इण्डस-२
इण्डस-२ (Indus-2) भारत का दूसरा सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत है जिसकी नामीय इलेक्ट्रॉन ऊर्जा 2.5 GeV तथा क्रांतिक तरंगदैर्घ्य लगभग 4 एंगस्ट्रॉम है। यह राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इन्दौर द्वारा विकसित एवं परिचालित है।
इण्डस-२ की प्रमुख विशिष्टताएँ (Specifications)
संपादित करें- एलेक्ट्रॉन की अधिकतम उर्जा : 2.5 GeV
- अधिकतम बीम-धारा : 300 mA
- लैटिस का प्रकार (Lattice type) : Expanded Chasman Green
- सुपरपिरियड (Superperiods) : 8
- पुंज-पथ के परिधि की लम्बाई (Circumference) : 172.4743 m
- द्विध्रुव चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र : 1.502 T
- सामान्यतः प्रयुक्त ट्यून-प्वॉन्ट्स (Typical tune points) : 9.2, 5.2
- बीम एमिटैन्स :
- ex : 5.81x10-8 mrad
- ey : 5.81x10-9 mrad
- उपलब्ध सरल भाग (Available straight section) : 5 इन्सर्शन युक्तियों (insertion devices) के लिये
- सरल भाग की अधिकतम लम्बाई : 4.5 m जो कि इन्सर्शन युक्तियों (insertion devices) के लिये उपलब्ध है।
- बीम का आकार (Beam size)
- s x : 0.234 mm
- s y : 0.237 mm (द्विध्रुव चुम्बक के केन्द्र में)
- बीम-पथ पर निर्वात (Beam envelope vacuum) : < 1 x10-9 mbar
- किरण-पुंज का जीवन-काल (Beam life time) : 40 घण्टे
- रेडियो आवृत्ति (RF frequency) : 505.812 MHz
- क्रान्तिक तरंगदैर्घ्य (Critical wavelength) :
- 1.98 Å (Bending Magnet)
- 0.596 Å (High Field Wiggler)
- शक्ति ह्रास (Power loss) : 186.6 kW (Bending magnet)
- चुम्बक :
- द्विध्रुव : 16; चतुर्ध्रुव (Q’poles) : 32 फोकस करने हेतु तथा 40 डी-फोकस करने हेतु; षटध्रुव (S’poles): 32
सिन्क्रोट्रॉन विकिरण के प्राचल (पैरामीटर) | |
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इलेक्ट्रॉन ऊर्जा, E | 2.5 GeV |
परिधि | 172.47 मीटर |
इलेक्ट्रॉन पुंज की चक्रण आवृत्ति, f0 | 1.738 मेगा हर्ट्ज |
आर एफ की आवृत्ति | 505.812 मेगा हर्ट्ज |
हार्मोनिक संख्या, q | 291 |
बीटाट्रॉन आवृत्ति, νx, νy | 9.2, 5.2 |
ऊर्जा विस्तार (स्प्रेड), σδE/E | 0.9×10-3 |
बीम एमिटैंस, εx | 58.1 m.rad |
बंच की लम्बाई | 2.23 सेमी |
डैम्पिंग काल, τs, τx, τz | 2.28 मिलीसेकेण्ड, 4.74 मिलीसेकेण्ड, 4.62 मिलीसेकेण्ड |
औसत इलेक्ट्रान धारा, Ib | 300 मिली अम्पीयर |
शक्ति क्षय | 187 किलोवाट |
इन्हें भी देखें
संपादित करेंइतिहास
संपादित करें- मूल योजना इण्डस-२ को 2 GeV का रिंग बनाने की थी जिसे पुनर्विचार के बाद १९९७ में 2.5 GeV कर दिया गया।
- १९९८ में डिजाइन का कार्य आरम्भ हुआ। इसी के साथ भवन निर्माण भी आरम्भ कर दिया गया।
- २००३-२००४ में इसके विभिन्न अवयवों को रिंग में अपने-अपने स्थान पर स्थापित किया जाना आरम्भ हुआ।
- २००५ में असेम्बली का कार्य समाप्त हुआ।
- अगस्त २००५ में पहली बार रिंग में बीम प्रविष्ट करायी गयी।
- २००५ के अन्त तक सीसीडी कैमरों में सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश देख लिया गया था। (२ दिसम्बर २००५)
- फरवरी २००६ में रिंग के अन्दर कुछ मिलीएम्पीयर इलेक्ट्रॉन बीम संचित हो पायी थी।
- मई-जून २००६ में इलेक्ट्रॉन-बीम को सफलतापूर्वक रैम्प किया गया (ऊर्जा बढ़ायी गयी।)
- फरवरी २०१० से इण्डस-२ तीन पारियों में चौबीसों घण्टे चल रहा है। और महीने-दो महीने बाद चार-पाँच दिन के लिए बन्द किया जाता है ताकि आवशयक मरम्मत आदि के कार्य निपटाए जा सकें।
कुल लगभग २६ बीमलाइने लगनी हैं जिसमें से कुछ लगा दी गयीं हैं और कुछ लगानी हैं।