँघा के नीचे रखें। बाँया पैर मोड़ कर दाँयी तरफ रखें। बाँये घुटने को पेट की ओर दबायें। दाँये हाथ से बाँये घुटने को दबाते हुए पैर का पँजा पकड़ें। बाँया हाथ पीठ के पीछे ले जाए। गरदन को बाँयी तरफ घुमायें।स्थिती में कुछ देर रुकने के बाद पूर्व स्थिति में आ जाएँ। पैर सीधे करें। यही क्रिया दूसरी तरफ से दोहराएँ।

सन्दर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें