आज़मगढ़ जिला
आज़मगढ़ ज़िला (𑂄𑂔𑂧𑂏𑂛 𑂔𑂱𑂪𑂰) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। जिले का मुख्यालय आज़मगढ़ है।[1][2]
आज़मगढ़ ज़िला | |
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उत्तर प्रदेश का ज़िला | |
𑂄𑂔𑂧𑂏𑂛 𑂔𑂱𑂪𑂰 | |
आज़मगढ़ रेलवे स्टेशन | |
उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
मुख्यालय | आज़मगढ़ |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 4054 किमी2 (1,565 वर्गमील) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 46,13,913 |
• घनत्व | 1,100 किमी2 (2,900 वर्गमील) |
भाषा | |
• प्रचलित | भोजपुरी |
जनसांख्यिकी | |
• साक्षरता | 70.93% |
• लिंगानुपात | 1019 |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 276001 |
वाहन पंजीकरण | UP-50 |
मुख्य राजमार्ग | NH-28, NH-128ए |
वेबसाइट | azamgarh |
इतिहास
संपादित करेंतमसा नदी के तट पर स्थित आजमगढ़ उत्तर प्रदेश राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है। यह जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। आजमगढ़ गंगा और घाघरा नदी के मध्य बसा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण था। यह जिला मऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अम्बेडकर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पर्यटन की द़ष्टि से महाराजगंज, दुर्वासा, मुबारकपुर, मेहनगर, भंवरनाथ मंदिर और अवन्तिकापुरी आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है। विक्रमजीत सिंह गौतम के पुत्र आजम शाह, जो एक शक्तिशाली जमींदार था, शाहजहां के शासनकाल के दौरान 1665 ई. में आजमगढ़ की स्थापना करवाई थी। इसी कारण इस जगह को आजमगढ़ के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह का विशेष महत्व रहा है। इस जनपद को नवाब आज़मशाह ने बसाया था, इसी कारण इसका नाम आज़मगढ़ पड़ा। 15 नवम्बर 1994 को चौदहवें मण्डल के रूप में "आजमगढ़ मण्डल " का सृजन किया गया।
विभाग
संपादित करेंआजमगढ़ जिले में आठ तहसीले है। जो लालगंज, सदर, सगड़ी, मेंहनगर, बूढ़नपुर, निजामबााद,मार्टीनगंज व फूलपुर है। सबसे बड़ी तहसील निजामबााद है। आज़मगढ़ में 22 ब्लॉक है। 10 विधानसभा वह 2 लोकसभा सीट है, 3 नगरपालिका(1,आजमगढ़, 2 मुबारकपुर,3 बिलरियागंज) व 10 नगर पंचायत भी है।
प्रमुख स्थल
संपादित करेंमहाराजगंज: छोटी सरयू नदी के तट पर बसा महाराजगंज जिला मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आजमगढ़ में राजाओं की नामावली अधिक लम्बी है यहीं वजह है कि इस जगह को महाराजगंज के नाम से जाना जाता है। यहां एक काफी पुराना मंदिर भी है। यह मंदिर भैरों बाबा को समर्पित है। भैरों बाबा को देओतरि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यह वहीं स्थान है जहां भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती दक्ष यजन वेदी में सती हुईं थीं। प्रत्येक माह पूर्णिमा के दिन यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
मुबारकपुर: मुबारकपुर जिला मुख्यालय के उत्तर-पूर्व से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहले इस जगह को कासिमाबाद के नाम से जाना जाता था। कुछ समय बाद इस जगह का पुर्ननिर्माण करवाया गया। इस जगह को दुबारा राजा मुबारक ने बनवाया था। यह जगह बनारसी साड़ियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। इन बनारसी साड़ियों का निर्यात पूरे विश्व में होता है। इसके अलावा यहां ठाकुरजी का एक पुराना मंदिर और राजा साहिब की मस्जिद भी स्थित है।
मेंहनगर: यह जगह जिला मुख्यालय के पूर्व-दक्षिण में 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां एक प्रसिद्ध किला है जिसका निर्माण राजा हरिबन सिंह गौतम ने करवाया था। इस किले में एक स्मारक और सरोवर है जो कि काफी प्रसिद्ध है। इस सरोवर को मदिलाह सरोवर के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष सरोवर से तीन किलोमीटर की दूरी पर धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है।
मेहनगर: तहसील से लगभग 16 किलोमीटर दूर बोंगरिया बाजार से लगभग 0.5 किलोमीटर की दूरी पर "पौहारी बाबा आश्रम" के नाम से एक दार्शनिक स्थल है जहां पर प्रत्येक सप्ताह के मंगलवार एवं रविवार को मेले का आयोजन होता है। 'पौहारी बाबा' उन्नीसवीं शताब्दी के एक भारतीय तपस्वी और संत थे। विवेकानंद के अनुसार वे अद्भुत विनय-संपन्न एवं गंभीर आत्म-ज्ञानी थे। उनका जन्म लगभग 1800 ई• में वाराणसी के निकट एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में वह गाजीपुर के समीप अपने संत, ब्रह्मचारी चाचा के आश्रम विद्याध्ययन के लिए आ गए थे। अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय तीर्थस्थलों की यात्रा की। काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे योग के रहस्यों से दीक्षित हुए। यहां हजारों की संख्यां में श्रद्धालुगण आकर पौहारी बाबा को खड़ाऊं , घण्टी एवं चुनरी चढ़ाते हैं। यहां एक दीर्घ जलाशय एवं स्नान कुंड भी है जहाँ विभिन्न पर्व पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं। पौहारी बाबा के मंदिर में श्राद्धालुओं द्वारा लाखों ली संख्या में बड़े घण्टे एवं छोटी घंटियां बांधी गयी है जिनकी आवाज से यह स्थल और भी रमणीय प्रतीत होता है।
दुर्वासा: यह स्थान फूलपुर तहसील मुख्यालय के उत्तर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह यहां स्थित दुर्वासा ऋषि के आश्रम के लिए काफी प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने यहां आया करते थे। यहां के सिद्ध संतो में मौनी जी महाराज का नाम आदर से लिया जाता है प्रथम देव :यह बहिरादेव के नाम से विख्यात हैं यह बाबा मुसई दास की तपस्थली व सिद्ध तीर्थों में एक है।
भंवरनाथ मंदिर: यह मंदिर आजमगढ़ जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। भंवरनाथ मंदिर शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर लगभग सौ वर्ष पुराना है। माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से इस मंदिर में आता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में भक्त इस मेले में एकत्रित होते हैं।
अवन्तिकापुरी: मुहम्मदपुर स्थित अविन्कापुरी काफी प्रसिद्ध स्थान है। ऐसा माना जाता है कि राजा जन्मेजय ने एक बार पृथ्वी पर जितने भी सांप है उन्हें मारने के लिए यहां एक यज्ञ का आयोजन किया था। यहां स्थित मंदिर व सरोवर भी काफी प्रसिद्ध है। काफी संख्या में लोग इस सरोवर में डुबकी लगाते हैं। पल्हना: लालगंज के मसीरपुर के पास में स्थित, जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर यह पालमेहश्वरी धाम आज़मगढ़ के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। यह एक शक्ति पीठ है। पौराणिक रूप से विष्णु भगवान के सुदर्शन द्वारा काटने पर, इस स्थल पर देवी सती की कमर के भाग के गिरने के कारण यह महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। हैरानी की बात यह है कि कुछ वर्षों पहले यहाँ पर उस भाग के अंत का पता करने के लिए खुदाई हुई और 80 मीटर तक खुदाई के बाद भी माता की कमर का अंत नही मिल सका, और पानी ज्यादा होने के कारण खुदाई बन्द करनी पड़ी।
चंद्रमा ऋषि आश्रम: जनपद मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर पश्चिम तमसा एवं सिलानी नदी के संगम पर चंद्रमा ऋषि का आश्रम है। यह स्थान भंवरनाथ से तहबरपुर जाने वाले रास्ते पर पड़ता है,रामनवमी तथा कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल घूमने का स्थान है यह स्थान सती अनसूया के कहानी से संबंधित है।
दत्तात्रेय आश्रम: यह निजामाबाद से 4 किलोमीटर दूर पश्चिम तमसा और कुंवर नदी के संगम पर स्थित दत्तात्रेय का आश्रम है यहां पर पहले लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए आया करते थे यहां शिवरात्रि के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। चंद्रमा ऋषि,दत्तात्रेय और दुर्वासा ऋषि यह तीनो लोग सती अनुसूया के पुत्र माने जाते हैं जो क्रमागत ब्रह्मा,विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं।
कृषि और उद्योग
संपादित करेंचीनी की मिलें एवं वस्त्र बुनाई यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं। कुछ समय से यहाँ अंडे के उत्पादन में बढो़त्तरी देखी जा रही है जो जनपद को अंडो के मामले में संगठितबना रहा है। पूर्वोत्तर रेलमार्ग से जुड़े आज़मगढ़ का कृषि योग्य क्षेत्र उर्वक है यहाँ पर्याप्त वर्षा होती है। चावल, गेहूँ और गन्ना यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं
आवागमन
संपादित करेंवायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी , लखनऊ और गोरखपुर है । जल्द ही 2024 मे मंडलीय हवाई पट्टी आज़मगढ़ मंदुरी से घरेलु उडान सुरु हो चुका है।
रेल मार्ग: यहां रेल मार्ग से प्रमुख शहरों व स्थानों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से सीधे मुम्बई दिल्ली कोलकाता लखनऊ सूरत के लिए ट्रेन जाती हैं।
सड़क मार्ग: आजमगढ़ सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975