मत्स्येंद्रनाथ अथवा मचिन्द्रनाथ ८४ महासिद्धों इनका जन्म मछली से माना जाता है । हिन्दु धर्म के नाथ ( जोगी ) शाखा के योगी में से एक थे। इनके गुरु दतात्रे जी थे ओर ये गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग विद्यालय की स्थापना की। उन्हें संस्कृत में हठयोग की प्रारम्भिक रचनाओं में से एक कौलजणाननिर्णय (कौल परंपरा से संबंधित ज्ञान की चर्चा) के लेखक माना जाता है।[1] वो हिन्दू समुदायों में प्रतिष्ठित हैं।[2] मचिन्द्रनाथ को नाथ प्रथा के संस्थापक भी माना जाता है।मचिन्द्रनाथ को उनके सार्वभौम शिक्षण के लिए "विश्वयोगी" भी कहा जाता है।[3]

मत्स्येंद्रनाथ जी की मूर्ति

गोरखनाथ को उनके सबसे सक्षम शिष्यो मे माना जाता है।

  1. लार्सन, जेराल्ड जेम्स; राम शंकर भट्टाचार्य (2008). Yoga: India's Philosophy of Meditation [योग: ध्यान का भारतीय दर्शन]. Encyclopedia of Indian Philosophies (भारतीय दर्शन के विश्वकोश) (अंग्रेज़ी भाषा में). Vol. Vol. XII. दिल्ली: मोतीलाल बंशीदास. p. 436. ISBN 978-81-208-3349-4. 3 फ़रवरी 2014 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 20 जनवरी 2014. {{cite book}}: |volume= has extra text (help)
  2. An Introduction to Hinduism [हिन्दू धर्म का परिचय]; गेवलिन फ्लूड; 1996; पृ॰ 98
  3. Tridal, Publication by Shree Pratishtan Trust, Mitmita, पृ॰:5