असिक्नी पंचजन्य,वीरण, प्रजापति की कन्या थी। उसका विवाह दक्ष से हुआ था। यह शिवपुराण मेंं एक पात्र है ।


प्रजापति दक्ष ने मानसिक सृष्टि की उत्पत्ति की। लेकिन अनेक वर्ष बीत जाने के बाद भी उसमें कोई वृद्धि नहीं हुई तो दक्ष ने अपने पिता ब्रह्मा से कहा कि सृष्टि की वर्द्धि नहीं हो रही है। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि अब तुम मैथुनजनित सृष्टि की रचना करो। इसके लिए तुम वीरण प्रजापति की पुत्री असिक्नी से विवाह करो। उस परम सुंदरी से सृष्टि का विस्तार करो। इस तरह दक्ष ने उससे विवाह किया व उससे मैथुनजनित सृष्टि प्रारम्भ की। असिक्नी के गर्भ से दस हजार पुत्र उत्पन्न हुए। वे हर्यश्व कहलाए।

यह प्रसंग शिवपुराण के रूद्र संहिता के सती खण्ड के अध्याय तेरह में है, जहाँ इसका विस्तार से वर्णन है।

यह भी देखो

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गुणनिधि

यज्ञदत्त

1. "संक्षिप्त शिवपुराण", गीताप्रेस गोरखपुर