अगरतला (Agartala) भारत के त्रिपुरा राज्य की राजधानी है। यह पश्चिम त्रिपुरा ज़िले का मुख्यालय भी है। इसकी स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा की गई थी। बांग्लादेश से केवल दो किमी दूर स्थित यह नगर सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है और हावड़ा नदी शहर से होकर गुजरती है।[1][2][3][4]

अगरतला
Agartala
গকুলনগর
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ऊपर से बाएँ से दाएँ: उज्जयंत महल (त्रिपुरा राज्य संग्रहालय), त्रिपुरा विधान सभा, महाराजा बीर बिक्रम विमानक्षेत्र, अगरतला रेलवे स्टेशन
अगरतला is located in त्रिपुरा
अगरतला
अगरतला
त्रिपुरा में स्थिति
निर्देशांक: 23°43′05″N 91°15′54″E / 23.718°N 91.265°E / 23.718; 91.265निर्देशांक: 23°43′05″N 91°15′54″E / 23.718°N 91.265°E / 23.718; 91.265
देश भारत
राज्यत्रिपुरा
ज़िलापश्चिम त्रिपुरा ज़िला
क्षेत्रफल
 • कुल76.504 किमी2 (29.538 वर्गमील)
ऊँचाई12.80 मी (41.99 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल4,00,004
भाषा
 • प्रचलितकोक बोरोक, बंगाली
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड799001-10, 799012, 799014-15, 799022, 799055, 799115
दूरभाष कोड+91-381
वाहन पंजीकरणTR-01
वेबसाइटagartalacity.nic.in

विवरणसंपादित करें

अगरतला उस समय प्रकाश में आया जब माणिक्य वंश ने इसे अपनी राजधानी बनाया। 19वीं शताब्दी में कुकी के लगातार हमलों से परेशान होकर महाराज कृष्ण माणिक्य ने उत्तरी त्रिपुरा के उदयपुर स्थित रंगामाटी से अपनी राजधानी को अगरतला स्थानान्तरित कर दिया। राजधानी बदलने का एक और कारण यह भी था कि महाराज अपने साम्राज्य और पड़ोस में स्थित ब्रिटिश बांग्लादेश के साथ संपर्क बनाने चाहते थे। आज अगरतला जिस रूप में दिखाई देता है, दरअसल इसकी परिकल्पना 1940 में महाराज वीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने की थी। उन्होंने उस समय सड़क, मार्केट बिल्डिंग और नगरनिगम की योजना बनाई। उनके इस योगदान को देखते हुए ही अगरतला को ‘बीर बिक्रम सिंह माणिक्य बहादुर का शहर’ भी कहा जाता है। शाही राजधानी और बांग्लादेश से नजदीकी होने के कारण अतीत में कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने अगरतला का भ्रमण किया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर कई बार अगरतला आए थे। उनके बारे में कहा जाता है कि त्रिपुरा के राजाओं से उनके काफी गहरे संबंध थे।

पर्यटन स्थलसंपादित करें

 
उज्जयंता पैलेस

1901 में निर्मित उज्जयंत पैलेस, अगरतला का मुख्य स्मारक है जो मुगल-यूरोपीय मिश्रित शैली में निर्मित है। 800 एकड़ में फैला यह विशाल परिसर अब राज्य की विधान सभा के रूप में प्रयुक्त होता है। इसमें बगीचे और मानव-निर्मित झीलें है। आमतौर पर इसे जनता के लिए नहीं खोला जाता परंतु यदि आप सायं 3 से 4 बजे के बीत मुख्य द्वार पर जाएं तो आप यहां प्रवेश के लिए प्रवेश-पास प्राप्त कर सकते हैं।

 
नीरमहल

पैलेस के मैदान में नारंगी रंग के दो मंदिर अर्थात् उम्मेनश्वर मंदिर और जगन्नाथ मंदिर स्थित है, जिनमें कोई भी व्यक्ति दर्शानार्थ जा सकता है।

एयरपोर्ट रोड पर लगभग 1 कि॰मी॰ उत्तर में वेणुबन विहार नामक एक बौद्ध मंदिर है। गेदू मियां मस्जिद, जो अनोखे तकीके से क्राकरी के टूटे हुए टुकड़ों से बनी है, भी मनोरम दर्शनीय है।

एचजीबी रोड पर स्थित स्टेट म्यूजियम में एथनोग्राफिकल और आर्कियोलॉजी संबंधी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। यह सोमवार से शनिवार तक प्रात: 10 से सायं 5 बजे तक खुलता है, इसमें प्रवेश निशुल्क है। पर्यटन कार्यालय के पीछे स्थित ट्राइबल म्यूजियम त्रिपुरा के 19 आदिवासी समूहों की स्मृति के रूप में बनाया गया है।

पुराना अगरतला पूर्व में 5 कि॰मी॰ दूर है। यहां चौदह मूर्तियों वाला मंदिर है जहां जुलाई माह में श्रद्धालु कड़छी-पूजा के लिए एकत्र होते हैं। यहां आटोरिक्शा, बस और जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है।

उज्जयन्त महल

इस महल को महाराजा राधा किशोर माणिक्य ने बनवाया था। अगरतला जाने पर इस महल को जरूर घूमना चाहिए। इसका निर्माण कार्य 1901 में पूरा हुआ था और फिलहाल इसका इस्तेमाल राज्य विधानसभा के रूप में किया जा रहा है।

नीरमहल

मुख्य शहर से 53 किमी दूर स्थित इस खूबसूतर महल को महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य ने बनवाया था। रुद्रसागर झील के बीच में स्थित इस महल में महाराजा गर्मियों के समय ठहरते थे। महल निर्माण में इस्लामिक और हिंदू वास्तुशिल्प का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है, जिससे इसे काफी ख्याति भी मिली है।

जगन्नाथ मंदिर

अगरतला के सर्वाधिक पूजनीय मंदिरों में से एक जन्नाथ मंदिर अपनी अनूठी वास्तुशिल्पीय शैली के लिए जाना जाता है। यह एक अष्टभुजीय संरचना है और मंदिर के पवित्र स्थल के चारों ओर आकर्षक प्रधक्षण पठ है।

महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज

जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस कॉलेज को महाराजा बीर बिक्रम सिंह ने बनवाया था। 1947 में इस कॉलेज को बनवाने पीछे महाराजा कि मंशा स्थानीय युवाओं को व्यवसायिक और गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराना था।

लक्ष्मीनारायण मंदिर
 
लक्ष्मीनारायण बाड़ी (लक्ष्मीनारायण मन्दिर)

इस मंदिर में हिंदू धर्म को मानने वाले नियमित रूप से जाते हैं। साथ ही यह अगरतला का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर को कृष्णानंद सेवायत ने बनवाया था।

रवीन्द्र कानन

राज भवन के बगल में स्थित रवीन्द्र कानन एक बड़ा सा हरा-भरा गार्डन है। यहां हर उम्र के लोग आते हैं। कुछ तो यहां मौज मस्ती के मकसद से आते हैं, वहीं कुछ इसका इस्तेमाल प्ले ग्राउंड के तौर पर भी करते हैं।

पिछले कुछ सालों में चावल, तिलहन, चाय और जूट के नियमित व्यापार से अगरतला पूर्वोत्तर भारत के एक व्यवसायिक गढ़ के रूप में भी उभरा है। शहर में कुछ फलते-फूलते बाजार हैं, जिन्हें घूमना बेकार नहीं जाएगा। इन बाजारों में बड़े पैमाने पर हस्तशिल्प और ऊन से बने वस्त्र आपको मिल जाएंगे।

इन्हें भी देखेंसंपादित करें

सन्दर्भसंपादित करें

  1. "Tripura : A Land of Ethnicity," Pamela Dasgupta, BFC Publications, 2021, ISBN 9789390675203
  2. "The Land of Fourteen Gods: Ethno-cultural Profile of Tripura," Gautam Kumar Bera, Mittal Publications, 2010, ISBN 9788183243339
  3. "Four new districts, six subdivisions for Tripura". CNN-IBN. 26 October 2011. मूल से 26 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2012.
  4. "Tripura Gazette - Creation of New Khowai district" (PDF). मूल से 24 जनवरी 2019 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 24 January 2019.