चुम्बक
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चुम्बक वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है।
चुम्बक के प्रकार
संपादित करेंकुछ चुम्बक प्राकृतिक रूप से भी पाये जाते हैं किन्तु अधिकांश चुम्बक निर्मित किये जाते हैं। निर्मित किये गये चुम्बक दो तरह के हो सकते हैं :
स्थायी चुम्बक
संपादित करेंइनके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र बिना किसी वाह्य विद्युत धारा के ही प्राप्त होता है और सामान्य परिस्थितियों में बिना किसी कमी के बना रहता है। (इन्हें विचुम्बकित (डी-मैग्नेटाइज) करने के लिये विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है।) ये तथाकथित कठोर (हार्ड) चुम्बकीय पदार्थ से बनाये जाते हैं। ये भी कई प्रकार के होते हैं-
- मिश्र या कम्पोजिट (फेराइट चुम्बक, एल्निको चुम्बक)
- विरल मृदा चुम्बक (समेरियम-कोबल्ट चुम्बक, निओडिमियम-आइरन-बोरॉन चुम्बक)
- एकल-अणु चुम्बक तथा एकल-शृंखला चुम्बक
- नैनो-संरचना चुम्बक
अस्थायी चुम्बक
संपादित करेंये चुम्बक तभी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जब इनके प्रयुक्त तारों से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। धारा के समाप्त करते ही इनका चुम्बकीय क्षेत्र लगभग शून्य हो जाता है। इसी लिये इन्हें विद्युतचुम्बक (एलेक्ट्रोमैग्नेट्) भी कहते हैं। इनमें किसी तथाकथित मृदु या नरम (सॉफ्ट) चुम्बकीय पदार्थ का उपयोग किया जाता है जिसके चारो ओर तार की कुण्डली लपेटकर उसमें धारा प्रवाहित करने से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। कण त्वरकों में इनका बहुत उपयोग होता है, जैसे द्विध्रुव चुम्बक कणों को मोड़ने के काम आते हैं और चतुर्ध्रुवी चुम्बक (क्वाड्रूपोल) आवएशित कणॉं की बीम को फोकस करने के काम आती है।
चुम्बकों को उनके ध्रुवों की संख्या के आधार पर भी वर्गीकृत कर सकते हैं। इस आधार पर चुम्बक द्विध्रुवी, चतुर्ध्रुवी, षट्ध्रुवी, आदि होते हैं। इसी प्रकार, यदि विद्युतचुम्बक का निर्माण अतिचालक तारों से किया गया है तो ऐसे चुम्बक को 'अतिचालक चुम्बक' कहते हैं अन्यथा सामान्य चालक तारों से निर्मित चुम्बकों को 'सामान्य चालक चुम्बक' (नॉर्मल कंडक्टिंग मैग्नेट) कहा जाता है।
चुम्बक की संरचना
संपादित करेंहर एक अणु का अपना एक चुम्बकीये क्षेत्र होता है। वैसे तो चुम्बकीये क्षेत्र सभी पदार्थो के अणुओं में पाया जाता है लेकिन चुम्बक के अणु एक खास तरह की संरचना बनाते हैं। जहाँ बाकी सारे पदार्थो का चुम्बकीये क्षेत्र अलग-अलग दिशाओं में पाया जाता है, जिससे की उनका कुल नेट मेग्नेटिक फील्ड शून्य हो जाता है। लेकिन चुम्बक में ये सभी चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में संरेखित होते हैं और इसी कारण चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र अति शुद्ध और कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। दूसरे शब्दों में हर पदार्थ के हर इलेक्ट्रॉन का एक चुंबकीय क्षेत्र होता है। लेकिन केवल चुम्बक में ही ये सभी सूक्ष्म चुम्बकीय क्षेत्र एक दिशा में आकर एक बन जाते हैं और तब एक अधिक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड, जिसे नेट मेग्नेटिक फील्ड भी कहते हैं, पैदा होता है।
चुम्बकों के प्रमुख उपयोग
संपादित करें- चुम्बकीय रिकार्डिंग के विभिन्न माध्यम : फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, ऑडियो टेप, आदि
- क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम कार्ड आदि में एक चुम्बकीय पट्टी उपयोग में लायी जाती है। इस पट्टी पर कुछ आंकड़े और सूचनाएँ दर्ज की गयी होती हैं।
- परम्परागत टीवी एवं कम्प्यूटर के मॉनिटर में : एलेक्ट्रॉन बीम को उपर-नीचे एवं अगल-बगल मोडने के लिये विद्युत्चुम्बक का प्रयोग होता है। इसी से छबि-निर्माण सम्भव हो पाता है।
- लाउडस्पीकर एवं माइक्रोफोन में
- विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में
- मेटलवर्किंग में प्रयुक्त चक में - वस्तुओं को थामकर रखने हेतु
- चुम्बकीय दिक्सूचक (कम्पास या कुतुबनुमा) में - इसमें एक हल्का सा स्थायी चुम्बक होता है जो क्षैतिज तल में घूमने के लिये स्वतन्त्र होता है। यह उत्तर-दक्षिण दिशा में ही स्थिर होता है और इस प्रकार दिशा बताने में सहायता करता है।
- बहुत से खिलौनो में
- चुम्बकों की सहायता से ऐसी चीजों को खोजने, पकड़ने एवं इकट्ठा करने में मदद मिलती है जो बहुत छोटी हैं, जिन तक हाथ नही जा सकता, या जिन्हें हाथ से पकड़ना कठिन है। (लोहे की कीलें, स्टैपुल पिनें, कागज की क्लिपें आदि)
- किसी कबाड़ से चुम्बकीय पदार्थों (लोहा, निकिल, स्टील आदि) एवं अचुम्बकीय पदार्थों (एल्युमिनियम, ताँबा, आदि) को अलग करने हेतु।
- चुम्बकीय लेविटेशन पर आधारित यातायात के लिये
- रिले, कान्टैक्टर एवं सर्किट ब्रेकर में
- कण त्वरकों में आवेशित कणों को मोड़ने, फोकस करने आदि के लिये (द्विध्रुवी चुम्बक, अनडुलेटर देखें )
- मास-स्पेक्ट्रोमीटर में - अलग-अलग द्रव्यमान के कण चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरने के बाद परदे पर अलग-अलग स्थान पर जाकर टकराते हैं। टकराये गये स्थान के निर्देशांक से उस कण के भार के बारे में पता चलता है।
- चुम्बकीय बीयरिंग में - शाफ्ट बिना किसी चीज को स्पर्श किये हुए ही घूमता रहता है। इससे घर्षण में उर्जा का व्यय नहीं होता व सामान घिसता नहीं है।
- विद्युत क्लच में
- चुम्बकीय क्रेनों में
- किसी लौहचुम्बकीय अयस्क के पृथक्करण में
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- चुम्बक : परिभाषा, प्रकार, गुण, उपयोग Archived 2021-06-21 at the वेबैक मशीन
- Lectures given at the CAS course on: "MAGNETS" Bruges, Belgium, 16 - 25 जून 2009
- Articles, tutorials and other educational information about magnets National High Magnetic Field Laboratory
- Answers to several questions from curious kids about magnets
- Magnetic units are discussed here
- Kids Konnect - Magnets