उच्चैन
उच्चैन (Uchain) भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2] 2017 से पहले यह एक ग्राम पंचायत हुआ करती थी 2017 मे तहसील का दर्जा मिलने के बाद इसको ग्रामीण से नगरीय क्षेत्र में विकसित कर दिया । जिसमें विधायक जोगेन्दर सिंह अवाना( तत्कालीन विधायक नदबई 2018 से 2023) का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।
उच्चैन Uchain | |
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निर्देशांक: 27°05′38″N 77°24′40″E / 27.094°N 77.411°Eनिर्देशांक: 27°05′38″N 77°24′40″E / 27.094°N 77.411°E | |
ज़िला | भरतपुर ज़िला |
प्रान्त | राजस्थान |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 8,713 |
भाषा | |
• प्रचलित भाषाएँ | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
उच्चैन के प्रमुख मन्दिर
संपादित करेंश्री कुन्ज बिहारी जी मंदिर : - यह इस क्षेत्र के प्राचीनतम मंदिर में से एक है । इसका निर्माण 18 वी सदी में ग्रामीणो की देखरेख में किया गया । इसकी शैली नागर थी । इसका कई बार पुनर्निर्माण किया जा चुका है । यह राजस्थान सरकार के देव स्थान विभाग द्वारा संचालित है, यहाँ का वर्तमान पुजारी धर्मेन्द्र शर्मा पुत्र स्व कुन्दन मामा (पुर्व पुजारी ) है । मुख्यत इसकी देखभाल इस शहर का व्यापारी वर्ग करता है । यहाँ प्रत्येक जन्माष्टमी को विशेष कार्यक्रम होते हैं एवं शहर में उत्सव का वातावरण रहता है । मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश करते ही भगवान श्री बिहा री एवं श्री राधा रानी के दर्शन होते है और बिहारी जी के बायें हनुमान जी एवं शिवालय की प्राण प्रतिष्ठा की हुइ है और बिहारी जी के दायें श्री लक्ष्मी नारायण एवं श्री राम दरबार विराजमान हैं । इस क्षेत्र में यह मंदिर बिहारी जी मंदिर के नाम से विख्यात है और यहाँ के लोग बिहारी जी की मान्यता करते हैं । यहाँ प्रातः एवं संध्या काल में आरती एवं महिला और पुरुषों का कीर्तन भी होता है । प्रत्येक एकादशी के दिन महा आरती होती है । रात्रि को शयन आरती के बाद मंदिर को अगली सुबह होने तक मन्दिर के कपाट बन्द कर दिये जाते हैं
सारांश की झलक: सम्पादन सारांश नहीं है आपका पाठ उच्चैन के प्रमुख मन्दिर -
- श्री कुन्ज बिहारी जी मंदिर : -यह मन्दिर बस स्टेन्ड से 800 मीटर दूर मुख्य बाजार में स्थित है।यह मन्दिर बस स्टेन्ड से 800 मीटर दूर मुख्य बाजार में स्थित है । यह मन्दिर इस क्षेत्र के प्राचीनतम मंदिर में से एक है । इसका निर्माण 18 वी सदी में ग्रामीणो की देखरेख में किया गया । इसकी शैली नागर थी । इसका कई बार पुनर्निर्माण किया जा चुका है । यह राजस्थान सरकार के देव स्थान विभाग द्वारा संचालित है, यहाँ का वर्तमान पुजारी धर्मेन्द्र शर्मा पुत्र स्व कुन्दन मामा (पुर्व पुजारी ) है । मुख्यत इसकी देखभाल इस शहर का व्यापारी वर्ग करता है । यहाँ प्रत्येक जन्माष्टमी को विशेष कार्यक्रम होते हैं एवं शहर में उत्सव का वातावरण रहता है । मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश करते ही भगवान श्री बिहारी एवं श्री राधा रानी के दर्शन होते है और बिहारी जी के बायें हनुमान जी एवं शिवालय की प्राण प्रतिष्ठा की हुइ है और बिहारी जी के दायें श्री लक्ष्मी नारायण एवं श्री राम दरबार विराजमान हैं । इस क्षेत्र में यह मंदिर बिहारी जी मंदिर के नाम से विख्यात है और यहाँ के लोग बिहारी जी की मान्यता करते हैं । यहाँ प्रातः एवं संध्या काल में आरती एवं महिला और पुरुषों का कीर्तन भी होता है । प्रत्येक एकादशी के दिन महा आरती होती है । रात्रि को शयन आरती के बाद मंदिर को अगली सुबह होने तक मन्दिर के कपाट बन्द कर दिये जाते हैं
- तपसी बाबा की बगीची :- यह मन्दिर उच्चैन के मुख्य बस स्टेन्ड से करीब 1 किलोमीटर दूर पुराने अस्पताल के पास तिया पट्टी में स्थित है इसकी स्थापना श्री श्री 1008 श्री नर्सिंह दास जी महाराज (तपसी बाबा) ने भारत की आजादी के बाद इन्दिरा गान्धी के समकालीन की थी । तपसी बाबा के गुरू श्री श्री 1008 श्री नरहरि दास जी थे जिनका स्थान निकुन्ज वन आजाद पानी घाट वृंदावन में था । ये निम्बार्क सम्प्रदाय के सन्त थे । इन्होने ग्रामीणो के कहने पर श्री हनुमान जी के मन्दिर को किसी दूसरे स्थान से (किसी कारणबस) आश्रम में स्थापना करने की अनुमति दी । ग्रामीणो ने यहाँ पूजा का दायत्व सँभाला । इस स्थान पर अनेको साधु सन्तो ने तपस्या की । तपसी बाबा के शरीर छोड़ने के बाद यह स्थान कइ वर्ष तक निर्जन अवस्था में पडा रहा । धीरे धीरे गाँव के कुछ सम्पन्न लोगों ने यहाँ राम दरबार एवं शिवालय का निर्माण करबाया । समय निकलते गाँव की आबादी बढ़ने के कारण मंदिर जंगल से आबादी में आ गया । 20वी सदी के बाद श्री श्री 108 श्री लक्ष्मन दास जी ने बगीची का महन्त बने । 2024 में श्री श्री 108 श्री प्रकाश दास जी महन्त बने जो वर्तमान में नियुक्त हैं । यह स्थान मंदिर न होकर एक तपोस्थली के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है । यहाँ समय समय पर चमत्कार होते रहते है। यह स्थान सन 2000 के बाद नागा सम्प्रदाय के रामस्नेही सन्तो के अधीन रहा है । इस आश्रम में एक गोशाला भी स्थित है । उच्चैन शहर के तिया पट्टी के लोगों में मंदिर एवं तपसी बाबा के प्रति गहरी आस्था देखने को मिलती है । यहाँ < जय सियाराम > कहकर अभिवादन करने की परम्परा शुरू से चली आ रही है और <तपसी बाबा की जय> का जयघोष भी ग्रामिणो द्वारा लगाया जाता है । यहाँ प्रातः एवं संध्या काल में आरती एवं पुरुषों का कीर्तन भी होता है । प्रत्येक एकादशी के दिन महा आरती होती है एवं महिला कीर्तन किया जाता है। रात्रि को शयन आरती के बाद मंदिर को अगली सुबह होने तक मन्दिर के कपाट बन्द कर दिये जाते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- भरतपुर ज़िला
- उच्चैन के प्रमुख मन्दिर
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990