अस्मिता परियोजना भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा द्वारा सन २०२४ में शुरू की गयी एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है। अगले पाँच वर्षों में भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें विकसित करना इसके प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। [1][2]इसके तहत, अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का संवर्धन और संरक्षण किया जाएगा। इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के सदस्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ 13 नोडल विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है।

यह परियोजना भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप है, [3]जो भारत के वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई कई पहलों में से एक है। इससे पहले वर्ष 2021 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भारतीय भाषा समिति नामक एक आधारभूत समिति का गठन किया गया था। अस्मिता का मुख्य उद्देश्य भारत में भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाना है, जिससे भारतीय छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का अवसर मिले और भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्रत्येक निर्दिष्ट भाषा में पुस्तक-लेखन प्रक्रिया के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई है। इस परियोजना का लक्ष्य पाँच वर्षों के भीतर 22 भारतीय भाषाओं में एक-एक हजार पुस्तकें तैयार करना है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय भाषाओं में कुल 22,000 पुस्तकें तैयार होंगी।[4] इसके अतिरिक्त, इस परियोजना का लक्ष्य जून 2025 तक कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय के लिए लगभग 1,800 पाठ्यपुस्तकें तैयार करना है।

  1. Arora, Sumit (17 July 2024). "UGC's ASMITA Project: 22,000 Indian Language Books to Transform Higher Education". adda247. अभिगमन तिथि 20 August 2024.
  2. अस्मिता परियोजना
  3. Kumar, Vineet; Hindi, India TV (17 July 2024). "5 साल, 22 भाषाएं, 22000 किताबें! जानें, सरकार के 'अस्मिता' प्रोजेक्ट में क्या है खास". India TV Hindi. अभिगमन तिथि 20 August 2024.
  4. आर्य, राजेश कुमार (17 July 2024). "भारतीय भाषाओं में पढ़ाई के लिए सरकार ने बनाई यह योजना, इतनी किताबें लिखी जाएंगी". ndtv.in. अभिगमन तिथि 20 August 2024.