आई माता
श्री आई माता जी (विक्रम संवत 1472 से 1561[1] अथवा ग्रेगोरी कालदर्शक में 1415 से 1504) देवी अम्बे माता का अवतार माना जाता है। ये सिरवी जाति की कुलदेवी मानी जाती थी।[2]
इतिहास
संपादित करेंआई माता के भक्त उन्हें जीजी कहते हैं। उनका जन्म का नाम श्रे आई माता था।[1] उनका जन्म अम्बापुर गाँव (वर्तमान अम्बाजी, गुजरात) में हुआ।[1]
मंदिर
संपादित करेंराजस्थान में
संपादित करेंराजस्थान में प्रसिद्ध मंदिर जोधपुर के बिलाड़ा में स्थित है।[3] एक मंदिर पाली जिले की नारलाई तहसील में स्थित है।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ "श्री आई माताजी का इतिहास". सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-10-25.
- ↑ "सीरवी समाज हुब्बल्ली-धारवाड़: आई माता की आराधना को लेकर दो दिवसीय धार्मिक आयोजन 4 सितम्बर से". पत्रिका समूह. 2024-09-01. अभिगमन तिथि 2024-11-13.
- ↑ "आई माता मंदिर में छह सौ साल से ज्योत की लौ से काजल नहीं केसर निकल रहा है | Aai Mata Temple in Bilara". पत्रिका समूह. 2018-10-19. अभिगमन तिथि 2024-11-13.
- ↑ "नारलाई में निकला आईमाता का वरघोड़ा". दैनिक भास्कर. 2017-03-15.