हज़रत उक्काशा बिन मुहसिन रज़ि० या उकाशा बिन मुहसिन(अरबी: عكاشة بن محصن) इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के साथी (सहाबा) थे। उन्होंने मुहम्मद के युग के दौरान नखला छापे में भाग लिया था। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का एक अभियान इनके नाम सरिय्या उकाशा बिन मुहसिन से मशहूर है जो बनू असद बिन क़ुज़ायमा जनजातियों के खिलाफ अक्टूबर 630, इस्लामिक कैलेंडर के, 9 हिजरी में हुआ था। [1]

हज़रत उकाशा बिन मुहसिन रज़ि०
मौत 12 हिजरी

उकाशा का उपनाम अबू मिहसन है। उनके पिता मिहसान इब्न हुरसन थे। उकाशा ने हिजरत से पहले इस्लाम कबूल कर लिया और मदीना के लिए दूसरों के साथ मक्का छोड़ दिया।

उकाशा ने बद्र की लड़ाई में भाग लिया। युद्ध में उनकी तलवार टूट गई थी। पैगंबर (PBUH) ने उन्हें एक खजूर की शाखा दी और इसके साथ उन्होंने एक नुकीले चाकू की तरह दुश्मन पर वार किया। वह युद्ध के अंत तक इस छड़ी से लड़े।

उकाशा ने बद्र, उहुद, खंदक सहित सभी प्रसिद्ध लड़ाइयों में भाग लिया और वीरता और शौर्य का प्रदर्शन किया। 7 हिजरी के रबीउल अव्वल के महीने में, उन्हें बनी असद का सामना करने का काम दिया गया था। मदीना के रास्ते में 'गामा' के कुएं के पास बनी असद की बस्ती थी। वह चालीस आदमियों की एक सेना के साथ वहाँ गया, यह देखने के लिए कि बानी असद के लोग पहले ही डर के मारे जगह छोड़ चुके थे और कहीं और भाग गए थे। किसी को खोजने में असमर्थ, उकाशा उनके परित्यक्त दो सौ ऊंटों और कुछ बकरियों और बकरियों को मदीना ले आए।[2]

 
सहाबा अरबी भाषा सुलेख

अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) ने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के हवाले से बताया है कि आपने फ़रमायाः "मेरे सामने बहुत-सी उम्मतें लाई गईं। मैंने देखा कि किसी नबी के साथ बहुत बड़ा समूह है, किसी नबी के साथ एक-दो लोग हैं और किसी नबी के साथ एक भी आदमी नहीं है। इसी बीच मेरे सामने एक विशाल जनसमूह प्रकट हुआ। मैंने समझा कि यह मेरी उम्मत के लोग हैं। लेकिन मुझसे कहा गया कि यह मूसा और उनकी उम्मत के लोग हैं। फिर मैंने देखा तो और एक बड़ा जनसमूह था। मुझसे कहा गया कि यह आपकी उम्मत के लोग हैं। इनमें सत्तर हज़ार लोग ऐसे हैं, जो बिना किसी हिसाब और अज़ाब के जन्नत में प्रवेश करेंगे।" इतना कहने के बाद आप उठे और अपने घर के अंदर चले गए। इधर, लोग उन सत्तर हज़ार लोगों के बारे में बातें करने लगे कि वे कौन हो सकते हैं? किसी ने कहा कि शायद वह लोग होंगे, जो मुस्लिम घराने में पैदा हुए और कभी किसी को अल्लाह का साझी नहीं बनाया। उनके अंदर इसी तरह की बातें चल रही थीं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बाहर आए। लोगों ने आपको उस चर्चे से अवगत कराया, तो फ़रमायाः "यह वह लोग हैं, जो न दम करवाते हैं, न अपने शरीर दागते हैं और न अपशगुन लेते हैं, बल्कि अपने रब पर भरोसा रखते हैं।" इतना सुनने के बाद उक्काशा बिन मेहसन (रज़ियल्लाहु अंहु) खड़े हो गए और कहाः अल्लाह से दुआ कीजिए कि मुझे उन लोगों में से बना दे। तो आपने फ़रमायाः "तुम उन लोगों में से हो।" फिर एक अन्य व्यक्ति खड़ा होकर कहने लगा कि मेरे बारे में भी दुआ करें कि अल्लाह मुझे उन लोगों में से बना दे। परन्तु आपने फ़रमायाः "इस मामले में तुमपर उक्काशा बाज़ी ले गया।[3] [4]

12 हिजरी में ख़ालिद बिन वलीद के साथ तलीहा बिन खुवेलिद जिसने उस समय स्वयं को पैगम्बर घोषित किया हुआ था वो बाद में वफादार मुसलमान भी बन गया था के विरुद्ध अभियान पर थे जब शहीद हो गये।

इन्हें भी देखें

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  1. Mubarakpuri, The Sealed Nectar (Free Version)[मृत कड़ियाँ], p. 129
  2. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या ग़मर". पृ॰ 642. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  3. सहीह बुखारी 6542 https://sunnah.com/bukhari/81/131
  4. अनूदित हदीस-ए-नबवी विश्वकोश, "हदीस: इस मामले में तुमपर उक्काशा बाज़ी ले गया", www.hadeethenc.com

बाहरी कड़ियाँ

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