अस्कोट राज्य
अस्कोट राज्य (1279-1967) उत्तर भारत में स्थित एक राज्य था। इसकी स्थापना 1279 में कत्यूरी राजवंश के वंशज, अभयपाल ने की थी। करीब 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले अस्कोट के शासकों को राजवार कहा जाता था इतिहासकार पंडित रवि शंकर तिवारी के अनुसार ये इक्ष्वाकुवंशियों की राजधानी अयोध्या के भारशिव ही थे जो राजवार नाम से जान गए ।इसकी राजधानी वर्तमान अस्कोट शहर से ढाई किमी दूर लखनपुर में थी। राज्य के कुल देवता नारिंग देवल थे।
अस्कोट राज्य | |||||
राज्य | |||||
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राजधानी | लखनपुर | ||||
शासन | राजतंत्र | ||||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | 1279 | |||
- | अंत | 1967 | |||
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कहा जाता था कि पूर्वकाल में खस राजाओं के 80 कोट (किले) होने की वजह से इस स्थान को अस्कोट कहा जाने लगा। वर्ष 1279 में इन खस राजाओं को पराजित कर अभयपाल ने लखनपुर कोट में अपनी राजधानी स्थापित की। 16 शताब्दी के मध्य तक अभयपाल के वंशजों ने निर्विघ्न अस्कोट पर राज किया। 1588 में राजवार रायपाल की मृत्यु के बाद अस्कोट पर अल्मोड़ा के राजा रुद्र चंद ने कब्जा कर लिया। उन्होंने 300 रुपये का वार्षिक कर लगाकर अस्कोट को अपना सामंती राज्य बना दिया। वर्ष 1615 में तत्कालीन राजा महेंद्र पाल प्रथम ने अस्कोट में राजमहल का निर्माण कराया। 1742 में गोरखाओं ने आक्रमण करके राज्य को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने वार्षिक कर को बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया था।
ब्रिटिश काल में अस्कोट को रियासत का दर्जा दिया गया। करीब 400 वर्ग किलोमीटर तक फैली इसकी सीमाओं के तहत 142 गांव थे। आजादी के 20 साल बाद, 11 नवंबर 1967 को भारत सरकार ने इस रियासत को अपने अधीन ले लिया। रियासत के अंतिम राजा खरक सिंह थे।
अस्कोट के राजवार
संपादित करें- अभय पाल
- निर्भय पाल
- भारती पाल
- भैरव पाल
- भूपाल पाल
- रतन पाल
- शंख पाल
- श्याम पाल
- शाह पाल
- सुर्जन पाल
- भुज पाल
- भरत पाल
- सुर्तन पाल
- अच्छ पाल
- त्रिलोक पाल
- सुर पाल
- जगत पाल
- प्रजाृ पाल
- राय पाल
- महेंद्र पाल प्रथम
- जैत पाल
- बीरबल पाल
- अमरसिंह पाल
- अभय पाल द्वितीय
- उत्छव पाल
- विजय पाल
- महेंद्र पाल द्वितीय
- बहादुर पाल
- पुष्कर पाल
- गजेंद्र पाल
- विक्रम पाल सिंह
- टिकेंद्र पाल सिंह
- खरक सिंह
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सन्दर्भ
संपादित करें- "Askot, The Imperial Gazetter of India" [अस्कोट, इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया] (अंग्रेज़ी भाषा में). मूल से से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 1 अगस्त 2017.
- पाल, केबी (18 अप्रैल 2016). "उत्तराखंडः राजमहल की विश्व धरोहर की चाह रह गई अधूरी". अस्कोट: अमर उजाला. 26 अप्रैल 2016 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 1 अगस्त 2017.
- "...खंडहरों में समाया अस्कोट का सुनहरा अतीत". पिथौरागढ़: अमर उजाला. 2 मार्च 2013. अभिगमन तिथि: 1 अगस्त 2017.
- पाण्डेय, बद्री दत्त (1937). कुमाऊं का इतिहास. अल्मोड़ा: श्याम प्रकाशन.