ईसाई आतंकवाद
ईसाई आतंकवाद ईसाई आतंकवादी संगठनों द्वारा फैलाया जाने वाला आतंकवाद है, जिसमें वे ईसाई मंशा या लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु हत्या, लूटपाट, धर्मांतरण आदि कार्य करते हैं।[1]
समकालीन
संपादित करेंमध्य अफ्रीकी गणराज्य
संपादित करेंईसाई आतंकी संगठनों ने यहाँ के सभी मस्जिदों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। [2][3] 2014 में एमनेस्टी इंटरनेशनल के जानकारी के अनुसार इसमें से कई नरसंहार एंटी-बलाका नामक संगठन के द्वारा किया जा रहा है, जिसके कारण हजारों मुस्लिम नागरिक देश छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।[4][5][6] अन्य स्रोतों के अनुसार मुसलमानों का धर्मांतरण किया जा रहा है।[7][8]
20 जनवरी 2014 को कैथरीन सांबा-पांजा राष्ट्रपति के लिए चुनाव लड़ती हैं।[9][10] सांबा-पांजा राष्ट्रपति पद के लिए एंटी-बलाका कोई विरोध नहीं होता। चुनाव के बाद सांबा-पांजा ने संसद में भाषण दे कर एंटी-बलाका को आत्मसमर्पण करने को कहती है।[11]
अगले दिन ही मुस्लिम विरोधी हिंसा जारी हो जाती है।[12] कुछ दिनों के बाद केंद्रीय मस्जिद के बाहर मुस्लिम पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ यूसुफ कलिते को भी मार डाला जाता है।[13] इसी के साथ कम से कम नौ अन्य लोग मारे गए थे जब हमला किया गया उसी भीड़ में से कुछ ईसाइयों ने मुस्लिम बहुल दुकानों को लूट लिया।[14] 20 जनवरी केवल 48 घंटों में 50 से अधिक शवों को दफनाया गया था।[15] यह भी सामने आया था कि भीड़ में मारे गए दो लोग मुस्लिम थे, जिन्हें सड़क पर घसीट के ले जाया गया और शव को जला दिया गया। [16] पिछले महीने लगभग 1,000 लोगों की मृत्यु हो गई थी।[17] पर 4 फरवरी 2014 में, एक स्थानीय पुजारी ने कहा कि लोबाये राज्य के बोडा शहर में 75 लोग मारे गए थे।[18] दक्षिण पश्चिम में, विरोधी बलाका आतंकवादियों ने गुएन पर हमला कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 60 लोगों कि मौत हो गई। इसमें कहा गया कि पहले दिन कम से कम 27 लोगों की मृत्यु और उसके अगले दिन 43 अन्य लोगों के मृत्यु के बारे में पता चला।[19]
मई 2014 में यह बताया गया है कि बंगुइ में मुस्लिम आबादी 138,000 से घट कर सिर्फ 900 हो गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली के अनुसार आधे से अधिक की जनसंख्या 46 लाख लोगों को तत्काल चिकित्सा की जरूरत है।[20] एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसके लिए विरोधी बलाका को दोषी ठहराया। जिसके कारण मुसलमान भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं।[21][22]
भारत
संपादित करेंत्रिपुरा
संपादित करेंभारत में स्थित ईसाई आतंकी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा पूरे त्रिपुरा और उत्तर-पूर्व भारत आतंक फैलाने का कार्य करता है।[23][24][25] यह त्रिपुरा के लोगों को जबरन धर्मांतरण करता है।[26] यह केवल अप्रवासी बंगालियों को ही नहीं बल्कि वहाँ के आदिवासियों को भी खुले आम चेतावनी भी देता है कि यदि कोई ईसाई बनाना स्वीकार नहीं करेगा तो उस पर हमला हो सकता है।[27] इस आतंकवादी संगठन को आतंकवाद रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत आतंकी संगठन की सूची में जोड़ा गया है। [28] राज्य सरकार का कहना है कि बैपटिस्ट चर्च त्रिपुरा द्वारा इस संगठन को हथियार और वित्तीय सहायता दिया जा रहा है।[29][30][31] राज्य सरकार और भारतीय मीडिया के अनुसार यह विस्फोटकों आदि का कार्य नोपरा बैपटिस्ट चर्च के माध्यम से करता है।[31] हिन्दुओं की हत्या मुख्य रूप से उनके धार्मिक त्योहारों को मनाने के दौरान होती है। [32] इस संगठन के द्वारा 1999 से 2001 तक 20 से अधिक हिन्दुओं को मारा जा चुका है, जिन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया था। [33] इस क्षेत्र के हिन्दुओं द्वारा ज्ञात हुआ है कि यहाँ गाँव में रहने वाले ग्रामीणों को भी धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है।[33] जबरन धर्मांतरण के लिए कई बार बलात्कार को भी धमकी के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। इस बात का उल्लेख भारत के बाहर के शिक्षाविदों ने किया है।[34] 2000 में इस संगठन ने कई मंदिरों को तोड़ डाला। इसमें शांति काली का एक बहुत लोकप्रिय मंदिर भी शामिल है।[35]
असम
संपादित करें2009 में, असम के कई समाचार पत्रों में सूचना दी कि 15 मनमसी नामक एक ईसाई आतंकी संगठन के सदस्य भुवन पहर में रहने वाले हिन्दुओं को जबर्दस्ती धर्मांतरण कर ईसाई बना रहे हैं।[36][37][38]
सन्दर्भ
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