आरा
आरा भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर है। यह भोजपुर जिले का मुख्यालय है। राजधानी पटना से इसकी दूरी महज 55 किलोमीटर है। देश के दूसरे भागों से ये सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यह नगर वाराणसी से 136 मील पूर्व-उत्तर-पूर्व, पटना से 37 मील पश्चिम, गंगा नदी से 14 मील दक्षिण और सोन नदी से आठ मील पश्चिम में स्थित है। यह पूर्वी रेलवे की प्रधान शाखा तथा आरा-सासाराम रेलवे लाइन का जंकशन है। डिहरी से निकलने वाली सोन की पूर्वी नहर की प्रमुख 'आरा नहर' शाखा भी यहाँ से होकर जाती है। आरा को 1865 में नगरपालिका बनाया गया था।
आरा | |||||||
— जिला मुख्यालय — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | बिहार | ||||||
महापौर | रुबी तिवारी | ||||||
जनसंख्या | २,६१,०९९ (२०११में के अनुसार [update]) | ||||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: http://bhojpur.bih.nic.in |
निर्देशांक: 25°20′N 84°24′E / 25.34°N 84.4°E
गंगा और सोन की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण यह अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरणकेंद्र है। रेल मार्ग और पक्की सड़क द्वारा यह पटना, वाराणसी, सासाराम आदि से सीधा जुड़ा हुआ है। बहुधा सोन नदी
की बाढ़ों से अधिकांश नगर क्षतिग्रस्त हो जा है।
आरा(भोजपुर)के दर्शनीय एवम रमणीय स्थल-
1.माँ आरण्य देवी मंदिर
2.बुढ़वा महादेव मंदिर
3.दिगम्बर जैन मंदिर
4.बड़ी मठिया
5.वीर कुंवर सिंह पार्क
6.महाराजा कॉलेज
7.वीर कुंवर सिंह किला(जगदीशपुर)आरा
8.माँ महथिन दाई मंदिर(बिहिया)आरा
9.सती कुंवारी मंदिर(मौजमपुर)आरा
10.बखोरापुर के काली मंदिर
11.सिनहा गंगा घाट
12.न्यू कोईलवर पुल
13.गंगा-सोन संगम
14.बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर(ब्रहमपुर)आरा
15.बाबा लंगट नाथ मंदिर(उदवंतनगर)आरा
16.कुंडेश्वर नाथ धाम मंदिर(शाहपुर बेलौटीं)आरा
17.शाहिद स्मारक (लसैंधी)आरा
18.सूर्य मंदिर(बेलौर)आरा
19.शाहजी मस्जिद आरा
20.आरा - छपरा पुल
21.आरा पूर्वी गुमटी ब्रिज
22.रमना मैदान
इतिहाससंपादित करें
आरा अति प्राचीन शहर है। पहले यहां मयुरध्वज नामक राजा का शासन था। महाभारत कालीन अवशेष यहां के बिखरे पड़े हैं। ये 'आरण्य क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता था।[1] कहा जाता है आरा का प्राचीन नाम आरण्य था। [2]
आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है जिसकी प्राचीनता का संबंध महाभारत काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्तवास काल यहाँ बिताया था। जेनरल कनिंघम के अनुसार युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरण स्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है। आरा के पास मसार ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित 'आरामनगर' नाम भी इसी नगर के लिए गया है। पुराणों में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है। बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गंगा के दक्षिण ऊँचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात् आड़ या अरार में होने के कारण, इसका नाम 'आरा' पड़ा। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रतायुद्ध के प्रमुख सेनानी बाबू कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है।[3][4] आरा स्थित 'द लिटल हाउस' एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह में बाबू कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी। आरा 1971 के पांचवीं लोकसभा चुनाव तक शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। 1977 के दौरान आरा को अलग संसदीय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और तब आरा अस्तित्व में आया। [5]
शिक्षासंपादित करें
यहाँ वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय और अनेक महाविद्यालय हैं।
जैन बाला विश्राम नामक पुराना छात्राओं का स्कूल भी यहां है। हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज अंगीभूत कॉलेज हैं, हित नारायण क्षत्रिय +2 उच्च विद्यालय (1917) है। इसके अलावे भी कई छोटे-मोटे कॉलेज और स्कूल शहर की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। डेढ़ दशक पहले यहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। आऱा ने जगजीवन राम, राम सुभग सिंह, अंबिका शरण सिंह, रामानंद तिवारी जैसे नेता दिये।
दर्शनीय स्थलसंपादित करें
आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का राम मन्दिर प्रसिद्ध है। शहर में बुढ़वा महादेव, पतालेश्वर मंदिर, रमना मैदान का महावीर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर प्रमुख हैं। शहर का बड़ी मठिया नामक विशाल धार्मिक स्थान है। शहर के बीचोबीच अवस्थित बड़ी मठिया रामानंद सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है। वाराणसी की तर्ज पर मानस मंदिर भी निर्माणाधीन है। आरा शहर के कई लोगों ने शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद किया है। यहां की आरण्य देवी बहुत प्रसिद्ध है। संवत् 2005 में स्थापित आरण्य देवी का मंदिर आरा में मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस ऐतिहासिक देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए जुटते है। महाराजा कॉलेज स्थित वीर कुंवर सिंह का गुफा द्वार है जो अभी बंद है, देखा जा सकता है।[6][7]
1.माँ आरण्य देवी मंदिर
2.बुढ़वा महादेव मंदिर
3.दिगम्बर जैन मंदिर
4.बड़ी मठिया मंदिर
5.वीर कुंवर सिंह पार्क
6.महाराजा कॉलेज
7.वीर कुंवर सिंह किला(जगदीशपुर)आरा
8.माँ महथिन दाई मंदिर(बिहिया)आरा
9.सती कुंवारी मंदिर(मौजमपुर)आरा
10.बखोरापुर के काली मंदिर
11.सिनहा गंगा घाट
12.न्यू कोईलवर पुल
13.गंगा-सोन संगम
14.बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर(ब्रहमपुर)आरा
15.बाबा लंगट नाथ मंदिर(उदवंतनगर)आरा
16.कुंडेश्वर नाथ धाम मंदिर(शाहपुर बेलौटीं)आरा
17.शाहिद स्मारक (लसैंधी)आरा
18.सूर्य मंदिर(बेलौर)आरा
19.शाही मस्जिद आरा
20.आरा - छपरा पुल
21.आरा पूर्वी गुमटी ब्रिज
22.रमना मैदान
23.क्लाट्रैटे पोखरा सूर्य मंदिर
जनसंख्यासंपादित करें
2011 की जनगणना के अनुसार आरा शहर की कुल जनसंख्या 2,61,430 है।
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "शहर का नाम रखने की इससे अद्भुत घटना नहीं सुनी होगी आपने!". दैनिक भास्कर. मूल से 15 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "आरामनगर". bharatdiscovery.org. मूल से 10 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "वीर कुंवर सिंह: १८५७ का महान योद्धा". panchjanya. मूल से 25 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "बाबू कुंवर सिंह". bhaaratdiscovery.org. मूल से 3 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "आरा: जातीय समीकरण से बनेगा-बिगड़ेगा खेल". लाइव हिन्दुस्थान. मूल से 16 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "मंदिर पृष्टभूमि". आरण्य देवी मंदिर. मूल से 15 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "आरण्य देवी मंदिर". आरण्य देवी मंदिर. मूल से 15 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.