आवर्त सारणी का इतिहास

आवर्त सारणी, रासायनिक तत्त्वों की एक ऐसी सारणी है जिसमें तत्त्व अपने परमाणु क्रमांक, इलेक्ट्रॉन विन्यास, तथा पुनरावृत करते हुए रासायनिक गुणों के अनुसार सजाये गये होते हैं। तत्त्व, बढ़ते हुए प्रमाणु क्रमांक के अनुसार इसमें रखे जाते हैं।

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कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज जिन्होने आवर्त सारणि के विकास में योगदान किया- (ऊपर बाएं से दक्षिणावर्त) – लैवासिए की सरल पदार्थों की सारणी (1789); डि कैन्कोर्तोइस की टेलुरिक स्क्रू (1862); मेण्डलीव की हाथ से लिखी हुई आवर्त सारणी (1869); एक आधुनिक आवर्त सारणी (2016); जॉन डॉल्टन की परमाणु भार एवं संकेतों की सूची (1808)[1]

वर्गीकरण का इतिहास

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प्रारम्भ में जब कम तत्त्व ज्ञात थे तब उनके गुणों का अलग-अलग अध्ययन करना सरल था। लेकिन धीरे-धीरे कई नये तत्वों के खोज होने पर इनकी संख्या बढ़ गयी और तत्वो के गुणो का अलग-अलग अध्ययन करने में कठिनाई अनुभव होने लगी। अब तक 118 तत्वो की खोज हो चुकी है। अतः इस कठिनाई को दूर करने के लिऐ तत्वो का वर्गीकरण किया गया।

सर्वप्रथम 18वीं शाताब्दी में एक रसायनशास्री लवासिए (Lavosier) ने तत्वो को दो वर्गो धातु (Metal) और अधातु (Non-metal) में किया। किँतु यह वर्गीकरण अत्यंत साधारण था।

19वीँ शाताब्दी के प्रारंभ में एक जर्मन रसायनज्ञ जाँन डोबरेनर (Johann Dobereiner) ने तत्वो को उनके गुणो के आधार पर तीन-तीन के समुहो में विभाजित किया। ये समुह त्रियक (triads) कहलाते हैं। इनके अनुसार किसी त्रिक के तत्वो को उनके परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाने पर प्राप्त समुह में किनारो के तत्वो का औसत बीच के तत्त्व के परमाणु द्रव्यमान के बराबर होता है। किन्तु यह नियम कुछ तत्वो के लिए ही मान्य है।

1865-66 में एक अंग्रेज रसायनज्ञ न्युलैड्स ने अष्टक नियम का प्रतिपादन किया। जिसके अनुसार यदि हम तत्त्व को उनके बढते परमाणु भार में सजाए तो किसी तत्त्व से प्रारंभ करेने पर ठीक आठवे तत्त्व का गुण पहले तत्त्व के समान होगा।परंतु अक्रिय गैसो की खोज हो जाने के बाद इस नियम का परित्याग कर दिया गया।

1869 में रूसी रसायनज्ञ मेँडलीव ने आवर्त सारणी का निर्माण किया।

इन्हें भी देखें

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  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; ChemReview नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

((Anker))

बाहरी कड़ियाँ

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