आण्विक कक्षक
रासायनिकी में, एक आण्विक कक्षक एक गणितीय फलन है जो एक अणु में एक इलेक्ट्रॉन के स्थान और तरंग-जैसे व्यवहार का वर्णन करता है। इस फलन का उपयोग रासायनिक और भौतिक गुणों की गणना करने हेतु किया जा सकता है, जैसे किसी विशिष्ट क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन के पाए जाने की सम्भावना। 1932 में रॉबर्ट मुलिकन द्वारा पारमाण्विक कक्षक और आण्विक कक्षक शब्दावली की परिचय एक-इलेक्ट्रॉन कक्षक तरंग फलनों हेतु की गई थी। [1] प्रारम्भिक स्तर पर, उनका उपयोग दिक्स्थान के उस क्षेत्र का वर्णन करने हेतु किया जाता है जिसमें फलन का एक महत्त्वपूर्ण आयाम होता है।
एक पृथक् परमाणु में, कक्षक इलेक्ट्रॉनों का स्थान पारमाण्विक कक्षकों नामक फलनों द्वारा निर्धारित किया जाता है। जब कई परमाणु रासायनिक रूप से एक अणु में जुड़ते हैं, तो इलेक्ट्रॉनों के स्थान अणु द्वारा समग्र रूप से निर्धारित किए जाते हैं, इसलिए परमाणु कक्षक आण्विक कक्षक निर्माण हेतु संयोजित होते हैं। घटक परमाण्वों के इलेक्ट्रॉन आण्विक कक्षक में स्थान घेरते हैं। गणितीय रूप से, आण्विक कक्षक अणु के परमाणु नाभिक के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों हेतु श्रोडिङर समीकरण का एक सन्निकट समाधान हैं। वे सामान्यतः अणु के प्रत्येक परमाणु या परमाण्वों के समूहों से अन्य आण्विक कक्षकों के संयोग से पारमाण्विक कक्षक या कक्षक संकरण से निर्मित होते हैं।
आण्विक कक्षक तीन प्रकार के होते हैं: आबन्धन कक्षक जिनकी ऊर्जा उन पारमाण्विक कक्षकों की ऊर्जा से कम होती है जो उन्हें बनाते हैं, और इस प्रकार उन रासायनिक आबन्धों को वृद्धि देते हैं जो अणु को एक साथ रखते हैं; प्रत्याबन्धन कक्षक जिनकी ऊर्जा उनके घटक पारमाण्विक कक्षकों की ऊर्जा से अधिक होती है, और इसलिए अणु के आबन्धन का विरोध करते हैं, और अनाबन्धन कक्षक में उनके घटक परमाणु कक्षकों के समान ऊर्जा होती है और इस प्रकार अणु के आबन्धन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रकार
संपादित करेंद्विपारमाण्विक अण्वों के आण्विक कक्षकों को σ, π, δ आदि द्वारा निरूपित किया जाता है। इस निरूपण में σ आण्विक कक्षक आबन्ध अक्ष के परितः सममित होते हैं, जबकि π आण्विक कक्षक सममित नहीं होते। उदाहरणार्थ नाभिकों पर केन्द्रित 1s कक्षकों का रैखिक संयोग दो आण्विक कक्षकों को उत्पन्न करता है। जो आबन्ध अक्ष के परितः सममित होते हैं। इन्हें σ तथा σ* आण्विक कक्षक कहते हैं। यदि अन्तर्नाभिकीय अक्ष को z-दिशा में लिया जाए, तो यह देखा जा सकता है कि दो परमाण्वों के 2pz, कक्षकों के रैखिक संयोग से भी दो σ आण्विक कक्षक उत्पन्न होंगे। इन्हें σ2pz, तथा σ*2pz से निरूपित करते हैं।
2px, तथा 2py, कक्षकों के अतिव्यापन से मिलने वाले आण्विक कक्षक आबन्ध कक्ष के परितः सममित नहीं होते। ऐसा आण्विक तल के ऊपर धनात्मक लोब तथा आण्विक तल के नीचे ऋणात्मक लोब होने के कारण होता है। ऐसे आण्विक कक्षकों को π और π* द्वारा चिह्नित करते हैं। आबन्धन आण्विक कक्षक में अन्तर्नाभिकीय अक्ष के ऊपर एवं नीचे अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व रहता हैं, परंतु प्रत्याबन्धन आण्विक कक्षक π* में नाभिकों के मध्य एक नोड होता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Mulliken, Robert S. (July 1932). "Electronic Structures of Polyatomic Molecules and Valence. II. General Considerations". Physical Review. 41 (1): 49–71. डीओआइ:10.1103/PhysRev.41.49. बिबकोड:1932PhRv...41...49M.