त्रिपुरा

भारतीय राज्य

त्रिपुरा उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित भारत का एक राज्य है।[2]यह भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है जिसका क्षेत्रफल १०,४९१ वर्ग किमी है। इसके उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है जबकि पूर्व में असम और मिजोरम स्थित हैं।[3]सन २०११ में इस राज्य की जनसंख्या लगभग ३६ लाख ७१ हजार थी। अगरतला त्रिपुरा की राजधानी है। बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ की मुख्य भाषायें हैं।

त्रिपुरा
ত্রিপুরা
Tripura
भारत का राज्य

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भारत के मानचित्र पर त्रिपुरा ত্রিপুরা Tripura
भारत के मानचित्र पर त्रिपुरा
ত্রিপুরা
Tripura

राजधानी अगरतला
सबसे बड़ा शहर अगरतला
जनसंख्या ३६,७३,९१७
 - घनत्व ३५० /किमी²
क्षेत्रफल १०,४९२ किमी² 
 - ज़िले
राजभाषा बंगाली, ककबरक,
अंग्रेज़ी[1]
गठन २१ जनवरी १९७२
सरकार त्रिपुरा सरकार
 - राज्यपाल रमेश बैस
 - मुख्यमंत्री माणिक साहा (भाजपा)
 - विधानमण्डल एकसदनीय
विधान सभा (६० सीटें)
 - भारतीय संसद राज्य सभा (१ सीट)
लोक सभा (२ सीटें)
 - उच्च न्यायालय त्रिपुरा उच्च न्यायालय
डाक सूचक संख्या ७९९
वाहन अक्षर TR
आइएसओ 3166-2 IN-TR
tripura.gov.in

आधुनिक त्रिपुरा क्षेत्र पर कई शताब्दियों तक त्रिपुरी राजवंश ने राज किया।

त्रिपुरा की स्थापना १४वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इण्डो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिंदू धर्म अपनाया था। १८०८ में इसे ब्रिटिश साम्राज्य ने जीता, यह स्व-शासित शाही राज्य बना।[4][5]१९५६ में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ और १९७२ में इसे राज्य का दर्जा मिला। त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है, जो प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करता है, किन्तु दुर्भाग्यवश यहाँ कई आतंकवादी संगठन पनप चुके हैं जो अलग राज्य की माँग के लिए समय-समय पर राज्य प्रशासन से लड़ते रहते हैं। हैण्डलूम बुनाई यहाँ का मुख्य उद्योग है।

नाम

  • ऐसा कहा जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का ३९वाँ राजा था के नाम पर इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा।जिसके वंशज अहीरो ने यहाँ प्राचीन काल में शासन किया था![6]एक मत के मुताबिक स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर यहाँ का नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू पन्थ के ५१ शक्ति पीठों में से एक है।[7]इतिहासकार कैलाश चन्द्र सिंह के मुताबिक यह शब्द स्थानीय कोकबोरोक भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है - त्वि और प्रात्वि का अर्थ होता है पानी और प्रा का अर्थ निकट। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में यह समुद्र (बंगाल की खाड़ी) के इतने निकट तक फैला था कि इसे इस नाम से बुलाया जाने लगा।[8]

उल्लेख

त्रिपुरा का उल्लेख महाभारत, पुराणों तथा अशोक के शिलालेखों में मिलता है। आज़ादी के बाद भारतीय गणराज्य में विलय के पूर्व यह एक राजशाही थी। उदयपुर इसकी राजधानी थी जिसे अठारहवीं सदी में पुराने अगरतला में लाया गया और उन्नीसवीं सदी में नये अगरतला में। राजा वीर चन्द्र माणिक्य महादुर देववर्मा ने अपने राज्य का शासन ब्रिटिश भारत की तर्ज पर चलाया। गणमुक्ति परिषद द्वारा चलाए गए आन्दोलनों से यह सन् १९४९ में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ।

सन् १९७१ में बांग्लादेश के निर्माण के बाद यहाँ सशस्त्र संघर्ष आरम्भ हो गया। त्रिपुरा नेशनल वॉलेंटियर्स, नेशनल लिबरेशन फ़्रण्ट ऑफ़ त्रिपुरा जैसे संगठनों ने स्थानीय बंगाली लोगों को निकालने के लिए मुहिम छेड़ रखी है।

इतिहास

 
महाराजा बीरचन्द और महारानी मनमोहिनी (सन १८८० में)

त्रिपुरा का बड़ा पुराना और लम्बा इतिहास है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्‍कृति तथा दिलचस्‍प लोकगाथाएँ है। इसके इतिहास को त्रिपुरा नरेश के बारे में ‘राजमाला’ गाथाओं तथा मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है। महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्‍लेख मिलता है। राजमाला के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को ‘फा’ उपनाम से पुकारा जाता था जिसका अर्थ ‘पिता’ होता है।[9]

१४वीं शताब्‍दी में बंगाल के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्‍लेख मिलता है।[10] त्रिपुरा के शासकों को मुगलों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पड़ा जिसमें आक्रमणकारियों को कमोबेश सफलता मिलती रहती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्‍तानों कों हराया।

१९वीं शताब्‍दी में महाराजा वीरचन्द्र किशोर माणिक्‍य बहादुर के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्‍होने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश भारत के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्‍तराधिकारों ने १५ अक्टूबर, १९४९ तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा भारत संघ में शामिल हो गया।[11] शुरू में यह भाग-सी के अन्तर्गत आने वाला राज्‍य था और १९५६ में राज्‍यों के पुनर्गठन के बाद यह केन्द्र शासित प्रदेश बना। १९७२ में इसने पूर्ण राज्‍य का दर्जा प्राप्‍त किया। त्रिपुरा बांग्‍लादेश तथा म्‍यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्‍लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह असम और मिजोरम से जुड़ा हुआ है।

भारत में विलय

मुख्य भाषा

बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहां मुख्य रूप से बोली जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का ३९ वें राजा थे, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा। इसके साथ ही एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू धर्म की ५१ शक्ति पीठों में से एक है। इस राज्य के इतिहास को 'राजमाला' गाथाओं और मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है।

महाभारत और पुराणों में भी मिलता है उल्‍लेख

महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्‍लेख मिलता है। आज़ादी के बाद भारतीय गणराज्य में विलय के पूर्व यह एक राजशाही थी। उदयपुर इसकी राजधानी थी जिसे १८वीं सदी में पुराने अगरतला में लाया गया और १९वीं सदी में नये अगरतला में। राजा वीर चन्द्र माणिक्य महादुर देववर्मा ने अपने राज्य का शासन ब्रिटिश भारत की तर्ज पर चलाया।

पूर्वी पाक में विलय चाहता था त्रिपुरा

गणमुक्ति परिषद द्वारा चलाए गए आन्दोलनों से यह सन् १९४९ में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ। लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक भी त्रिपुरा शाही परिवार का एक धड़ा राज्य का विलय पूर्वी पाकिस्तान के साथ चाहता था। लेकिन त्रिपुरा के आखिरी राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य (१९२३-१९४७) ने अपने मौत के पहले भारत में विलय की इच्छा जाहिर की थी। जिसके बाद भारत सरकार ने त्रिपुरा को अपने कब्जे में ले लिया।

संघर्ष का आरंभ

लेकिन सन् १९७१ में बांग्लादेश के निर्माण के बाद यहां सशस्त्र संघर्ष आरंभ हो गया। त्रिपुरा नेशनल वॉलेंटियर्स, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा जैसे संगठनों ने स्थानीय बंगाली लोगों को निकालने के लिए मुहिम छेड़ रखी है। १४वीं शताब्‍दी में बंगाल के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्‍लेख मिलता है। त्रिपुरा के शासकों को मुगलों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पडा जिसमें आक्रमणकारियों को कमोबेश सफलता मिलती रहती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्‍तानों कों हराया।

त्रिपुरा में नए युग की शुरूवात

१९वीं शताब्‍दी में महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्‍य बहादुर के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग की शुरूवात हुई। उन्‍होने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश भारत के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्‍तराधिकारों ने १५ अक्‍तूबर, १९४९ तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा भारत संघ में शामिल हो गया। शुरू में यह भाग-सी के अंतर्गत आने वाला राज्‍य था और १९५६ में राज्‍यों के पुनर्गठन के बाद यह केंद्रशासित प्रदेश बना और इसके बाद १९७२ में इसे पूर्ण राज्‍य का दर्जा प्राप्‍त हुआ। आपको बता दें त्रिपुरा बांग्‍लादेश तथा म्‍यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्‍लादेश है और उत्तर-पूर्व में यह असम और मिजोरम से जुड़ा हुआ है।

सिंचाई और बिजली

 
धान, त्रिपुरा की प्रमुख फसल है। लगभग ९१ प्रतिशत कृषि भूमि में धान की ही खेती की जाती है।

त्रिपुरा राज्‍य का भौगोलिक क्षेत्र १०,४९,१६९ हेक्‍टेयर है। अनुमान है कि २,८०,००० हेक्‍टेयर भूमि कृषि योग्‍य है। ३१ मार्च २००५ तक ८२,००५ हेक्‍टेयर भूमि क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई, गहरे नलकूप, दिशा परिवर्तन, मध्‍यम सिंचाई व्‍यवस्‍था, शैलो ट्यूबवैल और पम्पसेटों के जरिए सुनिश्चित सिंचाई के प्रबन्ध किए गए हैं। यह राज्‍य की कृषि योग्‍य भूमि का लगभग २९.२९ प्रतिशत है। १,२६९ एल.आई. स्‍कीम, १६० गहरे नलकूप, २७ डाइवर्जन स्‍कीमें पूरी हो चुकी हैं तथा ३ मध्‍यम सिंचाई योजनाओं (१) गुमती (२) खोवई और (३) मनु के जरिए कमान एरिया के कुछ भाग को सिंचाई का पानी उपलब्‍ध कराया जा रहा है क्‍योंकि नहर प्रणाली का कार्य पूरा नहीं हुआ है।

इस समय राज्‍य की व्‍यस्‍त समय की बिजली की माँग लगभग १६२ मेगावाट है। राज्‍य में अपनी परियोजनाओं से ७० मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। लगभग ५० मेगावाट बिजली पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में स्थित केन्द्रीय क्षेत्र के विद्युत उत्‍पादन केन्द्रों से राज्‍य के लिए आवण्टित हिस्‍से से प्राप्‍त की जाती है। इस प्रकार कुल उपलब्‍ध बिजली लगभग १२० मेगावाट है और व्‍यस्‍त समय में ४२ मेगावाट बिजली की कमी पड़ जाती है। इस कमी की वजह से पूरे राज्‍य में शाम को डेढ़ घण्टे क्रमिक रूप से बिजली की आपूर्ति बन्द कर दी जाती है।


परिवहन

सडकें

त्रिपुरा में विभिन्‍न प्रकार की सड़कों की कुल लम्बाई १५,२२७ कि॰मी॰ है, जिसमें से मुख्‍य जिला सड़कें ४५४ कि.मी., अन्‍य जिला सड़कें १,५३८ कि॰मी॰ हैं।

रेलवे

राज्‍य में रेल मार्गो की कुल लम्बाई ६६ कि॰मी॰ है। रेलवे लाइन मानूघाट तक बढा दी गई है तथा अगरतला तक रेलमार्ग पहुँचाने का काम पूरा किया जा च्हुका है। मानू अगरतला रेल लाइन (८८ कि.मी.) को राष्‍ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया था।

पर्यटन

 
अगरतला रेलवे स्टेशन
 
उज्जयन्त महल पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है।
 
अगरतला स्थित नीरमहल

महत्‍वपूर्ण पर्यटन केंद्र इस प्रकार हैं :

  • पश्चिमी-दक्षिणी त्रिपुरा पर्यटन-मण्डल
    • अगरतला,
    • कमल सागर
    • सेफाजाला
    • नील महल
    • उदयपुर
    • पिलक
    • महामुनि
  • पश्चिमी-उत्तरी त्रिपुरा पर्यटन-मण्डल
    • अगरतला,
    • उनोकोटि
    • जामपुई हिल

त्रिपुर सुन्दरी मन्दिर

त्रिपुरा सुन्दरी मन्दिर - तलवाडा ग्राम से ५ किलोमीटर दूर स्थित भव्य प्राचीन त्रिपुरा सुन्दरी का मन्दिर हैं, जिसमें सिंह पर सवार भगवती अष्टादश भुजा की मूर्ति स्थित हैं। मूर्ति की भुजाओं में अठारह प्रकार के आयुध हैं। इस मन्दिर की गिनती प्राचीन शक्तिपीठों में होती हैं। मन्दिर में खण्डित मूर्तियों का संग्रहालय भी बना हुआ हैं जिनकी शिल्पकला अद्वितीय हैं। मन्दिर में प्रतिदिन दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता हैं। प्रतिवर्ष नवरात्र में यहाँ भारी मेला भी लगता हैं।

पर्यटन समारोह

  • आरेंज एण्ड टूरिज्‍म फ़ेस्टिवल वांगमुन
  • उनोकेटि टूरिज्‍म फ़ेस्टिवल
  • नीरमहल टूरिज्‍म फ़ेस्टिवल
  • पिलक टुरिज्‍म फ़ेस्टिवल।

जिले

 
tripuraa ke jile

त्रिपुरा में पहले केवल जनपद थे;

बाद में इनसे निकालकर और जिले बनाये गये। इस प्रकार त्रिपुरा में अब कुल जनपद हैं।

संस्कृति

 
दुर्गा पूजा त्रिपुरा का प्रमुख त्यौहार है।

त्रिपुरा में हिन्दुओं की संख्या लगभग ८४ प्रतिशत है। दुर्गापूजा यहाँ का प्रमुख त्यौहार है। बांग्ला यहाँ की प्रमुख भाषा है।[12]

सन्दर्भ

  1. "Report of the Commissioner for linguistic minorities: 50th report (July 2012 to June 2013)" (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. मूल (PDF) से 8 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2017.
  2. Wells, John C. (2008). Longman Pronunciation Dictionary (3rd संस्करण). Longman. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781405881180.
  3. "Rohingya crisis: Security tightened along India-Myanmar border". मूल से 15 September 2017 को पुरालेखित.
  4. "Hill Tippera – Encyclopædia Britannica 1911". मूल से 10 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2019.
  5. "Tippera – Encyclopedia". मूल से 10 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2019.
  6. Das, J.K. (2001). "Chapter 5: old and new political process in realization of the rights of indigenous peoples (regarded as tribals) in Tripura". Human rights and indigenous peoples. APH Publishing. पपृ॰ 208–9. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7648-243-1.
  7. Debbarma, Sukhendu (1996). Origin and growth of Christianity in Tripura: with special reference to the New Zealand Baptist Missionary Society, 1938–1988. Indus Publishing. पृ॰ 20. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7387-038-5. मूल से 29 April 2016 को पुरालेखित.
  8. Acharjya, Phanibhushan (1979). Tripura. Publications Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. पृ॰ 1. ASIN B0006E4EQ6. मूल से 15 May 2016 को पुरालेखित.
  9. Rahman, Syed Amanur; Verma, Balraj (5 August 2006). The beautiful India – Tripura. Reference Press. पृ॰ 9. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8405-026-4. मूल से 17 June 2016 को पुरालेखित.
  10. Tripura district gazetteers. Educational Publications, Department of Education, Government of Tripura. 1975. मूल से 4 May 2016 को पुरालेखित.
  11. "Tippera – Encyclopedia". मूल से 10 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2019.
  12. "How NRC echo reached Tripura". मूल से 8 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2018.