इन्वर्टर (शक्ति एलेक्ट्रानिकी)

विद्युत इन्वर्टर या पॉवर इन्वर्टर एक ऐसी पॉवर सप्लाई को कहते हैं जो डीसी (DC) को एसी में परिवर्तित करता है। इससे प्राप्त ए.सी. किसी भी वांछित वोल्टता और आवृत्ति की हो सकती है। इन्वर्टर को उच्च शक्ति के इलेक्ट्रानिक आसिलेटर की तरह समझा जा सकता है।

सोलर पैनेल से प्राप्त डीसी को एसी में बदलने के लिए 20161प्रयुक्त एक इन्वएटर के परिपथ का अन्तरिक दृष्य
वेवफॉर्म प्रत्येक
आवर्तकाल में
सिगनल ट्रांजिशन
Harmonics
eliminated
Harmonics
amplified
System
description
THD
  2 2-level
वर्गाकार तरंग
~45%[1]
  4 3, 9, 27, … 3-level
modified sine wave
>23.8%[1]
  8 5-level
modified sine wave
>6.5%[1]
  10 3, 5, 9, 27 7, 11, … 2-level
very slow PWM
  12 3, 5, 9, 27 7, 11, … 3-level
very slow PWM

इन्वर्टर एक-फेजी या त्रिफेजी हो सकते हैं। उनका आउटपुट साइन-वेव या स्क्वायर-वेव हो सकता है।

नियंत्रण के आधार पर

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  • लाइन से बन्द होने वाले (लाइन कम्युटेटेड) इन्वर्टर
  • स्वत: बन्द-चालू होने वाले इन्वर्टर (सेल्फ कम्युटेटेड इन्वर्टर)

आउटपुट के तरंग-आकार के आधार पर

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  • स्क्वायर-वेव आउटपुट
  • साइन-वेव आउटपुट
 
ऊर्जा-बचाने वाले लैम्पों के आधार में लगने वाला एक इन्वर्टर
 
प्रेरणी मोटर को चलाने के लिए GTO का उपयोग करके बना त्रि-फेजी इन्वर्टर
 
मॉसफेट का उपयोग करके बना एकल-फेजी ब्रिज इन्वर्टर
  • बैटरीचालित गाड़ियों में
  • उच्च वोल्टता डीसी संप्रेषण (एचवीडीसी) - अन्ततः संप्रेषित दीसी को एसी में बदलकर ही वितरण और उपयोग किया जाता है।
  • प्रकाश व्यवस्था - आजकल सीएफएल को चलाने के लिये उसके आधार में ही एक छोटा सा इन्वर्टर लगा रहता है। इसी प्रकार ट्यूबलाइट के लिये आने वाले तथाकथित 'एलेक्ट्रानिक चोक' भी 'रिजोनेन्ट इन्वर्टर' ही हैं।

इतिहास और विकासक्रम

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सबसे पहले यांत्रिक इन्वर्टर प्रचलन में आये। इनमें यांत्रिक स्विचों के द्वारा डीसी की ध्रुवता (पोलैरिटी) को बदला जाता था। बाद में ट्यूब पर आधारित इन्वर्टर चले। अब अधिकांशतः अर्धचालक युक्तियों से ही इन्वर्टर बनते हैं।

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Hahn नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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