आर्कीमिडीज सिद्धान्त
द्रव गतिकी में उत्प्लावकता सिद्धांत
आर्कीमिडीज सिद्धान्त (अंग्रेज़ी: Archimedes's principle) भौतिक नियम है जिसके अनुसार-
- किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा। अन्य शब्दो में, किसी तरल माध्यम में आंशिक या पूर्णतः डूबी हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
या,
जहाँ E = उत्प्लावन बल, : = द्रव का घनत्व, g = गुरुत्वजनित त्वरण, V = द्रव द्वारा हटाये गये द्रव का आयतन
आर्कीमिडीज सिद्धान्त तरल यांत्रिकी का एक महत्वपूर्ण और आधारभूत सिद्धांत है। इस सिद्धान्त का नामकरण इसके आविष्कारक आर्किमिडिज़ के सम्मान में किया गया।[1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Acott, Chris (1999). "The diving "Law-ers": A brief resume of their lives". South Pacific Underwater Medicine Society journal. 29 (1). OCLC 16986801. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0813-1988. मूल से 2 अप्रैल 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-06-13.